स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
8 जून की तारीख को केलेंडर में World Ocean Day यानि विश्व महासागर दिवस का नाम दिया गया है। क्यूं मनाया जाता है ये दिन और कब इसे मनाने की शुरुआत, किस उद्देश्य से की गई। पढ़िए इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
मानव जीवन में महासागरों के महत्व और इवनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से हर साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस मनाया जाता है। महासागर भोजन और चिकित्सा का एक मुख्य स्त्रोत होने के साथ साथ जीवनमंडल में एक अहम भूमिका निभाते हैं,
विभिन्न प्रकार के जीवन रक्षक और कैंसर-रोधी दवाएं प्रदान करते हैं, इनका खाद्य सुरक्षा, जैव विविधता, परिस्थिति संतुलन जैसी चीजों में महत्वपूर्ण योगदान है ये पृथ्वी की अधिकांश जैव विविधता का घर है, दुनिया भर की आबादी के लिए प्रोटीन का मुख्य स्रोत प्रदान करते हैं। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति के लिए ये समझना बेहद जरूरी है कि हमारे द्वारा किए गए कामों से ये विशाल महासागर किस तरह प्रभावित होते हैं, और इसी के मद्देनजर दुनियाभर के महासागरों के स्थायी प्रबंधन के लिए विश्व की आबादी को एकजुट करना जरूरी है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वैश्विक स्तर पर इस दिन को मनाया जाता है।
विश्व महासागर दिवस मनाने की शुरुआथ तो हुई साल 2008 में, लेकिन विश्व महासागर दिवस की अवधारणा का प्रस्ताव, कनाडा सरकार ने 1992 में रियो डी जेनेरियो में हुई अर्थ समिट में रखा था। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आधिकारिक रूप से विश्व महासागर दिवस की शुरुआत 2008 में की गई और 8 जून की तारीख को इस दिन के लिए चुना गया। अब ये भी समझिए कि महासागरों के संरक्षण के लिए साल का एक दिन समर्पित करने की जरूरत क्यों पड़ी, क्योंकि हर साल इस विषय के प्रति लोगों को जागरुक किया जाता है। ये तो आप जानते ही
होंगे कि दो तिहाई धरती पर सिर्फ पानी है, और समुद्रों से घिरी होने के चलते ही घरती को Water Planet यानि जलीय ग्रह भी कहा जाता है, लेकिन धरती पर इतना पानी होने के बाद भी इंसान जल संकट की समस्या का सामना कर रहा है, इसलिए क्योंकि Water Planet के अस्तितव पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इसलिए लोगों को समुद्र के महत्व को समझाने की जरूरत महसूस हुई। हमारी गतिविधियो के चलते इनमें बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने और समुद्रो के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व महासागर दिवस के दिन जागरुकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
अजीब विडंबना ये है कि एक तरफ हम विकास का विस्तार कर रहे हैं और दूसरी तरफ विनाश को न्यौता भी दे रहे हैं। जितनी तेजी से हम उन्नति की सीढ़िया चढ़ रहे हैं उसी रफ्तार से हम महासागरों को भी दूषित कर रहे हैं, नतीजा, मैले होते महासागरों में समुद्री जीवों का स्वास्थ्य संकट में आ गया है, लेकिन हम ये भूल रहे हैं कि इनका विनाश, हमारे विनाश का आधार बन सकता है, इसलिए हमें संभलना होगा।
विश्व की तकरीबन 30 फीसदी आबाजी का बसेरा तटीय इलाके हैं, और उनका जीवन भी इन्हीं पर निर्भर है। इतना ही नहीं यही महासागर कितने ही देशों की अर्थव्यवस्थाओं के ऊर्जा स्त्रोत हैं जिन्हें पेट्रोलियम के साथ साथ कई संसाधन भी महासागरों से ही प्राप्त होते हैं, वहीं मौसम की करवटों को भांपने और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जानकारियां प्रदान कराने में भी महासागरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इतना ही नहीं पूरे ग्रह को गर्मी ले जाने वाली महासागरीय धाराओं के साथ ग्रह की 50 प्रतिशत ऑक्सीजन प्रदान करके ये ग्रह को गर्म रखते हैं, जहां तक बात है भारत की तो महासागर हमारी अर्थव्यवस्था की कुंजी है, 2030 तक समुद्र आधारित उद्योगों द्वारा अनुमानित 40 मिलियन लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। तो जाहिर है, इन महासागरों का संरक्षण प्रत्येक का दायित्व भी है।
इस दिन को हर साल एक खास विषय के साथ सेलिब्रेट किया जाता है, और उसी थीम के मुताबिक कार्यक्रम किए जाते हैं। इश साल विश्व महासागर दिवस पर समुद्र के जीवन और आजीविका को ध्यान में रखते हुए विषय का चुनाव किया गया है।इस साल यानि 2021 में World Ocean Day की थीम रखी गई है द ओशन: लाइफ एंड लाइवलीहुड।
इस विषय के चुनाव का मकसद है कि जिसपर हमारी आजीविका टिकी है उसका क्षरण नहीं सरक्षण करें, समुद्रो में 90 फीसदी बड़ी मछलियों की आबादी पहले ही खत्म हो चली हैं, आधे से ज्यादा प्रवाल शैल-श्रेणी नष्ट हो चुकी है। इंसान अपने स्वार्थ के लिए समुद्र का जरूरत से ज्यादा दोहन तो कर रही रहा है। उसे सहेजने के प्रति भी अनभिज्ञ है। ऐसे में जरूरी है कि इंसान जीवन यापन के इस साधन के भीतर के जीवन के महत्व को समझे, महासागरों को दूषित कर उनका खात्मा नहीं संरक्षण करे।