कारगिल की जीत का श्रेय आर्मी के ‘ऑपरेशन विजय’ को दिया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि IAF के ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ ने भी इसमें बड़ा योगदान दिया था। माना जाता है कि अगर भारत के एयरफोर्स की भागेदारी नहीं होती, तो इस युद्ध पर फलह पाना मुश्किल होता।
वैसे तो करगिल की लड़ाई 3 मई को शुरू हुई पर कामयाबी की रफ्तार धीमी थी। ऊंचाई पर बैठे दुश्मन को मिटा पाना मुश्किल था ऐसे में तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल की दुर्गम चोटियों को मुक्त कराने के लिए 25 मई, 1999 को भारतीय वायुसेना को आक्रमण का आदेश दिया गया. इस निर्णायक कदम के साथ ही दुश्मन के अंत की शुरुआत हुई.
ऑपरेशन सफेद सागर ऐसे समय शुरू किया गया था, जब ऊंचाई पर बैठकर पाकिस्तानी घुसपैठिये, भारतीय सेना के जवानों पर सीधा निशाना लगा रहे थे। एयरफोर्स के दखल के साथ युद्द की रंगत बदली, भारतीय वायुसेना के हवाई जाबांजों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा जमाए पाकिस्तानी सैनिकों पर हवाई हमले किए और उनके ठिकाने तबाह कर दिए।
युद्द की शुरूआत में मिग-21 विमानों का उपयोग दुश्मन के ठिकानों की तस्वीर लेने के लिए किया गया, तो Mi-7 हेलिकॉप्टर्स सैनिकों को लाने-ले जाने, राशन-हथियार पहुंचाने और घायलों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में मदद कर रहे थे।
लेकिन भारतीय वायुसेना की भागेदारी के फैसले के बाद मिग के साथ उस समय के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान मिराज-2000 और जगुआर ने उन ऊंची चोटियों पर बम गिराए, जहां पाक सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था।
60 दिन तक चलने वाले ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ में वायुसेना के करीब 300 विमानों ने 6500 बार उड़ान भरी और आसमानी हमले किये। IAF के फाइटर जेट्स ने 1235 मिशन उड़ानें भरीं और 24 बड़े टारगेट को निशाना बनाया।