हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस, 10 अक्टूबर को आता है लेकिन इस वर्ष यह दिन बेहद महत्त्वपूर्ण हो जाता है। विश्व स्तर पर भारत की गिनती सबसे अधिक डिप्रेस्ड देश में की जाती है। वैसे भी मानसिक स्वास्थ्य हमेशा से ही सबसे उपेक्षित रहा है।COVID-19 महामारी के चलते हमारे दैनिक जीवन में काफी बदलाव आया है। हर किसी की ज़िंदगी में तकलीफें आई हैं। कुछ हंसते खेलते उन मुश्किलों का सामना कर लेते हैं तो कुछ अवसाद में डूब जाते हैं। यह एक बेहद ही गंभीर विषय हो चला है। कोरोना का असर इससे संक्रमित मरीजों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ रहा है। अमेरिका के सबसे बड़े रिसर्च में हुए एक रिसर्च में यह बात सामने आई है। एन्नल्स ऑफ क्लिनिकल एंड ट्रांसलेशनल न्यूरोलॉजी में छपे रिसर्च के मुताबिक कोरोना से जूझने वाले एक तिहाई मरीजों के सोचने-समझने की शक्ति पर किसी न किसी रूप में असर पड़ रहा है। अमेरिका के शिकागो के शुरुआती 509 मरीजों की मानसिक स्थिति का अध्ययन किया गया है। इसमें भ्रमित होना, किसी बात का तुरंत जवाब न दे पाना, तंत्रिका संबंधी कार्यों का धीमा पड़ जाना जैसे लक्षण शामिल हैं।
क्या है भारत में मानसिक स्वास्थ्य का स्तर-
यह देखा गया है कि 2017 तक लगभग 14 फिसदी भारतीय किसी न किसी प्रकार के मानसिक विकार से जूझ रहे थे। इनमें बुजुर्ग महिलाओं की संख्या सबसे बड़ी थी। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के द्वारा किये गये एक अध्ययन के अनुसार 1990 से 2017 के बीच कुल बीमारियों में मानसिक रोगों की संख्या दोगुनी है। इसकी चपेट में 18 से 25 वर्ष की महिलाएं सबसे अधिक हैं। डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैन्युअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर के पांचवें संस्करण में करीब 300 प्रकार के मानसिक विकारों की पहचान की गई है। दुनिया के 60 फिसदी लोग ऐसा मानते हैं कि मानसिक बीमारी की सबसे बड़ी वजह अनुशासन और इच्छा शक्ति की कमी है।
कैसे हो सकता है लाभ
व्यायाम से हो सकता है फायदा- हर रोज एक रुटीन बनाएं। व्यायाम को अपने रुटीन में जरूर जगह दें। शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें, इससे मानसिक स्वास्थ्य को भी फायदा मिलेगा। मेडिटेशन करें।
अपनी समस्याओं को किसी दोस्त या परिवार से साझा करें- अगर आपको कोई भी बात मानसिक रूप से तंग कर रही है, तो आप अपने लिए समय निकालें। किसी करीबी दोस्त या फिर घर के किसी सदस्य से अपनी तकलीफ बयां करें।
मदद मांगने से घबराएं नहीं- अगर कोई भी बात आपको लंबे समय से परेशान कर रही है तो समस्या का समाधान ढूंढे। याद रहे, ऐसी कोई समस्या नहीं हैं, जिसका समाधान ना हो।
खान-पान पर विशेष ध्यान दें- हमारे खान-पान में लापरवाही कई तकलीफों को जन्म दे सकती है। जल्दबाजी में अक्सर हम खाने पर ध्यान नहीं देते या फिर जंक फूड खाते हैं। इस तरह से कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। मानसिक रूप से भी फिट रहने के लिए अच्छा खाना जरूरी है। साथ ही ब्रेकफास्ट कभी ना छोड़ें, कुछ हेल्दी खा कर ही ऑफिस, कॉलेज या फिर किसी अन्य काम के लिए निकलें।
लोगों से मिलने-जुलने से होता है लाभ- किसी भी व्यक्ति को स्वस्थ्य रहने के लिए जरुरी है कि वो लोगों से मिल-जुले, हंसे-बोले। किसी ना किसी तरह कि एक्टिविटी में खुद को शामिल करे। अगर आप शादी-शुदा हैं तो बच्चों के साथ खेलें। उनके साथ एंजॉय करें। ऑफिस में किसी भी तरह की एक्टिविटी से जी ना चुराएं और बढ़-चढ़कर उसमें हिस्सा लें।
पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में सतुंलन जरूरी- आजकल के जीवन में यह एक विकट समस्या बन चुकी है। हम ऑफिस का काम भी घर ले आते हैं। ऐसे में घर का माहौल भी खुशनुमा नहीं रहता। यह बेहद जरूरी है कि पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में बैलेंस बनाया जाए।
शौक (Hobby) के लिए भी कुछ करें- घर-परिवार और ऑफिस के अलावा खुद के लिए भी वक्त निकालें। वो करें जो आपको अच्छा लगता है- चाहे वो किताबें पढ़ना, पेंटिग करना हो या फिर संगीत की कोई ऐसी कला जो पीछे छूट गई हो उसे अपनाएं।
नकरात्मकताओं से रहें कोसो दूर- हमेशा यह कोशिश करें कि मन में अच्छे विचार ही आएं। नकारात्मक सोच नुकसान पहुंचाती है। अगर किसी ने आपके मन को ठेस पहुंचाई है तो उसे माफ कर दें। मन में बात रखने से आप खुद को ही तकलीफ देंगे।