हर साल की 25 अप्रैल को विश्वभर में World Malaria Day यानि विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से जुड़ी कुछ अहम बातों को इस आर्टिकल के माध्यम से जानें।
World Malaria Day, इस दिन को मनाने के लिए कैलेंडर में एक तारीख निर्धारित की गई है 25 अप्रैल। यूनिसेफ द्वारा इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य है मलेरिया जैसे खतरनाक रोग के प्रति लोगों को आगाह व जागरुक करना। वैसे वैश्विक स्तर पर इस बीमारी के प्रति जितना सजग होने की जरूरत है उससे कहीं ज्यादा राष्ट्रीय स्तर पर इसके प्रति जागरुकता की जरूरत है, क्योंकि विश्वभर में मलेरिया के कुल मामलों में से 11 फीसदी अकेले हिन्दुस्तान से होते हैं।
इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई 2008 से और 25 अप्रैल 2008 को पहला World Malaria Day मनाया गया। इस दिन को इस उद्देश्य से मनाया जाता है कि लोगों का ध्यान इस विषय की तरफ आकर्षित कर उन्हें इसके निवारण और नियंत्रण के प्रति जागरुक किया जा सके क्योंकि मलेरिया, मच्छरों से फैलने वाला एक ऐसा संक्रामक रोग है जिससे हर साल लाखों लोगों की मौत होती है।
भारत को साल 2027 तक मलेरिया मुक्त करने और 2030 तक इसके उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है, इस लक्ष्य को हासिल करने और मलेरिया से हर साल होने वाली मौतों पर विराम लगाने के लिए सरकार विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जागरुक कराने का कार्य कर रही है उसी का परिणाम है कि बीते दो दशकों में भारत में मलेरिया से होने वाली मौतों का आंकड़ा घटा है।
आपको बता दें कि भारत के अलावा भी दुनिया में100 से ज्यादा ऐसे देश हैं जहां लोगों को मलेरिया का खतरा है, ये सभी देश एक मच्छर के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारी मलेरिया से लड़ रहे हैं। अक्सर गंदगी वाली जगहों, नम इलाकों या जहां रिहाइशी इलाकों के आसपास पानी जमा रहता हो वहां मच्छरों के पैदा होने से मलेरिया बीमारी बहुत जल्दी पैर पसारती है। लोग इन चीजों को अनदेखा करते हैं और इस बीमारी का शिकार होते हैं, और जागरुकता की कमी के चलते मरने वालों में ग्रामीण व अविकसित क्षेत्र के लोगों की संख्या ज्यादा होती है इसीलिए इस बीमारी के प्रति जागरुकता फैलाने का काम इस दिन के माध्यम से किया जाता है।
वैसे मलेरिया इटालियन भाषा के शब्द माला एरिया से बना है, जिसका मतलब होता है बुरी हवा और बात अगर इस बीमारी के इतिहास की करें, तो मौजूदा समय में फैली महामारी कोरोना की तरह ही कहा जाता है कि मलेरिया बीमारी को भी सबसे पहले चीन में ही पाया गया था, जहां इसे उस समय दलदली बुखार कहा जाता था क्योंकि ये बीमारी गंदगी से पनपती है। इस बीमारी पर सबसे पहला अध्ययन साल 1880 में वैज्ञानिक चार्ल्स लुई अल्फोंस लैवेरिन ने किया था। मलेरिया एक प्रमुख वेक्टरजनित बीमारी है जो संक्रमित मच्छरों की एक प्रजाति मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होती है। इसके अलावा अगर कोई असंक्रमित मच्छर यदि किसी मलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काट
ले तो वो भी इस बीमारी से संक्रमित हो जाता है और फिर ये संक्रमित मच्छर बहुत से स्वस्थ लोगों को संक्रमित करते हैं औऱ इस तरह मलेरिया संक्रमण का चक्र बढ़ता रहता है। और क्योंकि मलेरिया खून के जरिए फैलता है इशलिए ऑर्गन डोनेट या ट्रांसप्लांट, ब्लड डोनेशन और निडिल शेयर करने से भी फैलता है। यहां तक कि मरेलिया संक्रमित मां से जन्म लेने वाले बच्चे को भी मलेरिया हो सकता है। जहां तक बात है इसके लक्षणों की तो मलेरिया ज्यादातक बारिश के मौसम में होता है क्योंकि तब मच्छर ज्यादा पनपते हैं।
मलेरिया होने पर बुखार आना, घबराहट होना, सिरदर्द, हाथ-पैर दर्द, कमजोरी आदि लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों को अधिक नजरअंदाज करना स्थिति को गंभीर कर सकता है। ऐसी ही कुछ और जरूरी बातें हैं इस बीमारी से जुड़ी, जिनकी जानकारी की कमी और
जागरुकता के अभाव के कारण ये बीमारी खत्म नहीं हो सकी। बस इसीलिए विश्व मलेरिया दिवस मनाने की जरूरत पड़ी।
हर साल विश्व मलेरिया दिवस को एक खास विषय के सात मनाया जाता है और उसी विषय के साथ इस दिन विश्वभर में तमाम तरह के जागरुकता कार्यक्रम किए जाते हैं। इस साल वर्ल्ड मलेरिया डे की थीम रखी गई है “Reaching the zero malaria target” यानि ‘जीरो मलेरिया लक्ष्य की ओर बढ़ना है’। इस तरह के प्रेरक विषयों के साथ इस दिन को मनाने का मकसद है किसी भी तरह इस संक्रामक रोग मलेरिया से मानवता को मुक्त करना। तो विषय को समझें और देश को मलेरिया मुक्त बनाने में अपनी भागीदारी दें।