Covid-19 Happy hypoxia:
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में म्यूकोरमाइकोसिस यानि ब्लैक फंगस और शरीर में खून के थक्के बनना के बाद हैपी हाइपोक्सिया से भी मरीजों को खतरा है। कोविड की चपेट में आने वालों के ना सिर्फ लंग्स बल्कि पर वायरस का असर पूरे शरीर को खोखला कर रहा है।
इसके नाम पर न जायें। यह खतरनाक हो सकता है। किसी भी व्यक्ति की जान जा सकती है क्योंकि यह है एक साइलेंट किलर।दरअसल, कोविड मरीज को इस बात का आभास नहीं होता कि वो कब इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ गया है। मरीज में इस बीमारी के होने के लक्षण भी नहीं दिखाई देते, ये बीमारी कोविड मरीज को हार्ट अटैक जैसा झटका देती है और फिर उसकी जान को खतरा बन जाता है।
हैप्पी हाइपोक्सिया की चपेट में आने वाले मरीज का ऑक्सीजन लेवल 30 से 50 फीसदी तक या इससे भी कहीं ज्यादा नीचे गिर जाता है लेकिन मरीज को इसका पता भी नहीं चल पाता।
जानकारों का कहना है कि यंग एज में इम्यूनिटी मजबूत होने के कारण उन्हें तकलीफ महसूस नहीं होती है लेकिन वो साइलेंट किलर हाइपोक्सिया की चपेट में आ चुके होते हैं। कोरोना के माइल्ड सिम्टम्स के कारण कई बार मरीज खुश दिखते हैं लेकिन अचानक से उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन कम होने लगता है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2020 में इंडोनेशिया में एक मरीज बुखार और गले में खराश की शिकायत लेकर अस्पताल गया। मरीज बिलकुल ठीक महसूस कर रहा था और उसे चलने-फिरने में भी दिक्कत नहीं थी। अस्पताल ने उसके पल्स, टेंपरेचर और बीपी को भी नॉर्मल पाया। लेकिन उसका ऑक्सीजन लेवल 77 था। दरअसल उस मरीज को पता ही नहीं था कि उसके शरीर को ऑक्सीजन चाहिए। इसके बाद लोगों को पता चला कि कोरोना मामलों में Happy hypoxia क्या है।
कैसे करें Happy hypoxia की पहचान
डॉक्टर्स का कहना है कि मरीजों को लगातार अपना ऑक्सीजन लेवल ऑक्सीमीटर पर चेक करना चाहिए। अगर ऑक्सीजन लेवल 90 फीसदी से कम हो तो मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है।