जब सुर खनकते हैं, बेजान साजों से, आवाज़ के पंखों पर उड़ने लगता है कोई गीत जब, झूम झूम लहराते हैं ये दिल क्योंकि.. संगीत दिलों का उत्सव है, संगीत दिलों का उत्सव है…उत्सव है…..
जी हां, संगीत एक ऐसा माध्यम है जो दिलों को दिलों से जोड़ता है। संगीत भारतीय संस्कृति की एक अमूल्य विरासत है। संगीत ना तो देश की सीमाएं देखता है और ना ही मज़हब की बंदिशें। तभी तो भारतीय कलाकारों ने देश विदेश में अपनी कला की छाप छोड़ी है।
ऐसे ही दिग्गज कलाकार, तंत्री सम्राट पंड़ित सलिल भट्ट ने सात्विक वीणा पर अपने संगीत के माध्यम से गुड़गांव की एक शाम को सुरमयी बना दिया। संगीत का ऐसा जादू बिखेरा की श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। मशहूर मोहन विणा वादक एवं ग्रैमी अवार्ड विजेता पंडित विश्व मोहन भट्ट के पुत्र तंत्री सम्राट पंडित सलिल भट्ट ने राजस्थान के फेमस फॉक परफॉर्मर्स मांगनियार्स के साथ मिल कर ‘डिजर्ट स्टार्म’ पेश कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।. साथ ही तबला सम्राट पंडित चतुर लाल के पौत्र प्रांशू चतुर लाल के तबले की ता-धा से एक अलग ही समां बंधा।
शनिवार की शाम गुड़गांव में ‘अमृत रसवादन’ के नाम से आयोजित इस शाम को मुख्य मकसद था भारतीय कला को सहेजना और सवांरना।
‘जय मां विंध्यवासिनी ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड’ द्वारा आयोजित सुरमयी शाम के बारे में कंपनी के कार्यकर्ता कैप्टन आशुतोष शेखर बताते हैं, “यह कार्यक्रम भारतीय विरासत में जान फूंकने की एक कोशिश है साथ ही भारतीय सेना के तीनों विंगों को संगीत के माध्यम से एक ऐसे मंच पर लाना है जिस पर सेना के तमाम उच्च अफसरों और जवानों का सम्मान किया जा सके जो पूस की रात में, भादों की बरसात में, जेठ की दोपहरी में आधी उम्र सरहद पर गुजार देते हैं, और जरूरत पड़ने पर उसी सरहद परसर्वोच्च बलिदान दे देते हैं, ताकि हम अपने घरों में सुकून से रह सकें…
कार्यक्रम की शुरुआत में ही आठ वर्ष के नन्हें उस्ताद रूद्रांश सिंह ने अनूठे ड्रम वादन से सबका मन मोह लिया। रॉकस्कूल से ग्रेड 2 की परीक्षा पास कर चुके रूद्रांश, गुड़गांव के लोटस वैली इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा चौथी में पढ़ते हैं। इससे पहले भी रूद्रांश ड्रम और की बोर्ड पर अपनी उंगलियां नचा कर दर्शकों के चहेते बन चुके हैं।
अमृत रसवादन नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर श्री एम एस बिट्टा मौजूद रहे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर सीमा सुरक्षा बल के 95 बटालियन के कमांडेंट विजय कुमार, कत्थक के कोहीनूर माने जाने वाले पंडित दीपक महाराज एवं भारत के पियानो किंग डॉ अमन बथला ने कला और संस्कृति को संजोने की इस मुहिम के लिए अपनी मौजूदगी से शुभकामनाएं दीं। पंडित दीपक महाराज की रंगों में खून के साथ कत्थक की खूबियॉं भी बहती हैं। पंडित बिरजू महाराज के पुत्र, पंडित दीपक महाराज ने देश – विदेश में अपनी कला के माध्यम से खूब वाहवाही बटोरी है।
हरियाणा रत्न अवार्ड से सम्मानित डॉ अमन बथला ने भी दो विश्व रिकॉर्ड बनाये हैं। ‘फास्टेस्ट पियानो प्लेयर ऑफ द वर्लड’ के नाम से मशहूर डॉ बथला ने एक सेकेंड में 33 नोट्स और एक मिनट में 1208 नोट्स बजाकर दो बार वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया है।