साल 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के नाम रहा तो 2021 पश्चिम बंगाल के नाम हो सकता है। हालांकि चुनाव आयोग ने 5 राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है। तारीखों की घोषणा के साथ ही नए किस्म की गहमागहमी तेज हो गई है। वैसे तो चुनाव हर राज्य का अहम है, और हर पार्टी के लिए भी। लेकिन इस बार पश्चिम बंगाल को लेकर जो खिंचा-तानी चल रही है वो अपने आप में एक नई कहानी बयां करने की कोशिश है।
पश्चिम बंगाल वही राज्य है जहां भाजपा लंबे समय से भगवा पताका फहराने को आतुर है। और इस बार तो स्थितियां कई बदलाव की ओर संकेत भी कर रही हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में त्रृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है तो भाजपा टीएमसी के कई वफादार सिपहसालारों को अपने साथ लेकर ममता को नेस्तनाबूत करने की जोड़-तोड़ में लगी है।
वैसे तो भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद देश के कई ऐसे पार्टी की डूबती नैया को ना सिर्फ बचाया है बल्कि भगवा झंडे को बुलंद किया है। ऐसे में यदि पश्चिम बंगाल में भाजपा बाजी मार ले जाती है तो यह पार्टी के लिए मील का पत्थर साबित होगा। पहली बार पूर्वी छोर पर भगवा का लहराना भाजपा के लिए अबतक की सबसे बड़ी जीत होगी।
पश्चिम बंगाल में विधान सभा चुनाव आठ चरणों में कराने के एलान के बाद ममता बनर्जी की बौखलाहट और बढ़ गई है। त्रृणमूल कांग्रेस ने सवाल उठाये हैं कि बंगाल में तीन चरणों में मतदान भाजपा के इशारे पर हो रहा है। हालांकि चुनाव आयोग के अधिकारी यह मानते हैं कि इस तरह के फैसले राज्य की कानून व्यवस्था को देखते हुए लिए जाते हैं। साथ ही राज्य चुनाव आयोग और कानूनी एजेंसियां अपनी रिपोर्ट के माध्यम से इस तरह के सुझाव देते हैं। उदाहरण के तौर पर अक्टूबर 2019 में 288 सीटों वाले महाराष्ट्र और 90 सीटों वाले हरियाणा में एक ही राउंड में वोटिंग कराई गई थी, लेकिन 81 सीटों वाले झारखंड में चुनाव पांच चरण में करवाये गये थे।
भगवा ब्रिगेड की बुलंद होती ताकत को देख ममता को डर है कि बीजेपी ने पूरी प्लानिंग के साथ आठ चरणों में चुनाव करवाये हैं जिससे भाजपा को चुनावी रणनीति तैयार करने और समय समय पर वोटरों को मोबिलाइज करने में मदद मिलेगी। ममता खफा हैं कि कई जिलों में दो चरणों में चुनाव होंगे। खासकर दक्षिण 24 परगना में तीन चरणों में मतदान कराने के आयोग के फैसले से मुख्यमंत्री एवं टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को बेहद नाराजगी है।
माकपा के नेताओं ने भी ममता के सुर में सुर मिलाए हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि एक ही जिले में दो चरणों में चुनाव क्यों कराये जा रहे हैं। 1958 से आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि एक जिला को पार्ट 1 और पार्ट 2 में बांटकर चुनाव कराया गया हो।