‘दे गेट नॉटी आफ्टर फोर्टी’ मर्दों के लिए कही गयी यह बात तो आपने अक्सर सुनी होगी, लेकिन महिलाओं पर कौन सी बात लागू होती है कभी सोचा है आपने? मशहूर फिटनेस एक्सपर्ट नमिता जैन की लिखी किताब ने यह साबित कर दिया है कि आज की महिलाएं ‘गेट सेक्सी आफ्टर सिक्स्टी’। यकिन ना हो तो अपने आसपास नज़र दौड़ाइए, गौर फरमाइए यह सच प्रतीत होगा कि आजकल 60 वर्ष की महिलाएं भी नवयुवतियों से कम नहीं। जी हां मत भूलिये कि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। आधुनिकता और फिटनेस का जितना भूत नौजवानों पर सवार है उतना ही 60 साल से उपर की महिलाएं भी जागरुक हैं। नये जमाने के साथ उन्होंने अपने जीने का अंदाज़ भी बदल लिया है। नये युग के साथ सोच भी नई हो गई है। महिलाओं ने भी ‘मी टाईम’ यानि खुद के लिए वक्त निकालना शुरू कर दिया है क्योंकि वो मानती हैं कि जो महिलाएं ‘मी टाईम’ निकालती है वो ज्यादा खुश रहती हैं और अपनी ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभाती हैं।
अब देखिये ना नमिता जैन ने अपनी किताब ‘सेक्सी ऐट सिक्स्टी’ का विमोचन किससे करवाया। जी हां ड्रीम गर्ल हेमा मालीनी से। 67 की उम्र लेकिन जोश और ताज़गी वही पुरानी वाली। 1977 की ड्रीम गर्ल आज भी कईयों की ड्रीम गर्ल बनने का दम रखती है।
जब हेमा मालिनी 67 की हो कर भी फिल्मों में काम कर सकती हैं, फिल्में प्रोड्यूस करने की हिम्मत जुटा सकती हैं तो बाकि की महिलाएं क्यों नहीं। हेमा मालिनी के द्वारा लांच की गई किताब इस बात की ओर इशारा करती है कि औरतें चाहें तो उम्र के इस पड़ाव पर भी खूबसूरत दिख सकती हैं। उम्र चाहे कितनी भी हो चेहरे पर झुर्रियां और लकीरें तभी गहराती हैं जब हम मन से उसके गुलाम बन जाते हैं।
वो कहती भी हैं सेक्सी का अर्थ गलत ना निकाला जाए इसका उपयोग किसी औरत की सुंदरता की तारीफ के लिए भी किया जाता है और सेक्सी दिखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि महिलाएं हरदम पोजीटिव महसूस करें। लांच के अवसर पर ही हेमा ने योगा की खूबियों का भी बखान कर डाला। यानी सेक्सी और आकर्षक दिखने के लिए सबसे अधिक जरूरी है फिटनेस और मन की प्रसन्नता।
आज हम बात सिर्फ हेमा मालिनी की नहीं कर रहे। बात आम महिलाओं की भी हो रही है। आज की आम महिलाएं भी खास दिखती हैं या फिर दिखने की इच्छा रखती हैं। उम्र चाहे कितनी ही क्यों ना हो सबसे अधिक महत्वपूर्ण है मन की प्रसन्नता जो कि महिलाओं को तभी मिलती है जब वो अपनी पसंद से जिएं, पसंद के लिए जीना सीख जाएं।
जानी मानी न्यूट्रीशनिस्ट मेघा शर्मा कहती हैं उनके क्लाइन्ट्स में ज्यादातर वो महिलाएं हैं जिनकी उम्र बहुत हो चुकी है वो जो साठ के करीब हैं या साठ पूरा कर चुकी हैं। “बहुत ही अच्छा लगता है जब मैं इन महिलाओं को खुद के प्रति इतना सजग देखती हूं। सेक्सी एट सिक्सटी की खूबी तो यह है कि इतनी उम्र का असर उनके मन को कमजोर नहीं करता है। दरअसल ये महिलाएं इस उम्र तक आते आते अपनी हर जिम्मेदारियों से तकरीबन मुक्त हो जाती हैं। उनके बच्चे सेटेल हो जाते हैं और तब उनके पास अपने लिए बहुत समय होता है जो वो खुद को फिट रखने और खूबसूरत दिखने के लिए उपयोग में लाती हैं।”
