1- देश में लगातार दूसरे दिन नए संक्रमितों की गिनती में गिरावट आई है, कल सोमवार को 24 घंटे में देशभर में 3 लाख 29 हजार 379 नए मामले सामने आए हैं, जबकि इस दौरान 3 हजार 877 लोगों की मौत हुई है। राहत भरी बात ये रही कि कल रिकवर हुए लोगों की संख्या संक्रमित लोगों से ज्यादा है, 24घंटे में 3 लाख 55 हजार 745 लोगों ने कोविड संक्रमण को मात दी है। लगातार 5 दिन 4 लाख के पार गए संक्रमितों के आंकड़ों में रविवार से ये गिरावट कोरोना की दूसरी लहर के जल्द खत्म होने की उम्मीद जताती है। बीते 24 घंटों में महाराष्ट्र में जहां संक्रमण के मामलों में कमी आ रही है तो वहीं कर्नाटक में रोजाना आने वाले नए संक्रमितों की संख्या अब महाराष्ट्र से ज्यादा हो गई है। महाराष्ट्र में जहां सोमवार को 37 हजार 236 नए संक्रमित मिले और 549 लोगों की मौत हुई तो वहीं कर्नाटक में सोमवार को 39 हजार 305 नए मामले सामने आए जबकि इस दौरान 596 लोगों ने दम तोड़ा। केरल में 27 हजार 487 नए मामले मिले और 65 लोगों की मौत हुई। उत्तर प्रदेश में 24 घंटे में 21 हजार 227 लोगों में सक्रमण की पुष्टि हुई और 278 लोगों ने संक्रमण के चलते अपनी जान गंवाई। दिल्ली में भी स्थिति में सुधार दिखाई दिया, पॉजिटिविटी रेट 20 फीसद के नीचे गया है, यहां सोमवार को 12 हजार 651 नए मामले सामने आए जबकि 319 लोगों की
मौत हुई। इसके अलावा राजस्थान में 16 हजार 487 नए मामले मिले, 160 लोगों की जान गई। गुजरात में 11 हजार 592 नए संक्रमित मिले और 117 लोगों की मौत हुई। आंध्र प्रदेश में 14 हजार 986 नए मामले सामने आए और 184 लोगों की जान गई। वहीं जम्मू कश्मीर में 3 हजार 614 नए संक्रमित मिले हैं और 54 लोगों की जान गई है।
2- संक्रमण के चलते लोगों की मौत के बीच दवाओं और ऑक्सीजन की कमी या फिर ऑक्सीजन मिलने में कुछ पलों की देरी के चलते जान गंवाने वालों की गिनती भी बढ़ रही है। ऑक्सीजन मिलने में पांच मिनट की देरी से कल रात एक दर्दनाक हादसा हुआ आंध्रप्रदेश के एक सरकारी अस्पताल में। तिरुपति के रुइया सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर रिलोड करने में 5 मिनट की देरी से, ऑक्सीजन का प्रेशर कम हो गया। इससे ICU वार्ड में ऑक्सीजन की सप्लाई 5 मिनट के लिए रुक गई और इस दौरान 11 मरीजों की मौत हो गई। इस घटना पर दुख जताते हुए मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। हादसे को लेकर कलेक्टर ने कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं थी। इसकी सप्लाई भी पर्याप्त मात्रा में हो रही थी। इस हॉस्पिटल में ICU और ऑक्सीजन बेड पर 700 कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा था। जिनमें 300 मरीज नॉर्मल वार्ड में थे।
3- एक तरफ कोरोना की मार ने सभी को बेहाल किया है तो वहीं दूसरी तरफ इससे ठीक हुए लोगों में ब्लैक फंगल इन्फैक्शन के मामलों ने चिंताएं और बढ़ा दी हैं। देश में पहले ही ऑक्सीजन और कोविड 19 के इलाज में इस्तेमाल हो रही दवाओं की शॉर्टेज से हालात नाजुक बने हुए हैं और अब म्यूकोर्माइकोसिस के इंजेक्शन की भी भारी कमी की खबरें आ रही हैं। इस इंजेक्शन का इस्तेमाल ब्लैक फंगस इंफेक्शन के मरीजों के इलाज मॆं किया जा रहा है। इस फंगस के इलाज के दौरान रोगी के वजन के आधार पर रोजाना 6 से 9 इंजेक्शन की जरूरत होती है, और रोगी का इंजेक्शन कोर्स 20-28 दिन होता है, एंक इंजेक्शन की लागत 6 से 7 हजार की आती है, यानि बीमारी के इलाज पर 13 से 14 लाख का खर्च आता है। ऐसे में एक तरफ इस समस्या से ग्रसित मरीजों की गिनती बढ़ने और दवा की किल्लत होने से एक और समस्या खड़ी हो गई है।
