Chhath Puja 2020 : रोशनी के त्योहार दिवाली से छह दिन बाद छठ महापर्व मनाया जाता है। छठ पूजा का पर्व 20 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य भगवान की उपासना की जाती है। चार दिनों तक चलने वाले आस्था के इस महापर्व पर बिहार में छटा देखते ही बनती है। बिहार के अलावा उत्तरप्रदेश, झारखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों में छठ पूजा की महिमा देखने को मिलती है।
सर्वप्रथम किसने की थी छठ पूजा
अक्टूबर-नवंबर में आने वाले पर्व दशहरा, दिवाली से छठ तक का ताल्लुक भगवान श्री राम से जुड़ा है। दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। इसके बाद दीपावली के दिन भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास समाप्त करके अयोद्धया लौटे थे। उनके आगमन पर अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। अयोध्या वापसी के छठे दिन भगवान राम और सीता मईया ने षष्ठी तिथि का व्रत रखा था। इस दिन भगवान राम ने अपने कुल देवता सूर्य की पूजा की थी और सरयू नदी में सूर्यदेव को फल, मिष्ठान और अन्य चीजें अर्पित की थी। पूजा के अगले दिन यानि सप्तमी तिथि को भगवान राम ने उगते सूर्य को अर्घ्य देने के उपरांत राजपाट शुरू किया। इसलिये तब से ही सूर्य की पूजा की परंपरा चली आ रही है।
छठ पूजा को अंगराज कर्ण से भी जोड़ कर देखा जाता है और बिहार में इस पूजा को लेकर खासा उत्साह देखने को मिलता है क्योंकि कर्ण अंग देश के राजा थे। अंगदेश बिहार के भागलपुर में है। अंगराज कर्ण सूर्य देव को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करते थे और मान्यता है कि कार्तिक षष्ठी और सप्तमी के दिन कर्ण भगवान सूर्य की विशेष आराधना किया करते थे। सूर्य पूजा का विधान बिहार और पूरे पूर्वांचल क्षेत्र में इस लिये ज्यादा है क्योंकि राजा कर्ण की भक्ति को देख वहां के निवासी भी सूर्य देव की आराधना करने लगे।
सूर्य देव की पूजा इसलिए भी की जाती है क्योंकि सूर्य देवता संसार के सभी जीवों को प्रकाश और ऊर्जा देते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक छठी मैया जनमानस को आरोग्य रखती हैं और लंबी उम्र प्रदान करती हैं।
हिंदू धर्म के मुताबिक षष्ठी देवी, ब्रह्मा की मानस पुत्री है। उन्हें माता कात्यायनी भी कहा जाता है। नवरात्रि की षष्ठी तिथि पर उनकी पूजा की जाती है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश में षष्ठी देवी को छठी मैया भी कहते हैं।
कब है छठ महापर्व –
20 नवंबर से छठ महापर्व की शुरुआत
चार दिनों तक छठ महापर्व का आयोजन
(कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक छठ पूजा)