दिल गोरा हो या काला…पर हो सच्चा दिलवाला……दिल चाहिए बस मेड इन इंडिया।
अलीशा चिनॉय चनाय का यह गाना तो आपने जरूर सुना होगा। जी हां, यह महज़ गाना नहीं बल्कि सच्चाई है। यकिन ना हो तो अपने आसपास नज़र दौड़ाए यह जरूर देखने को मिलेगा कि कोई चाहे विदेशो की सैर कर रहा हो लेकिन दिलरूबा चाहिए भारतीय युवती। आखिर हो भी क्यों ना शादी के साईड इफेक्ट्स से बचने की चाहत जो है।
ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि वो भारतीय युवक जो सालों से विदेश में सेटेल हैं उन्हें भी शादी के बंधन में बंधने के लिए भारतीय लड़कियों की तलाश रहती है। भारतीय सभ्यता औऱ संस्कृति के आगे विदेश की चमक के धूमिल हो जाती है। कुछ तो हैं यहां की मिट्टी में जिसकी खूशबू के आगे सब बेकार हो जाता है। डॉलर कमाने वाले दूल्हे भी भारतीयता के आगे सिर झुकाते नजर आते हैं। आखिर कुछ तो दम है भारत की रगों में जो विदेशी गोरियों की चमक को भी मध्यम कर देता है।
अमेरिका के शिकागो शहर में रहने वाली गीतिका पहले भारत में एक सामान्य नौकरी किया करती थी। ना सिर्फ गीतिका बल्कि उनके माता-पिता की भी दिली ख्वाहिश थी कि गीतिका विदेश में रहने वाले किसी भारतीय युवक से शादी करे ताकि गीतिका एक सामान्य जीवन से उपर उठ सके। गीतिका के पति रोहन भी कई 2005 से अमेरिका में रह रहे थे लेकिन जब जीवनसाथी के रूप में एक पार्टनर की तलाश शुरू हुई तो उनकी पहली पसंद भारतीय नारी ही थी। वो एक ऐसी पत्नी की तलाश में थे जो पति और बच्चों के प्रति समर्पित हो। पढी लिखी हो लेकिन नौकरी से अधिक परिवार को महत्व दे।
2009 में जब गीतिका और रोहन एक दूसरे से मिले तो उन्हें अपनी जरूरतें पूरी होती दिखीं।
आज गीतिका अमेरिका में अपनी एक बेटी के साथ एक सफल जीवन जी रही हैं वो कहती हैं, “हमदोनों में एक बेहतरीन सामंजस्य है क्योंकि हम दोनों का ताल्लुक भारत है। हम जानते हैं कि भारत के लोगों की सोच कैसी होती है। भले ही हम आधुनिकता की ओर तेज़ी से कदम बढ़ा रहे हों लेकिन हमारी चाहत भारतीय ही होती है।”
रोहन कहते हैं, “मैंने कई साल अमेरिका में बिताए हैं लेकिन यहां मैंने यही देखा है कि रिश्ते बहुत ही कच्चे होते हैं। ज़रा ज़रा सी बात पर पति-पत्नी अलग हो जाते हैं। मेरी पसंद शुरू से ही भारतीय लड़की की थी।”
नंदिनी…कोलकात्ता में पली-बढ़ी हैं। एक अतिमध्यमवर्गीय परिवार से इनका ताल्लुक है लेकिन अब वो आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में उत्तम जीवन यापन कर रही हैं। नंदिनी के पति वरूण सिडनी की एक बड़ी कंपनी में कार्यरत हैं। वर्ष 2001 से वो वहीं सेटेल हैं लेकिन जब उनकी शादी की बात निकली तो परिवार के लोगों ने भारतीय लड़की की ही चाहत रखी। उनका मानना था कि भारतीय लड़कियों के साथ एडजस्टमेंट आसान होता है। वो भारतीय परंपराओं को जीवित रखती है। लड़के (पति) के साथ साथ वो माता-पिता का भी सम्मान करती हैं। किसी दूसरे देश की लड़की भारतीय परंपराओं से अंजान होती हैं ऐसे मे आने वाली पीढ़ी को हमारी सभ्यता संस्कृति का ज्ञान नहीं हो पाता है।
