स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल कैसे जिन्दगी बदल सकता है, आज की इस कहानी को पढ़कर आप ये आसानी से समझ पाएंगे साथ ही ये स्टोरी आपको भी प्रेरित करेगी कुछ नया करने के लिए। कहानी है लखनऊ की दो बहनों की, जिनकी आंखों में ख्वाब तो थे लेकिन हकीकत में तब्दील कैसे हों ये एक बड़ा सवाल था, फिर कुछ ऐसा हुआ कि महज चार साल में, 300 रुपये से शुरु हुआ सफर लाखों के मुकाम तक पहुंचा। कहानी दिलचस्प है और प्रेरणादायी भी, इसलिए पूरी पढ़िएगा।
जब हौंसला बना लो ऊंची उड़ान का फिर देखना फिजूल है कद आसमान का, क्योंकि दोस्तों जिन सपनों में हौसले होते हैं वे ऊंची-से-ऊंची उड़ान भरने में कामियाबी भी वहीं पाते हैं, कुछ ऐसी ही कहानी है लखनऊ की दो बहनों की। 27 साल की नाजिश बीकॉम कर चुकी हैं और 23 साल की इंशा भी ग्रेजुएट हैं। इनकी आंखों में कुछ बड़ा करने के ख्वाब तो थे लेकिन परिवार आर्थिक रूप से इतना संपन्न नहीं था। हालांकि सुई धागे की दुकान चलाने वाले पिता ने हर आर्थिक तंगी से जद्दोजहद करते हुए बच्चों को शिक्षा दिलाने में कोई कमी नहीं की, लेकिन इन बहनों को अब कुछ ऐसा करना था जो परिवार के हालात को बदल सके। नाजिश बैंक ऑफिसर या सीए बनना चाहती थीं, लेकिन एक दिन बातों बातों में उनके भाई ने उन्हें ऑनलाइन बिजनेस का हिंट दिया और बताया के फ्यूचर में ऑनलाइन बिजनेस काफी फलने फूलने वाले हैं।
भाई की दिखाई राह दोनों बहनों के लिए कामयाबी की सीढ़ी साबित हुई। 300 रुपये लगाकर नाजिश ने छोटी बहन इंशा को साथ लेकर कोल्हापुरी चप्पलों के जिस व्यवसाय को सोशल मीडिया के माध्यम से शुरु किया। आज उसी व्यवसाय ने उन्हें कामियाबी और पहचान दोनों दी हैं। दोनों बहनें फैशन और ट्रेंड के मुताबिक कोल्हापुरी जूती-चप्पलों पर कढ़ाई करती हैं और हाथ से क्रिएटिव डिजाइन तैयार करती हैं। जिन्हें लोग खूब पसंद करते और खरीदते हैं। 4 साल में इन बहनों ने अपना मुनाफा लाखों में पहुंचाया है और ऑर्डर सिर्फ इंडिया नहीं विदेशों तक से आते हैं, बॉलीवुड की कई ऐक्ट्रेस इन बहनों की कस्टमाइज की हुई कोल्हापुरी जूती और चप्पलों की पहनती हैं।
नाजिश का ये सफर 4 साल पहले कुछ यूं शुरु हुआ कि लिए भाई की सलाह, प्रेरणा के साथ-साथ सपनों के पूरा होने की राह बनी। नाजिश का परिवार घर में ही चप्पलों और जूतियों पर हाथ की कारीगरी में माहिर था। आसपास के लोग भी उनके इस हुनर की काफी तारीफें भी करते थे। बस फिर क्या था, नाजिश ने इसी हुनर को रोजगार बनाने का फैसला किया और छोटी बहन इंशा, जो उस वक्त ग्रेजुएशन कर रही थी उनके साथ मिलकर कोल्हापुरी चप्पलों-जूतियों पर क्रिएटिव डिजाइन बनाने की शुरुआत की। मां से 300 रुपये लेकर नाजिश बाजार से कोल्हापुरी चप्पलें लाईं और दोनों बहनों ने अपनी पसंद की डिजाइन चप्पलों पर बनाकर इनकी तस्वीर इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दी। शुरुआती तीन महीने नाजिश को कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला लेकिन उसके बाद लोगों ने इंस्टाग्राम पेज को देखना शुरु किया, कलेक्शन के बारे में सवाल पूछे जाने लगे और फिर खरीदारी भी शुरु हो गई।
