मध्य प्रदेश में गृह विभाग ने पहली बार किसी महिला पुलिस कॉन्सटेबल को जेंडर चेंज कराने की अनुमति दी है। उसने पुरुष बनने के लिए लिंग परिवर्तन कराने की अनुमति मांगी थी। जेंडर चेंज कराने की प्रोसेस पूरी होने के बाद महिला की पहचान पुरुष कॉन्स्टेबल के रूप में होगी। राष्ट्रीय स्तर के मनोचिकित्सकों ने इस बात की पुष्टि की है कि महिला आरक्षक को बचपन से ही जेंडर आइडेंटिटी संबंधी डिसऑर्डर रहा है। जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर एक ऐसी समस्या है जिसमें शरीर और लैंगिंक स्वभाव मेल नहीं खाते।
अमिता ने अपने जिले में पुरुषों की तरह पुलिस के काम किए हैं। साथ ही विधिवत आवेदन दिया। शपथ पत्र पेश किया। भारत सरकार के राजपत्र में 2019 में लिंग बदलने की मंशा की अधिसूचना प्रकाशित की थी। इसके बाद ही आवेदन पुलिस मुख्यालय को भेजा गया था। पुलिस मुख्यालय ने इस आवेदन पर गृह विभाग से अनुमति मांगी थी। विधि विभाग ने गृह विभाग को दिए परामर्श में कहा था कि भारतीय नागरिक को उसके धर्म या जाति पर ध्यान दिए बिना अपने लिंग का चुनाव करने की स्वतंत्रता है। इसके बाद अनिता को लिंग परिवर्तन की अनुमति देने में कोई दिक्कत नहीं है। अनुमति मिल जाने के बाद महिला कॉन्सटेबल सर्जरी करवा के लिंग परिवर्तन कर सकती है।
देश में यह अकेला ऐसा ममला नहीं है। पांच साल पहले बीड की 29 वर्षीय महिला कांस्टेबल ललिता साल्वे ने लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगी थी। वह देश का पहला केस था। तमाम कानूनी अड़चनों को दूर करने के बाद ललिता साल्वे से ललित साल्वे बन गई थी। इस कानूनी प्रक्रिया में उसे दो-तीन साल लग गए थे।