वरूण अपनी माता-पिता से पूरी तरह से सहमत थे। वो भी एक ऐसी भारतीय लड़की का साथ चाहते थे जो उन्हें समझ सके, माता-पिता का आदर कर सके। ऐसे में वरूण ने नंदिनी का हाथ थामा। आज दोनों सिडनी में जिंदगी का भरपूर आनंद उठा रहे हैं। उनके सफल दांपत्य जीवन के लिए वो खुद के फैसले की सराहना करते हैं।
नंदिनी कहती हैं, “मैं दूसरे देश जाकर बसना चाहती थी लेकिन किसी विदेशी से शादी करना तो सोच से भी परे बात थी। ठीक उसी तरह वरूण चाहते तो किसी विदेशी युवती से शादी कर सकते थे लेकिन भारतीय सोच को एक भारतीय लड़की से बेहतर कौन समझ सकता था।”
क्यों पसंद हैं भारतीय युवतियां- भारतीय महिलाओं की छवि चाहे कितनी ही आधुनिक हो जाए यह माना जाता है कि भारतीय लड़कियां अभी भी भारतीय युवकों के लिए सबसे उपयुक्त पार्टनर हैं। भारतीय हसिनाएं एक सफल दिलरूबा के रूप में सबसे सही हमसफर मानी जाती हैं क्योंकि इंडियन ब्यूटी में वो खासियत है जो किसी भी रिश्ते को ज़िंदा रखने के लिए सबसे जरूरी है। सबसे पहले तो बात आती है भारतीय संस्कृति की जो हर मायन से बाकि देशों से बेहतर मानी जाती है। यहां की लड़कियों में वो संस्कार पिरोए जाते हैं जो उन्हें रिश्तों की अहमियत का पढाता है। उन्हें बचपने से ही यह शिक्षा दी जाती है कि पति परमेश्वर होता है। हालांकि आधुनिकता की चमक के आगे काफी हद तक यह बात नाकारा साबित होती है लेकिन फिर भी यह बात जगजाहिर है कि भारतीय महिलाएं अभी भी अपने पति के प्रति समर्पण का संपूर्ण भाव रखती हैं।
अगर वह रिश्ते से खुश नहीं है तो अलग हो सकती हैं, लेकिन फिर भी वह उस रिश्ते का बोझ उठाती रहती है… ऐसी कई वजहें होती हैं जिनकी वजह से लड़कियां किसी रिश्ते को तोड़ना चाहते हुए भी उनमें बनी रहती हैं।ज्यादातर लड़कियां जब किसी रिश्ते में खुद को खुश नहीं मानती और अलग होना चाहती हैं, तब भी उस रिश्ते में बंधी रहती हैं। उसकी सबसे बड़ी वजह है उनका आशवादी होना। लड़कियां हमेशा यह सोचकर पीछे नहीं हटती कि आने वाले दिनों में शायद सब ठीक हो जाए।
भारतीय युवतियां क्यों निभाना चाहती हैं रिश्ते –
भारत अभी भी पुरूष प्रधान देश है। यहां के समाज में पुरूषों को एक अलग दर्ज़ा प्राप्त है और उन्हें घर का मुखिया माना जाता है ऐसे में औरतों को हमेशा से ही पति पर निर्भर रहना सिखाया जाता है। आखिरकार लड़कियां यह सोचने लगती हैं कि पति से अलग होने पर खुद का तथा बच्चों का पालन पोषण मुश्किल हो जाएगा।
भारत में तलाक अभी भी एक कलंक माना जाता है, खासतौर पर महिलाओं के लिए। दरअसल भारत में पले बढ़े लोगों की मानसिकता पाश्चात्य पद्दति से थोड़ी अलग है। यहां भारतीय होम का कॉन्सेप्ट अभी भी ज़िंदा है।