अनीता सिंह, गायनेकॉलोजिस्ट हैं और वो कहती हैं कि जब तक हम जवान होते हैं हमारे उपर हर तरह का बोझ होता है। स्त्रियां पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के तले भी बहुत दबी होती हैं साथ ही चालिस की उम्र से तो उनमें कई हारमोनल बहलाव होने लगते हैं जिसके कारण वो बेहद चिढचिड़ी भी हो जाती हैं। मेनोपॉस आने के बाद तो शरीर में कई तरह के हॉरमोनल बदलाव आते हैं क्योंकि महिलाओं की ओवरीज़ कम हॉरमोंस् रिलीज़ करती है जिस कारण महिलाओं को कई प्रकार के शारीरिक परिणाम भुगतने पड़ते हैं लेकिन आजकल कई महिलाएं ऐसी हैं जो खुद पर इस बात का कोई असर नहीं आने देती है। वो मेनोपॉस के बाद काफी फ्रि भी महसूस करने लगती हैं। पहले जहां मेनोपॉस को लेकर कई अवधारणाएं थी कि इससे स्त्रीत्व को हानि पहुंचता है अब वैसी धारणाएं खत्म हो चुकी है। मेनोपॉस को लेकर औरतें अब बेफिक्र नज़र आती हैं औऱ वो एक नए अंदाज़ में अपना जीवन शुरू करती हैं”।
64 वर्षीय सुजाता सिंह बताती हैं, “कुछ तो है जो उन्हें भी अपनी जिस्मानी खूबसूरती को लेकर जागरूक कर रहा है। इसकी सबसे बडी वजह है महिलाओं के भीतर स्वयं को लेकर आई जागरूकता। आज की महिलाएं 60 वर्ष के बाद भी उम्र की लकीरों से खुद को बचा कर रख रही है। पहले जहां उम्र की दस्तक को चेहरे की झुर्रियां से मापा जा सकता था वहीं अब उम्र का अंदाज़ा भले ही लगाया जा सकता हो लेकिन फिटनेस के प्रति आई उनकी जागरूकता उन्हें नई ताज़गी से भर देता है”।
60 साल के उम्र की दहलीज पार करते ही अक्सर मन में रिटायरमेंट की दहशत, लाचारी और बुढ़ापे का डर और एक अनजाना खौफ घर करने लगता है। हमारे आसपास, पड़ोस में हम अक्सर ऐसा ही देखते और सुनते रहे हैं। पहले जहां व्यक्ति अपनी जवानी के दिनों में ही फुर्तीला और चुस्त दिखता था वहीं 60 की उम्र के बावजूद शारीरिक और मानसिक ढलान नहीं नज़र आता है। आज की औरतें खुद को असहाय मान बुढ़ापे को उम्र का एक खूबसूरत पड़ाव मानती हैं ना कि उसे खौफनाक चेहरा समझ उसके सामने नतमस्तक हो जाती हैं।
गुड़गांव की रहने वाली 62 साल की सविता जैन मानती हैं कि असली रोमांच की शुरूआत ही 60 साल के बाद होती है। सविता पेशे से एक बैंकर रही हैं लेकिन रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपनी ज़िंदगी को एक नई राह पर मोड़ दिया है। वो कहती हैं,“पहले मैं बेहद व्यस्त थी। काम और बच्चों तक ही ज़िंदगी सिमटी थी लेकिन रिटायरमेंट के बाद हर रोज़ मैं मार्निंग वॉक पर जाती हूं। मैं और मेरे पति दोनों ही अक्सर एडवेंचरस यात्रा पर निकल जाते हैं। पहाड़ों की सैर, खुद के लिए थोड़ा वक्त और स्विमींग करके हम बहुत ही अच्छा और फिट महसूस करते हैं।”
अगर आप भी इसी दौर से गुजर रहे हैं तो खुद को और अपने आसपास के लोगों को झकझोरिये, जगाइये और यह समझाइये की उनकी यह सोच बिलकुल ही गलत है। 60 वर्ष की उम्र के बाद भी एक नया जीवन बांहें पसारे खड़ा होता। उसे बस गले लगाने की जरूरत है, और बस पल भर में जिंदगी करवट ले सकती है।