श्वेता रंजन, नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह का 89 वर्षीय में निधन हो गया। सोमवार (23 अगस्त) को अलीगढ़ के नरौरा में गंगा तट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इसके चलते आज यूपी में सार्वजनिक अवकाश रहेगा। बीजेपी के ब्रांड हिंदू का सबसे बड़ा चेहरा कल्याण सिंह का नाम आते ही कई राजनीतिक और हिंदुत्व से प्रेरित घटनाएं आंखों के सामने घूम जाती हैं। चाहे वो बाबरी कांड हो या फिर हिंदुत्व की नई परिभाषा लिखने की कवायद। बतौर मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का नाम आते ही एक और नाम जहन में आता है- शार्प शूटर श्रीप्रकाश शुक्ला का। गोरखपुर का रहने वाला, एक साधारण शिक्षक का बेटा श्री प्रकाश शुक्ला जो यूपी में आतंक का पर्याय बन चुका था। जिसने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाम की सुपारी ले ली थी। बस फिर क्या था श्री प्रकाश शुक्ल की मौत ने उसे ढूंढ निकाला।
चलिये आपको बताते हैं 90 के दशक के सबसे खतरनाक अपराधी की कहानी
दरअसल श्रीप्रकाश शुक्ला को कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड नहीं था। वह तो गोरखपुर के एक शिक्षक का बेटा था। उसके अपराधी बनने की कहानी साल 1993 में शुरू हुई जब उसकी बहन को राकेश तिवारी नाम के लड़के ने सरेबाजार छेड़ दिया। बस फिर क्या था श्रीप्रकाश शुक्ला ने तिवारी का खून कर दिया और बैंकॉक भाग गया। यहीं से शुरु हुई उसके अपराधी बनने की दास्तां। शुक्ला जब वापस आया तो अपराधियों के सारे गुर सीख चुका था। वो बड़े बड़े माफिया डॉन के साथ रहने लगा। हत्या, फिरौती, लूट अब उसकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था। यूपी, बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और नेपाल तक उसका रैकेट फैल चुका था। गैर कानूनी धंधे, अपहरण, ड्रग्स, लॉटरी और सुपारी किलिंग उसका रोज का काम था।
वो जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह बनना चाहता था। उसके नाम से ही लोग दहशत में आ जाते थे। श्रीप्रकाश शुक्ला को खौफ की दुनिया में असली शोहरत बिहार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद के हत्याकांड से मिली। महज 25 साल के श्रीप्रकाश शुक्ला ने 13 जून 1998 को पटना के इंदिरा गांधी अस्पताल के बाहर बृज बिहारी प्रसाद को उनके सुरक्षाकर्मियों के सामने ही गोलियों से भून दिया था। वो अपने तीन साथियों के साथ लाल बत्ती कार में आया और एके-47 राइफल से हत्याकांड को अंजाम देकर फरार हो गया। इस घटना ने उसे अपराध की दुनिया में सबसे बेखौफ बदमाशों की श्रेणी में ला कर खड़ा कर दिया। कहा जाता है कि बृज बिहारी प्रसाद की हत्या उसने रेलवे के ठेके पर अपनी बादशाहत साबित करने के लिए किया था।
एक ओर जहां श्रीप्रकाश शुक्ला अपराध की दुनिया में एकछत्र राज कायम करने निकल पड़ा था वहीं पुलिस और सरकार इसकी तलाश में निकल पड़ी थी। पुलिस की नजर और दबिश दोनों और बढ़ गई जब खबर मिली कि श्रीप्रकाश ने यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की 6 करोड़ रुपये में सुपारी ले ली थी। जिसके बाद पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था। श्रीप्रकाश को मारने के लिए ही 1998 में STF का गठन किया गया। इस फोर्स का पहला टास्क श्रीप्रकाश शुक्ला को जिंदा या मुर्दा पकड़ना था। सर्विलांस के जरिये एसटीएफ श्रीप्रकाश तक पहुंची। और पहला एनकाउंटर श्रीप्रकाश शुक्ला का हुआ। 23 सितंबर 1998 की दोपहर यूपी के कुख्यात सुपारी किलर का काम पुलिस ने तब तमाम कर दिया जब वो अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जा रहा था। 25 साल की उम्र में उसकी आतंकी कहानी पर एसटीएफ ने फुल स्टॉप लगा दिया। कल्याण सिंह की उपलब्धियों की बात हो तो यूपी के इस खूंखार अपराधी की बात भी जरूर निकलती है।