श्वेता रंजन, नई दिल्ली
हर रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं, ऐ जिंदगी देख मेरे हौसले तुझसे बड़े हैं। यह बात खो-खो खिलाड़ी नसरीन शेख पर सटीक बैठती है। नसरीन शेख इसी उम्मीद और हौसले की मिसाल हैं। नसरीन की बचपन अभावों में गुजरा लेकिन होसले नहीं टूटे। देश का नाम ऊंचा करने वाली नसरीन शेख का नाम अर्जुन अवार्ड की सूची में भी शामिल है और अब उन पर एक बायोपिक भी बनने वाली है। नसरीन बताती हैं, “मैं बहुत खुश हूँ कि मेरा नाम इस प्रतिष्ठित अवार्ड के लिए शामिल किया गया है। यह गर्व की बात है कि खो-खो को अर्जुन अवार्ड की सूची में जगह मिली है । खो-खो को गली-कूचे का खेल माना जाता था, लेकिन अब यह लग रहा है कि यह बाक़ी दूसरे खेलों की तरह ही है, दूसरे लोकप्रिय खेलों के साथ है।”
संघर्षों से भरपूर जीवन में भी नसरीन हार नहीं मानी। उनकी मेहनत और काबिलियत के कारण ही उनका नाम अर्जुन अवार्ड जैसे महत्त्वपूर्ण सम्मान की सूची में शामिल किया गया है। अब उनकी बायोपिक बनने जा रही है, जो नई पीढ़ी को खो-खो से जोड़ने का प्रयास करेगी।
खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने नसरीन को एक उदाहरण के रूप में पेश किया है, जो जीवन के संघर्षों का मुकाबला करते हुए भी आगे बढ़ी।
खो खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने कहा कि नसरीन एक मिसाल है। देश की एक ऐसी बेटी जिसने हिम्मत नहीं हारी। सुधांशु मित्तल ने कहा, “खो खो फेडरेशन ऑफ इंडिया का मकसद देश के तमाम वंचित परिवारों से ऐसी और कई नसरीन तलाशना है। उन्हें इस खेल में तराशना है और उन्हें जीवन में एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाना है जहां न सिर्फ वह अपने परिवार का बल्कि पूरे समाज का सहारा बन सकें”।
नसरीन की बायोपिक का ऐलान ‘अल्टीमेट खो खो’ के उदघाटन समारोह में किया जाएगा, जब खो-खो लीग का दूसरा संस्करण उड़ीसा में होगा। इस खेल में छह टीमें हिस्सा लेंगी, जो अपनी क्षमता और साहस से प्रतिस्पर्धा करेंगी। लीग की छह टीमें होंगी- ओडिशा जगरनॉट्स, चेन्नई क्विक गन्स, गुजरात जायंट्स, मुंबई खिलाड़ी, राजस्थान वॉरियर्स और तेलुगु योद्धा।
नसरीन के पिता दिल्ली में फेरी लगाकर बर्तन बेचते हैं, लेकिन इसे रोकने की कोई वजह नहीं बनी नसरीन के लिए। आर्थिक तंगी में बचपन गुजारने के बावजूद नसरीन ने हिम्मत नहीं हारी और खो-खो का रास्ता चुना। उनकी कप्तानी में भारत ने दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। तब नसरीन खबरों में ज्यादा नहीं आ सकी क्योंकि देश कोरोना संक्रमण के मुश्किल दौर से गुजर रहा था। खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया हमेशा ही नसरीन के साथ खड़ा रहा है। कोरोना काल में जब उनके परिवार पर आर्थिक संकट आया, तब भी फेडरेशन ने नसरीन के 13 सदस्यीय परिवार की मदद की थी।
नसरीन की कहानी एक सशक्त और प्रेरणादायक कहानी है, जो हर किसी को उम्मीद और हिम्मत देती है। उनके जीवन में खेल का महत्त्व इस बायोपिक के माध्यम से नई पीढ़ी को सिखाया जाएगा।