श्वेता रंजन, नई दिल्ली
2022 की शुरुआत में ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं और प्रदेश का सियारी पारा चढ़ने लगा है। पूर्व आईएएस अफ़सर व प्रधानमंत्री के चहेते अफसरों में से एक, विधान परिषद सदस्य अरविंद कुमार शर्मा के नाम की चर्चा तेज हो गई है। उम्मीद जताई जा रही है कि शर्मा प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभालेंगे।
अरविंद शर्मा सत्ता के समानांतर केंद्र?
चुनाव से ठीक पहले उपमुख्यमंत्री का पद को लेकर इतना बड़ा फेर बदल कई बातों की ओर इशारा करता है। माना जा रहा है कि अरविंद शर्मा को सत्ता में बैठा कर अमित शाह प्रदेश के कामकाज पर नजर रखना चाहते हैं। पीएम मोदी के बेहद भरोसेमंद के माध्यम से केंद्र सरकार प्रदेश की बिगड़ती व्यवस्था को संभालना चाहती है। साफ है अमित शाह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज से संतुष्ट नहीं है। जाहिर सी बात है मामला कोरोना को लेकर मचे उत्पात का हो या फिर पंचायत चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन का योगी आदित्यनाथ सरकार की खामियां उजागर हुई हैं। साथ ही प्रदेश भाजपा के अंदर से योगी को लेकर बजे बगावत के बिगुल को लेकर भी शाह घबराए हुए हैं।
शर्मा को मिल सकता है गृह मंत्रालय
कयास लगाए जा रहे हैं कि अरविंद कुमार शर्मा उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बनने के साथ ही प्रदेश का गृह मंत्रालय भी संभालेंगे। फिलहाल गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी के पास है। दरअसल, अमित शाह शर्मा का कद बढ़ाना चाहते हैं ताकि योगी आदित्यनाथ के अलावा एक समानांतर केंद्र स्थापित किया जा सके। उम्मीद तो यह भी जताई जा रही है कि अरविंद शर्मा आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी हो सकते हैं। भाजपा के संगठन व सरकार में किये जा रहे इस बदलाव से नौकरशाही पर पकड़ मज़बूत करने की ज़िम्मेदारी अरविंद शर्मा के हवाले होगी। राज्य सरकार के कामकाज से व्यापारी व ब्राह्मणों में नाराज़गी को दूर करने की कोशिश की जाएगी। अरविंद शर्मा को भी हाईकमान ने ब्राह्मण कोटे में ही रख रहा है।
योगी-शर्मा के बीच की दूरी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अरविंद शर्मा के बीजेपी में शामिल होने वाले दिन योगी की गैर-मौजूदगी मुख्यमंत्री योगी की चिंता को दिखा रही है। मोदी के चहेते के पार्टी में शामिल होने पर योगी क्यों गायब रहे। हालांकि इस मौक़े पर यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा मौजूद थे। फिर यह बात भी उठी कि जब शर्मा ने योगी आदित्यनाथ से मिलने का समय मांगा तो योगी ने उन्हें तीन दिन तक वक़्त ही नहीं दिया। लेकिन योगी इस बात को कबतक टाल सकते थे। दोनों की मुलाक़ात हुई लेकिन योगी का संदेश यूपी की सियासत में यह बड़ा बदलाव योगी को असहज कर रहा है। उनके काम करने के तरीके में उन्हें किसी नौकरशाह का दख़ल गंवारा नहीं।
योगी कैबिनेट का विस्तार
विधानसभा चुनाव से पहले योगी मंत्रीमंडल के विस्तार की खबरें आ रही हैं। चुनाव के मद्देनजर नॉन परफॉरमेंस वाले मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। पिछले दिनों एमएलसी बने पीएम मोदी के करीबी अरविंद शर्मा की वाराणसी में कोरोना प्रबंधन को लेकर जिस तरह से तारीफ़ हुई है, तब से ही कयास लगाया जा रहा है कि उन्हें योगी मंत्रिमंडल में अहम पद सौंपा जाएगा।
आरएसएस और बीजेपी की हुई थी बैठक
बीते दिनों दिल्ली में आरएसएस और बीजेपी नेताओं की बैठक हुई जिसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। बैठक में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, केंद्रीय नेतृत्व, भाजपा और उत्तर प्रदेश के संगठन महामंत्री मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, बैठक में उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर चर्चा हुई जिसमें शर्मा के नाम की मुहर लगी।
कौन हैं अरविंद कुमार शर्मा
ए.के शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सिपाहसलार माना जाता है। नरेंद्र मोदी कहीं गए हों, वह अपने साथ अरविंद शर्मा को भी ले गए। 1988 बैच के गुजरात कैडर के IAS अधिकारी रहे शर्मा बतौर सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय में थे जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। 2014 में जब मोदी ने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली तब भी शर्मा ने पीएमओ में ऐडिशनल सेक्रेटरी की जिम्मेदारी संभाली थी। स्वेच्छा से रिटायरमेंट लेने के बाद यूपी विधान परिषद चुनावों के ठीक पहले शर्मा के बीजेपी में शामिल होने से कयास लगने शुरू हो गये थे कि इसके पीछे कहीं योगी के पर कतरने की साजिश तो नहीं।
यूपी के मऊ के रहने वाले अरविंद शर्मा ने गांव के स्कूल से प्राथमिक पढ़ाई करने के बाद डीएवी इंटर कॉलेज से इंटर पास किया। फिर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन, पोस्ट-ग्रैजुएशन और पीएचडी करने के बाद वो IAS बने।