स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
क्या आप जानते हैं क्यों मनाया जाता हैं World Earth Day???
Restore Our Earth, ये बात हमें बताने की जरूरत ही क्यों पड़ रही है, क्या हम खुद नहीं जानते कि पृथ्वी की बहाली ही इंसानीजीवन को बरकरार रख सकती है। जब हम ये जानते हैं कि धरती के वजूद को होने वाला कोई भी आघात, इस पर मौजूद जीवन के लिए संकट खड़ा कर सकता है, तो फिर क्यूं हम जानते समझते, अपनी गतिविधियों के जरिए कुछ ऐसा कर रहे हैं जो हमारी धरती, बंह्माण्ड के सबसे खूबसूरत ग्रह के लिए ग्रहण का काम रही हैं। हम सब ये जानते हैं कि हमारी विकास की दौड़ में प्रकृति बीमार हो रही है, धरती रो रही है, हवाएं विषैली हो रही हैं, पर्यावरण बोझिल हो रहा है, वायुमंडण छलनी हो रहा है इंसानी कृत्यों से, फिर भी हम सब ये सबकुछ इग्नोर करके विकास की दौड़ में भीदारी दे रहे हैं, इंसान के स्वस्थ जीवन और वक्त के साथ सुविधाओं को सबल बनाने के लिए विकास जरूरी है, लेकिन ऐसा विकास जो विध्वंसकारी हो, घातक है। बस यही बात विश्वभर की आवाम को समझाने के उद्देश्य से 22 अप्रैल को दुनियाभर में अर्थ डे यानि पथ्वी
दिवस मनाया जाता है। इस लेख को पढ़िए और विचार कीजिए कि इस विषय के प्रति गंभीर होने की जरूरत क्यों है।
22 अप्रैल का दिन पूरी मानव जाति के लिए खास और एक गंभीर विषय पर आत्मचिंतन का दिन है, क्योंकि इस दिन पूरी दुनिया में अर्थ डे यानि पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है विश्वभर की आवाम में लोबल वॉर्मिंग यानि वैश्विक जलवायु संकट के प्रित
जागरुकता लाना। जिसके प्रभाव आज स्पष्ट दिखाई देने लगे हैं, ग्लेशियरों का पिघलना, गर्मी के दिनों का बढ़ना, सर्दियों का घटना, बेमौसम बरसात, बोझिल हवाएं, बंजर होती धरती, पारिस्थितिकी तंत्र का चरमनारा, सूखते प्राकृतिक जलस्त्रोत, अनजाने तूफान और प्राकृतिक आपदाएं और सबसे बड़ा संकट है चारों तरफ पैर पसारती प्लास्टिक। ये सब प्रकृति के सात हो रहे अत्याचारों का ही परिणाम है, लेकिन जागरुकता की कमी या अभाव में अधिकतर लोग इस विषय पर बात करना या सोचना-ससमझना जरूरी नहीं समझते।
कितनी अजीब सी बात है ना! इंसान ईश्वर की सबसे सुंदर रचना है, जिसने शायद उसे इसलिए रचा कि वो प्रकृति के महच्व को समझेगा, पृथ्वी को सुचारू रूप से चलायमान रखने के लिए सकारात्मक काम करेगा, जो जीवन के साथ साथ पर्यावरण और प्रकृति के लिए हितकर होंगे, लेकिन इंसान ने किया इसका ठीक उलट। कल कारखानों का अंधाधुंध प्रदूषण, वनों की कटाई, अनमोल जल की बर्बादी, एक ऐसा आवरण जिसे हम चाहकर भी फिर बना नहीं सके उस ओजोन को नुकसान पहुंचाना, ऐसे अनगिनत काम हैं जो धरती पर जीवन को धूमिल करने में अपनी हिस्सेदारी दे रहे हैं, और प्रकृति के संरक्षण को भूलकर हम पड़े हैं विकास के पीछे। बस इसी कर्तव्य को याद दिलाने के
उद्देश्य से इस दिन को मनाया जाता है, और हरेक तक ये संदेश सरल शब्दों में पहुंचाने की मुहिम चलाई जाती हैं कि भैया संभल जाओ, अब भी न संभले तो आने वाले संकट संभलने का समय नहीं देंगे।
आज इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए दुनियाभर के 195 देशों 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। जिसे मनाने की शुरुआत हुई थी अब से पांच दशक पहले साल 1970 में। इस दिन को मनाने का ख्याल पहली बार अमेरिका के सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन को आया था, जिसे मनाने के लिए आगे चलकर कई और देश भी सहमत हुए जिसके बाद नेल्सन द्वारा पृथ्वी के गुणों का सम्मान करने और साथ ही लोगों के बीच प्राकृतिक संतुलन को बढ़ावा देने के लिए इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई और 22 अप्रैल 1970 को पहला वर्ल्ड अर्थ डे यानि विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया। यानि इस साल हम 51वां विश्व पृथ्वी दिवस मना रहें हैं। जिसके बाद से विश्व के तमाम देशों में इस दिन को मनाया जाता है। आपको शायद पता न हो, कि अमेरिका में इस दिन को ट्री डे यानि वृक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है और इन्हें फादर ऑफ अर्थ यानि धरती के पिता कहा जाता है। पूरी दुनिया में अरब से ऊपर की आबादी एक साथ इस दिन को मनाती है, ये एक ऐसे जन आंदोलन के रूप में मनाया जाता है और लोग इस दिन पृथ्वी के संरक्षण का संकल्प लेते हैं। लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए विभिन्न प्रकार के ऑफलाइन, ऑनलाइन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों-कॉलेजों व संस्थानों में छात्रों से पौधे लगवाए जाते हैं औऱ पर्यावरण के विषय पर उन्हें विभिन्न प्रकार की जानकारियां दी जाती हैं, ताकि वे आगे चलकर पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझें और अपना योगदान दें। इस दिन को हर साल एक
थीम यानि विषय के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल की थीम यानि विषय है Restore Our Earth यानि हमारी पृथ्वी को पुनर्स्थापित करें।
ये तमाम बातें जानने के बाद, अब जरा सोचिए, क्या आपने अपने अभी तक के जीवन में कुछ ऐसा किया है यो पर्यावरण के लिए हितकारी या उसके संरक्षण में योगदान देने वाला हो। यदि नहीं, तो आद पृथ्वी दिवस मे पर ये प्रण लीजिए इस विषय की गंभीरता को समझेंगे और पर्यावरण को प्रदूषण के बोझ से हल्का करने में और पृथ्वी के संरक्षण में चल रही विभिन्न गतिविधियों में अपनी भागीदारी जरूर देंगे। हम खुशिस्मत हैं कि पृथ्वी प्राणी हैं एक ऐसा ग्रह जहां जीवन जीने का हर संसाधन मौजूद है वो भी बिना किसी मूल्य के। तभीतो मां की तरह पूजनीय है पृथ्वी। जो अपनी औलाद इंसान को बिना कोई कीमत लिए सबकुछ दे रही है, औऱ बदले में हम क्या दे रहे हैं अपनी पृथ्वी को????? इस विषय को समझना और इस दिशा में अपना योगदान देना ही सही मायने में पृथ्वी दिवस मनाने सार्थक करेगा जो जीवन देती है उसे जर्जर न बनाओ।
पृथ्वी के संरक्षण में अपनी भागीदारी निभाओ।