Chaitra Navratri 2021: हिंदू पंचांग के मुताबिक नौ दिनों का चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल, मंगलवार यानी आज से शुरू हो रहा है। इस दौरान मां दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों का नौ दिनों तक व्रत रखा जाता है।
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पूजा की शुरुआत घटस्थापना या कलश स्थापना होता है। कहा जाता है कि इन नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा सच्ची श्रद्धा से करने से हर मनोकामना पूरी होती है। 21 अप्रैल तक चलने वाले इस बार के नवरात्र में मां दुर्गा के भक्त 22 अप्रैल को व्रत तोड़ सकेंगे। नवरात्री के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।
कौन हैं मां शैत्रपुत्री
मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री हैं। यह पर्वतराज हिमालय की कन्या हैं। पूर्व जन्म में यह सती के नाम से जानी जाती थीं और प्रजापति दक्ष की कन्या थीं। मां शैलपुत्री को पार्वती और हेमावती के नाम से भी जाना जाता है। देवी मां की सवारी वृष अर्थात् बैल है। इन्हें वृषारूढ़ा भी पुकारा जाता है। और उमा के नाम से भी जाना जाता है। यह वृषभ वाहन शिवा का ही स्वरूप हैं। मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से चंद्र ग्रह के सभी दोष दूर होते हैं।
मां शैलपुत्री मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:
मां शैलपुत्री की पौराणिक कथा:
पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। एक बार प्रजापति दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ किया जिसमें उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया किन्तु शंकर जी को उन्होंने इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया,सती ने जब सुना कि हमारे पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहां जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा। इसपर भगवान शिव ने सती से कहा कि अगर प्रजापति ने हमें यज्ञ में नहीं आमंत्रित किया है तो ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है। सती की जिद को देखकर शिवजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की इजाजत दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो उन पर कई तरह से कटाक्ष किए। साथ ही भगवान शंकर को भी तिरस्कृत किया गया। इस अपमान से दुखी होकर सती ने हवन की कूदकर अपने प्राण दे दिए। इसपर भगवान शिव ने यज्ञ भूमि में प्रकट होकर सबकुछ सर्वनाश कर दिया। सती का अगला जन्म देवराज हिमालय के यहां हुआ। हिमालय के घर जन्म होने की वजह से उनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
पूजन विधि
मां को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध और पुष्प अर्पित करें। माता के मंत्रों का जाप करें। घी से दीपक जला कर, मां की आरती करें। शंखनाद करें, घंटी बजाएं, व मां को प्रसाद अर्पित करें।