भारतीय संस्कृति में गुरू को ईश्वर से भी ऊपर का दर्ज़ा दिया गया है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान पूजनीय माना गया है। गुरु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है गुरु पूर्णिमा। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस पावन दिन को आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा, 5 जुलाई को हैं। यह दिन गुरू की आराधना का दिन है। गुरू हमारे जीवन में पथ-प्रदर्शक का काम करता है, चंद्रमा की भाँती अंधेरे में रोशनी दिखाता है। इसलिए तो गुरू को देव-तुल्य माना गया है।
गुरू पूर्णिमा मनाने के पीछे कारण यह है कि इसी दिन (आषाढ़ माह की पूर्णिमा), लगभग 3 हजार ई. पूर्व महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेदव्यास ने ही चारों वेदों और महाभारत की रचना की थी, उन्हें मानव जाति का गुरु माना गया हैं।
गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और मुडिया पूनो के नाम से भी जाना जाता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरुओं या संतो की, वेदव्यास की भक्तिभाव से पूजा और वंदना करते हैं। गुरु के चरणों पर पुष्प, अक्षत एवं चंदन रख कर उनके प्रति सम्मान दर्शाया जाता है।