4- दुनिया के सबसे बड़े एम्लॉयर्स में से एक भारतीय रेलवे के कर्मचारियों पर भी कोरोना अपना कहर बरपा रहा है। कोरोना काल के दौरान पूरी शिद्दत से काम करने वाली इंडियन रेलवे ने इस महामारी में अपने 1900 से ज्यादा कर्मचारियों को खोया है। रेलवे बोर्ड ने खुद इसकी जानकारी दी है। कोरोना काल में विभिन्न विभागों में कोविड संक्रमण के चलते लोगों की जानें गई हैं। इसी बीच रेलवे बोर्ड ने भी संक्रमण के चलते जानगंवाने वाले रेलवे कर्मचारियों की संख्या बताई। रेलवे बोर्ड ने खुलासा किया कि कोरोना काल में कोविड संक्रमण के चलते विभाग के 1952 कर्मचारियों ने अपनी जान गंवाई है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सुनीत शर्मा ने कहा कि रेलवे विभाग के लोग भी रोजाना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। रेलवे के अस्पतालों में उनका इलाज किया जा रहा है और इसके लिए रेलवे हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन प्लांट भी लगाए गए हैं, ताकि स्टाफ को स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा सकें। उन्होंने बताया कि विभाग में हर दिन कोरोना संक्रमण के 1000 मामले आ रहे हैं और कोरोना महामारी के कारण पिछले साल मार्च से रविवार तक 1952 रेलकर्मियों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि रेलवे के अस्पतालों में इस वक्त करीब 4000 मरीज एडमिट हैं. जो या तो रेलवे कर्मचारी हैं, या फिर उनके परिवार के सदस्य हैं। आपको बता दे कि कोरोना काल में अब तक रेलवे के एक लाख से ज्यादा कर्मचारी संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें 65 हजार रिकवर हुए हैं।
5- कोरोना के जोखिम को काफी हद तक कम करने में एक और दवा को कारगर बताया जा रहा है। कुछ शोधकर्ताओं का दावा है कि एंटीपैरासाइटिक दवा आइवरमेक्टिन का नियमित उपयोग कोविड संक्रमण के इलाज में काफी मददगार साबित को सकता है। अमेरिकी जर्नल आफ थेरपटिक्स के मई-जून अंक में प्रकाशित यह शोध क्लिनिकल, टेस्ट ट्यूब, जानवरों और वास्तविक जीवन में लिए गए आंकड़ों की व्यापक समीक्षा पर आधारित है।फ्रंट लाइन कोविड क्रिटिकल केयर अलायंस (एफएलसीसीसी) के प्रेसिडेंट और चीफ मेडिकल ऑफिसर पियरे कोरी के नेतृत्व में ही एक टीम ने इस इस दवा पर शोध किया है और अध्ययनों में ये पाया गया है कि आइवरमेक्टिन दवा के नियमित सेवन से कोरोना की चपेट में आने का जोखिम काफी कम किया जा सकता है। रिसर्चर्स का ये भी कहना है कि दुनिया भर के कई क्षेत्रों में अब ये माना जा रहा है कि आइवरमेक्टिन, कोरोना का एक शक्तिशाली रोगनिरोधक और इलाज है।
6- कोरोना महामारी के बीच सरपट दौड़ती जिंदगी की रफ्तार थम सी गई है। तमाम कामों की तरह ही स्कूल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं अपनी परीक्षाओं को लेकर परेशान हैं इसी बीच UGC यानि University Grants Commission परीक्षाओं से जुड़ा फैसला विश्वविद्यालयों पर ही छोड़ा है। UGC ने कहा है कि विश्वविद्यालय स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षाएं कराने या फिर छात्रों को सीधे प्रमोट करने का फैसला खुद ले सकेंगे। वैसे मौजूदा स्थिति को देखते हुए अधिकतर कॉलेज सिर्फ फाइनल इयर को छोड़कर बाकी सभी स्टूडेन्ट्स को बिना एग्जाम ही अगली क्लास में प्रमोट करने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं फाइनल ईयर के एग्जाम जुलाई-अगस्त में कराने की भी प्लानिंग की जा रही है हालांकि फाइनल एग्जाम को लेकर कोई भी फैसला जून के पहले हफ्ते में कोरोना के हालात के मद्देनजर ही लिया जाएगा।