ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) किसान आंदोलन पर अपने एक ट्वीट के बाद से सुर्खियों में हैं। भारत में तो उनके खिलाफ उनके कथित भड़काऊ ट्वीट के कारण दिल्ली पुलिस ने एक एफआईआर भी दर्ज़ हुई है। आइए जानते हैं हर किसी की जुबान पर छाई ग्रेटा थनबर्ग कौन हैं।
स्कूल छोड़कर पर्यावरण के खिलाफ शुरु की लड़ाई
ग्रेटा थनबर्ग महज़ 17 साल की हैं। स्वीडन के स्टॉकहोम शहर में रहने वाली ग्रेटा ने 15 साल की उम्र में पर्यावरण को बचाने के लिए जंग शुरु की थी। इतनी कम उम्र में ही वो जलवायु परिवर्तन को बचाने के लिए पूरी दुनिया में एक आवाज़ बन गईं थीं। अपने प्रदर्शनों के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति हासिल करने वाली ग्रेटा दुनिया के कई दिग्गज नेताओं तक से आमना-सामना कर बैठीं।
15 साल की उम्र में वो सुर्खियों में तब आईं जब एक स्थानीय समाचार पत्र में ग्लोबल वार्मिंग पर उनके निबंध को खूब सराहना मिली और उन्होंने पहला पुरस्कार जीता। थनबर्ग ने स्वीडन की संसद के बाहर इस मांग के साथ प्रदर्शन किया कि स्वीडन की सरकार जलवायु परिवर्तन को लेकर 2015 के पेरिस समझौते की शर्तों को पूरा करे। इस हड़ताल से उन्हें विश्व भर में ख्याति हासिल हुई। एक स्कूल गर्ल यानी की ग्रेटा की तस्वीरें वायरल हुईं। वो हाथ में होर्डिंग लेकर खड़ी रही, जिस पर लिखा था-पर्यावरण के लिए स्कूल की हड़ताल (School Strike for Climate)।
उनकी इस तस्वीर ने दुनिया भर में पर्यावरण के मुद्दे को जीवित कर दिया। अलग-अलग देशों के छात्र उनसे जुड़ने लगे, अपना समर्थन देने लगे। 2018 के अंत तक 20 हजार से ज्यादा छात्र ग्रेटा के आंदोलन से जुड़ चुके थे।
ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका, बेल्जियम और ब्रिटेन के छात्र ग्रेटा के आंदोलन में उनके साथ थे। धीरे-धीरे ग्रेटा थनबर्ग का प्रदर्शन पूरे यूरोप में दिखने लगा था। ग्रेटा खुद वो करती थी जिससे पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो। वह ट्रेन से यात्रा करती थी ताकि कार्बन उत्सर्जन कम हो।
मां गायिका और पिता अभिनेता
ग्रेटा थनबर्ग का जन्म तीन जनवरी 2003 को हुआ था। उनकी मां मलेना इर्नमैन ओपेरा सिंगर और पिता स्वांते थनबर्ग अभिनेता हैं। ग्रेटा ने आठ साल की उम्र में पहली बार जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना था। 1903 में उनके परिवार से संबंध रखने वाले स्वांते रेनियूस को केमिस्ट्री के लिए नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका है।
पर्सन ऑफ द ईयर रह चुकी हैं ग्रेटा
टाइम मैगजीन पर्सन ऑफ द ईयर घोषित हुई ग्रेटा थनबर्ग ने सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र में एक स्पीच दी थी जो उनकी पहचान बन गई। अपनी स्पीच में उन्होंने कहा था, ‘आपकी हिम्मत कैसे हुई? मुझे यहां नहीं होना चाहिए था बल्कि अभी स्कूल में होना चाहिए था। अपने खोखले शब्दों से आपने मेरा बचपन और मेरे सपने चुरा लिए हैं’। फिलहाल ग्रेटा इस बात को लेकर भी सुर्खियों में कि उनका नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना जा सकता है।
विमान से नहीं, बोट से पहुंची अमेरिका
साल 2019 में ग्रेटा अपने प्रदर्शन को पूरा ज़ोर दे रही थी जिस कारण वो स्कूल नहीं जा पाईं। सितंबर, 2019 में वो एक बार फिर सुर्खियों में तब आईं जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण संबंधी सम्मेलन में शामिल होने के लिए विमान से जाने से मना कर दिया। वो सम्मेलन का हिस्सा तो बनीं लेकिन उन्होंने प्लेन की बजाय बोट से अमेरिका पहुंचीं।
ट्रंप को नहीं भाईं ग्रेटा थनबर्ग
ऐसा पहली बार नहीं है जब ग्रेटा थनबर्ग विवादों में घिरी हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में थनबर्ग के भाषण के बाद इसका इज़हार किया था। थनबर्ग के भाषण के बाद ट्रंप ने कहा था कि उसे अपने गुस्से को कंट्रोल करने पर काम करना चाहिए।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी दी थी सलाह
संयुक्त राष्ट्र में ग्रेटा ने जलवायु संकट के मुद्दे पर दुनियाभर के नेताओं को कठघरे में खड़ा किया था। उन्होंने नेताओं पर आरोप लगाया था कि उनका बचपन छीना गया है। उनके इस बयान को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने कहा कि वह ग्रेटा के भाषण पर अन्य जैसा महसूस नहीं करते हैं। मॉस्को में हुए सम्मेलन में पुतिन ने कहा था कि ग्रेटा जरूर एक दयालु और नेक लड़की हैं, लेकिन शायद उन्हें किसी ने बताया नहीं कि दुनिया तेजी से विकसित हो रही है। पुतिन ने कहा कि बेचारी बच्ची को अभी पूरा ज्ञान नहीं है।
फिलहाल ग्रेटा पर किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर ट्वीट कर भारत के खिलाफ एक अभियान शुरु करने के आरोप हैं। थनबर्ग पर आरोप हैं कि उन्होंने भारत के खिलाफ साज़िश की है और ट्वीट में गलती से सीक्रेट डॉक्यूमेंट लीक कर दिए हैं। बता दें कि इन दस्तावेजों में बताया गया है कि कैसे किसान आंदोलन को सफल बनाना है।