लड़कियों के लिए अक्सर उनके दोस्त, घर वाले और समाज बहुत महत्व रखते हैं। ऐसे में वह बुरे से बुरे रिश्ते को भी यह सोचकर झेल लेती हैं कि कहीं उनके दोस्त, घर वाले या पड़ोसी उन्हें ही गलत न समझें। कहीं लोग यह न कहें कि वह एक रिश्ता भी नहीं बचा पाई या वह तो ऐसी ही है…
कुछ लड़किया ऐसी भी होती हैं, जिन्हें आप जितना भी बुरा भला कह लें। उनके साथ कितना भी खराब व्यवहार कर लें। वे पल भर के गुस्से और नाराजगी के बाद फिर से शांत हो जाती हैं। कई बार तो अपनी गलती न होने पर भी नाराजगी दूर कर साथी को सॉरी बोल कर बात करना शुरू कर देती हैं। इस नेचर की लड़कियां भी रिश्ते में तमाम कमियों के बावजूद उसे तोड़ नहीं पाती, क्योंकि उनके मन में लाखों खट्टे अनुभवों के ऊपर साथी के साथ बिताए कुछ मीठे पल भी भारी होते हैं। ऐसी लड़कियां हमेशा अच्छी यादों और पलों के लिए भी बेजान रिश्ते का बोझ उठाती रहती हैं…
कुछ लड़कियां वर्किंग होती हैं, ठीक ठाक कमा भी लेती हैं, घर से दूर अकेले रह कर काम भी करती हैं। फिर भी उन्हें किसी न किसी दोस्त या सहारे की जरूरत हमेशा महसूस होती है। ऐसी लड़कियां अक्सर सब कुछ होने और करने के बावजूद खुद पर भरोसा नहीं कर पातीं। इस तरह के नेचर की वजह से भी अक्सर लड़कियां किसी बोझिल हो चुके रिश्ते से अलग नहीं हो पातीं, क्योंकि उन्हें खुद पर इतना भरोसा ही नहीं होता कि वह अपने साथी के बिना रह सकती हैं।
शादी या सौदा-
कई बार इस तरह की शादी को सौदा भी माना जाता है। पंजाब जैसे राज्य में यह एक विकराल समस्या बन चुका है। पंजाब के हर घर का सबसे बड़ा सपना होता है बेटियों को अमेरिका भेजना। मां-बाप बचपने से ही बेटियों के जहन में यह बात शुरू करते हैं कि उसकी शादी किसी अमीर और विदेश में डॉलर कमाने वाले लड़के से होगी। ऐसे में लड़कियां शादी के बाद देश से बाहर जाने के सपने बुनने लगती हैं। यही ख्वाब पंजाब के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है। लड़कियां बाहर जाने के बाद प्रताडित की जाने लगती हैं। लड़कियों को दूसरे देशों में ले जाकर उन्हें नौकरानी बना कर रखना, बच्चा पैदा करने की एक मशीन के रूप में उनका शोषण होना हर घर की बानगी है।
बाहर रहने वाले लोगों की चाहत भारतीय युवतियां इसलिए भी होती हैं क्योंकि वो अपनी विरासत, खानदान और कुनबे को चलाने की चाहत रखते हैं। ऐसे में कई मर्द शादी तो भारतीय लड़कियों से करते हैं लेकिन उनके इश्क के धागे विदेशी गोरियों से जुड़े होते हैं।
वजह चाहे जो भी हो यह तो तय है कि भारतीयता की परख विदेशों में रहने वाले लड़कों को अच्छी तरह है तभी तो वो भारतीय लड़कियों को अपनी ज़िंदगी में सबसे अहम् दर्ज़ा देते हैं। सच ही तो है……मेड इन इंडिया जैसा कुछ भी नहीं।