कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में दी जाने वाली प्लाज्मा थेरेपी पर रोक लगा दी गई है। प्लाज्मा थेरपी को चिकित्सीय प्रबंधन दिशा-निर्देशों से हटा दिया गया है। आईसीएमआर और एम्स ने कोविड मरीजों के इलाज के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। आईसीएमआर ने प्लाज्मा थेरेपी को हटाने के फैसले की जानकारी देते हुए कहा, ”कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी के उपयोग को प्रबंधन दिशा-निर्देश से हटा दिया गया है।” आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस में कोविड मरीजों के इलाज को तीन भागों में बांटा गया है। इसमें हल्के लक्षण वाले मरीज, मध्यम लक्षण वाले और गंभीर लक्षण वाले मरीज शामिल हैं। हल्के लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने का निर्देश दिया गया है, जबकि मध्यम और गंभीर संक्रमण वाले मरीजों को क्रमश: कोविड वॉर्ड में भर्ती और आईसीयू में भर्ती करने के लिए कहा गया है।
बता दें कि कोरोना महामारी के शुरुआती दौर से ही प्लाजमा थेरेपी को बेहद प्रभावी माना जा रहा था। कोरोना के दूसरी लहर में तो इसकी मांग काफी ज्यादा बढ़ गई थी। तब यह माना जा रहा था कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना के इलाज में बेहद असरदार है।
लेकिन नई गाइडलाइंस के अनुसार, प्लाज्मा पद्धति को दिशा-निर्देशों से हटा दिया गया है। यह फैसला ऐसे समय में हुआ है जब कुछ डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन को पत्र लिखकर देश में कोविड-19 के उपचार के लिए प्लाज्मा पद्धति के ‘‘अतार्किक और गैर-वैज्ञानिक उपयोग’’ को लेकर आगाह किया था।
कोविड-19 संबंधी आईसीएमआर की राष्ट्रीय कार्यबल की बैठक में सभी सदस्य ने इस बात पर राय रखी थी कि कोविड-19 के वयस्क मरीजों के उपचार से जुड़े दिशा-निर्देशों से प्लाज्मा पद्धति के इस्तेमाल को हटाया जाना चाहिए क्योंकि यह प्रभावी नहीं है। टास्क फोर्स की बैठक में यह भी कहा गया कि कई मामलों में इसका अनुचित रूप से इस्तेमाल किया गया है।
अब इसे दिशानिर्देशों से हटाने का मतलब है कि अब देश में मरीजों का प्लाज्मा थैरेपी से उपचार नहीं होगा। नई गाइडलाइन में कोविड मरीजों को तीन भागों में बांटा है। पहला- हल्के लक्षण वाले मरीज, दूसरा- मध्यम लक्षण वाले और तीसरे गंभीर लक्षण वाले मरीज। हल्के लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने, मध्यम और गंभीर संक्रमण वाले मरीजों को क्रमश: कोविड वॉर्ड में भर्ती और आईसीयू में भर्ती करने के लिए कहा गया है।