Diwali Puja Vidhi, Subh muhurat, mantra:
आज महालक्ष्मी पूजा और दीपावली का पर्व है। इस दिन श्री गणेश और मां महालक्ष्मी एवं ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। माना जाता है कि कार्तिक महीने की अमावस्या को समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीपावली के पर्व पर दीपक जलाए जाते हैं। लंबे वनवास के बाद भगवान श्रीराम के विजय होकर आज के दिन अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत की खुशी में अयोध्या नगरी को बहुत ही खूबसूरती से सजाया था। यह भी मान्यता यह भी है कि आज की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों के घर जाती हैं।। आज के दिन लोग अपने घरों, बिजनेस वाले स्थानों को सजा कर मां लक्ष्मी का आगमन का इंतजार व आह्वान करते हैं। भक्तों को विश्वास है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पधारती हैं। दिवाली की रात सर्वार्थ सिद्धि की रात भी मानी जाती है।
दीपावली पर बन रहा है महासंयोग
इस बार दीपावली पर महासंयोग बन रहा है। इस बार 17 साल बाद दिवाली पर सर्वार्थसिद्धि योग बनने से इस दिन की गई पूजा का दोगुना फल मिलेगा। ज्योतिषों के मुताबिक तीन ग्रहों का दुर्लभ संयोग है और छोटी-बड़ी दीवाली एक साथ आई है। इस दिन गुरु ग्रह स्वराशि धनु और शनि स्वराशि मकर में रहेगा। लक्ष्मी जी का स्व: ग्रह शुक्र कन्या राशि में होगा। लक्ष्मी पूजन के समय स्वाति नक्षत्र का संयोग होगा। दिवाली सुख शांति समृद्धि ले कर आयेगी लेकिन स्वास्थ्य के प्रति सभी को अभी सचेत रहने की आवश्यक्ता है।
बड़ी और छोटी दिवाली एक साथ
दिपावली को पांच दिनों का पर्व कहा जाता है। दिवाली का यह पांच दिवसीय उत्सव… धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज तक मनाया जाता है। दिवाली के दिन लोग अपने घरों में लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं और दिए जलाते हैं। लेकिन इस वर्ष संयोग कुछ ऐसा है कि यह पर्व चार दिनों में सिमट गया। आज छोटी और बड़ी दिवाली एक साथ ही मनाई जाएगी। सुबह छोटी दिवाली मनाई जाएगी और शाम को बड़ी दीपावली। ऐसा संयोग 499 साल के बाद देखा गया है। मान जाता है कि धनतेरस के अगले दिन दिवाली का आना एक अच्छा संयोग है।
चतुर्दशी और अमावस्या
शनिवार को प्रातः काल से चतुर्दशी दोपहर 2.18 तक। इसका अर्थ है कि छोटी दिवाली ( नरक/ रूप चतुर्दशी) का पूजन इसी समय करें। हनुमान जयंती भी इस अवधि में ही मनायें। दरअसल, इसके उपरांत अमावस्या का आगमन माना जा रहा है।
माता लक्ष्मी का मंत्र
छ महालक्ष्मी मंत्र: श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
घर पर दिवाली पूजन की शुभ समय
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से शाम 7:30 तक ( वृष, स्थिर लग्न)
प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:33 से रात्रि 8:12 तक
महानिशीथ काल मुहूर्त ( काली पूजा)
महानिशीथ काल मुहूर्त्त: रात्रि 11:39 से 00:32 तक।
सिंह काल मुहूर्त्त: रात्रि 12:15 से 02:19 तक।
काम/ बिजनेस के स्थान पर प्रतिष्ठान पूजा मुहूर्त
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त अभिजित: दोपहर 12:09 से शाम 04:05 तक।
लक्ष्मी पूजा 2020: चौघड़िया मुहूर्त
दोपहर: (लाभ, अमृत) 14 नवंबर की दोपहर 02:17 से शाम को 04:07 तक।
शाम: (लाभ) 14 नवंबर की शाम को 05:28 से शाम 07:07 तक।
रात्रि: (शुभ, अमृत, चल) 14 नवंबर की रात्रि 08:47 से देर रात्रि 01:45 तक
प्रात:काल: (लाभ) 15 नवंबर को 05:04 से 06:44 तक