जब ऑर्डर्स मिलने शुरु हुए तो दोनों बहनों ने इस बिजनेस को विस्तार देने का फैसला किय़ा और सोशल मीडिया के सभी प्लेटर्म्स पर Talking Toe नाम से एक पेज बनाया, जिसपर कस्टमाइज्ड कोल्हापुरी सेंडल्स और चप्पलों की पिक्चर्स डालनी शुरु कीं। ऐसे-ऐसे डिजाइन्स जो किसी मॉल या स्टोर पर मिलना मुमकिन नहीं लेकिर नाजिश और इंशा, कस्टूमर की पसंद के मुताबिक भी कोल्हापुरी को ऑर्डर पर तैयार करती हैं। एक दुल्हन की डिमांड पर इन बहनों ने कोल्हापुरी जूती पर बादशाह की बेगम का डिजाइन तैयार किया। जब य़े डिजाइन इन्होंने अपने पेज पर पोस्ट किया तो 250 के करीब ऑर्डर मिले और इसके बाद दोनों बहनों ने शादियों और दुल्हन के लिए भी कोल्हापुरी फुटवेयर कस्टमाइज करने शुरु किये।
वक्त के साथ साथ नाजिश और इंशा का बिजनेस इतना फला-फूला है कि आज उन्होंने 4 और लोगों को भी रोजगार दिया है जिन्हें वो 10 हजार रुपये महीने की सैलरी भी देती हैं। देश के साथ साथ दुबई, अमेरिका, यूके, इटली, सिंगापुर और मॉरिशस जैसे देशों से भी उन्हें फुटवेयर के ऑर्डर मिलते हैं। दोनों बहनें अभी तक 15 हजार से ज्यादा डिजाइन बना चुकी है।
साल 2018 में नाजिश को ऑर्डर मिला अमृता सिंह से। पहले तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ लेकिन जब अमृता ने कहा कि वे सारा अली खान की मां हैं और नाजिश की डिजाइन की हुई कोल्हापुरी चप्पलें खरीदना चाहती हैं तो नाजिश बेहद खुश हुईँ। अमृता ने सारा और अपने लिए 10-12 जोड़े का ऑर्डर दिया। किसी बॉलीवुड सेलिब्रिटी से ऑर्डर मिलना औऱ प्रोडक्ट की तारीफ सुनना, नाजिश के लिए अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी। इसके बाद नाजिश को ये यकीन हो गया कि बाजार में उनके काम को पहचान मिल रही है और बस, सफर दिन ब दिन मजबूत होता गया। आज सानिया मिर्जा, विद्या बालन, नेहा धूपिया, परिणीति चोपड़ा औऱ डेजी शाह जैसी कई नामी हस्तियां Talking Toe के वुटवेयर पहनती हैं।
नाजिश थोक रेट पर कोल्हापुरी चप्पलें डीलर से खरीदतीं हैं जिनकी अच्छी क्वालिटी और साइज आदि के लिए वो डीलस को एक्स्ट्रा चार्ज भी करती हैं और फिर दिन के 18 घंटे इन चप्पल-जूतियों को कस्टमाइज किया जाता है। हर डियाइन को हाथ से तैयार करने में 20 मिनट लगते हैं, और अगर डिजाइन बारीक हो, जिसमें शीशें आदि लगाने के साथ साथ कढ़ाई भी करनी हो तो हरएक को तैयार करने में 1 घंटे का वक्त लगता है। इस तरह दिनभर अलग-अलग डिजाइन्स पर काम होता है। नाजिश बताती हैं कि उऩ्हें रोजाना 120 से ज्यादा ऑर्डर्स मिल जाते हैं, इन्होंने अपने ब्रॉंड के बेसिक पेयर की कीमत 900 रुपये रखी है और जूती 1200 से 3000 रुपये की कीमत की हैं।
क्या नाजिश ने खुद उस वक्त सोचा होगा कि जिस बिजनेस को वो मात्र 300 रुपये लगाकर शुरु कर रही हैं उसी कोल्हापुरी चप्पल का एक-एक जोड़ा वो महज 4 साल बाद 3000 हजार रुपये तक का भी बेच पाएंगी, लेकिन देखिए आज न सिर्फ नाजिश के सपनों को पंख मिले हैं, बल्कि इन पंखों ने वो बुलंदी भी पाई है तो कुछ बरसों पलहे मजह एक ख्वाब थी और सब संभव हुआ सिर्फ इसलिए क्योंकि इन दोनों बहनों के हौसलों में उड़ान थी। तभी तो कहते हैं मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता दोस्तों हौसलों में उड़ान होती है