हर साल की 11 मई को भारत National Technology Day यानि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाता है, इस दिन को किस उद्देश्य से मनाया जाता है, कब से इसे मनाने की शुरुआत हुई और इस दिन को मनाने के लिए 11 मई की तारीख को ही क्यों चुना गया। इस आर्टिकल के माध्यम से इन तमाम सवालों के जवाब जानिए और इस दिन के महत्व को सरल शब्दों में समझिए।
साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले भारतीयों के सम्मान में हर साल की 11 मई को नेशनल टेक्नोलॉजी डे के रूप में मनाया जाता है। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड द्वारा इस दिन को मनाने के लिए हर साल एक खास विषय चुना जाता है और उसी थीम के आधार पर हर वर्ष भारत इस दिन को सेलिब्रेट करता है और प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड वैज्ञानिकों व इंजीनियरों और उनके तकनीकी नवाचारों को सम्मानित करता है। इस साल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की थीम रखी गई है Science and Technology for a Sustainable Future यानि एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी। ताकि कोरोना महामारी के इस संकटकाल में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को फिर से संगठित किया जा सके।
हर साल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्ली में एक बड़े समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में माननीय राष्ट्रपति महोदय आमंत्रिय किए जाते हैं, जिनके द्वारा कार्यक्रम में वैज्ञानिकों को उनकी उपलब्धियों के लिए पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया जाता है।
इस दिन को मनाने के उद्देश्य के साथ साथ एक और अहम सवाल है कि इसकी शुरुआत कब की गई, तो ऑपरेशन शक्ति के तहत राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में तीन सफल परमाणु परीक्षण के बाद 11 मई 1999 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाने की शुरुआत हुई। ये हमारे लिए गौरव की बात है कि साल 1998 में इसी दिन पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण करने के बाद भारत परमाणु क्लब में शामिल होने वाला छठा देश बना था। 11 मई की तारीख हमें साल 1998 की उस उपलब्धि को याद दिलाती है जब सफल परमाणु परीक्षण किए गए और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 11 मई को देश के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि के दिन के रूप में घोषित किया और बस यहीं से शुरुआत हुई national technology day की। इसके अलावा और भी कई मानयों में खास है 11 मई की तारीख। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस की इस तारीख को ही, भारत के पहले स्वदेशी विमान, हंसा -1 ने उड़ान भरी और DRDO ने सतह से हवा में मार करने वाली त्रिशूल मिसाइल का परीक्षण किया। यह एक त्वरित प्रतिक्रिया समय के साथ कम दूरी की मिसाइल है।