श्वेता रंजन, नई दिल्ली
भारतीय शास्त्रीय संगीत के विशाल जगत में अनगिनत राग-रागनियां हैं, लेकिन यदा-कदा है नई रागों की संरचना कर इसे और विस्तृत बनाया जाता है। वैसे तो नई रचनाओं के माध्यम से कला के इस संपूर्ण जगत को समृद्द करने के भरपूर प्रयास किये जाते रहे हैं लेकिन नई रागों की रचना कई बार अभिभूत कर जाती है। श्रोताओं के मन को मंत्रमुग्ध करने के लिए जयपुर के मशहूर वॉयलिन वादक पं. रवि शंकर भट्ट तैलंग ने एक नए राग की रचना की है। ‘जन रंजनी’ नाम के नये राग के बारे में पं. रवि शंकर भट्ट ने बताया कि उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत के मनमोहक रागों के मिश्रण से बनाया है। राग जन सम्मोहिनी, कलावती और शिव रंजनी के स्वरों को मिलाकर पं. रवि शंकर भट्ट ने जिस राग का निर्माण किया है वो एक श्रंगार प्रधान राग ‘जन रंजनी’ है। नये राग के नामकरण के बारे में पं. रवि शंकर भट्ट ने बताया, “चूंकि दोनों ही रागों की प्रकृति श्रोताओं का रंजन करने की रही है इसलिए उन्होंने इस राग को ‘जन रंजनी’ नाम दिया है। ‘जन रंजनी’ राग तीन रागों के स्वरों के मिश्रण से बनी है, इसलिए इसे संकीर्ण राग की श्रेणी में रखा जाएगा।”
बता दें कि जिन रागों में दो रागों के स्वरों का मिश्रण होता है उन्हें ‘छाया लग’ राग और जिन रागों में दो से अधिक रागों के स्वरो का मिश्रण होता है उन्हें ‘संकीर्ण राग-रागिनी’ की श्रेणी में रखा जाता है।