26 जुलाई की तारीख यूं तो भुलाने वाली तारीख नहीं है, क्योंकि इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कारगिल विजय दिवस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
कैलेंडर में 26 जुलाई की तारीख भारतवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण और यादगार तारीख है, क्योंकि इसी तारीख को साल 1999 में देश के जाबांजों ने सरहदों से घुसपैठियों को खदेड़ा था। 22 बरस पहले, दो महीने से ज्यादा चले इस युद्ध में 500 से ज्यादा वीर शहीद हुए, इनमें ज्यादातर जाबांज ऐसे थे जो अपनी जिंदगी के 30 बरस भी पूरे नहीं कर पाए थे, इस लड़ाई में 1300 से ज्यादा जवान घायल भी हुए लेकिन भारतीय सेना ने दुश्मन को हरा कर ही दम लिया और 26 जुलाई को विजय पताका यानि भारतीय ध्वज कारगिल की चोटी पर लहराया।
26 जुलाई की तारीख उन शहीदों को समर्पित है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। भारतीय सेना के वे जाबांज जिन्होंने देश के स्वर्णिम भविष्य के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, उन्ही शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
कारगिल युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ, इस युद्ध की वजह थी पाकिस्तानी सैनिकों और पाक समर्थित आतंकियों का LOC में घुसपैठ कर, अपने ठिकाने बनाना। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानकारी दिए बिना तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने जम्मू कश्मीर के कारगिल में घुसपैठ करवाई, जंग की शुरुआत पाकिस्तान ने की लेकिन ऑपरेशन विजय के साथ, सत्य की इस लड़ाई को जीत के साथ खत्म हिंदुस्तान ने किया। भारतीय सीमा में पाकिस्तानी सेना ने कब्जा किया है, इस बात की जानकारी भारती सेना को 2 मई 1999 को एक चरवाहे से मिली, इसके बाद भारतीय सेना ने पता लगाया तो चरवाहे की बात सही निकली, लेकिन जानकारी मिलने के आठ दिन बाद कारगिल युद्ध की शुरुआत हुई क्योंकि उस वक्त सैकड़ों पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल की पहाड़ियों में अफने ठिकाने बना लिए थे लेकिन उस वक्त कारगिल में सिर्फ एक ब्रिगेड थी और कम्यूनिकेशन के भी पर्याप्त साधन नहीं थे।
कारगिल युद्ध सदा भारतीय सैनिकों की वीरता के लिए याद किया जाएगा, क्योंकि विश्व के इतिहास में कारगिल की लड़ाई, दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग की घटनाओं में शामिल है। इस युद्ध में भारत के मुकाबले पाकिस्तान के कम सैनिक मारे गए, जिसकी एक वजह ये थी कि पाकिस्तान के सैनिकों और आतंकवादियों ने कारगिल की ऊंची-ऊचीं चोटियों में घुसपैठ कर, अपने ठिकाने बनाए और ऊंचाई पर होने की वजह से उन्हें इसका फायदा मिला और वो निचले हिस्से में मौजूद भारतीय सैनिकों पर आसानी से निशाना साध पा रहे थे।, लेकिन भारतीय रण बांकुरों ने भी हिम्मत नहीं हारी और आखिरी सांस तक दुश्मन से मुकाबला करते रहे।
युद्ध में जब पाकिस्तान को अपनी हार होती दिखी तो उसने अमेरिका से मदद भी मांगी लेकिन अमेरिका ने पाकिस्तानी सैनिकों के LOC से पीछे न हटने तक मदद से इनकार कर दिया, और आखिरकार भारतीय जाबांजों की बुलंद हिम्मत-हौसलों के आगे पाकिस्तानी सैनिक टिकने में नाकाम रहे। भारतीय सैनिक दुश्मन को खदेड़ते हुए चौकियों पर कब् करते गए और जैसे ही पाकिस्तानी सैनिक पीछे हटे, भारतीय सैनिकों ने बची हुई चौकियों पर हमला कर 26 जुलाई तक उनमें एक-एक कर सभी चौकिंया फतह कर लीं।
कारगिल युद्ध आखिरी बार था, जो भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण सशस्त्र संघर्ष के रूप में लड़ा गया। इस युद्ध से भारत ने एक सबक लिया कि पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर भारत की थोड़ी सी अनदेखी का फायदा उठाया और उसे लगा कि भारत नियंत्रण रेखा पर कभी आक्रामकता नहीं अपनाएगा, इसलिए घुसपैठ भी कर दी, लेकिन कारगिल युद्ध के बाद भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करने का फैसला लिया।
सरहदों की हिफाजत करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर योद्धाओं के समर्पण भाव का हर भारतीय नागरिक सदा सम्मान करता रहेगा। विजय दिवस की 22 वीं वर्षगांठ है, जो वीर सपूतों की हिम्मत-हौसले और शहादत की गाथा है, विजय दिवस के मौके पर, भारत भूमि के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर करने वाले भारत के हर वीर सपूत को नमन।