पश्चिम बंगाल में इन दिनों हर ओर खेला होबे की गूंज सुनाई दे रही है। विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections) से पहले तृणमूल कांग्रेस के प्रचार में यह गाना वायरल हो चुका है। सिविल इंजीनियर से राजनेता बने 25 वर्षीय देबांगशु भट्टाचार्य देव (Debangshu Bhattacharya Dev) ने इस गीत को लिख कर बहुत लोकप्रियता बटोरी है। पार्टी के प्रवक्ता देबांगशु बीजेपी के नेताओं को चुनौती देते हुए बीजेपी के नेता शुभेंदु अधिकारी की तुलना महिषासुर से कर रहे हैं और ममता बनर्जी को मां दुर्गा बता रहे है। मंगलवार को नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ रहीं ममता बनर्जी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि 1 अप्रैल को खेला होबे। (बता दें कि नंदीग्राम में एक अप्रैल को ही वोटिंग है।)
आइये जानते हैं कौन हैं सिविल इंजीनियर से राजनेता बने देबांगशु भट्टाचार्य।
सिविल इंजीनियर और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के प्रवक्ता देबांगशु भट्टाचार्य पार्टी के नए स्लोगन, ‘खेला होबे’ के पीछे हैं। बंगाल के युवाओं के बीच बेहद पॉपुलर, ‘खेला होबे’ 25 वर्षीय देबांगशु भट्टाचार्य ने लिखा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने विरोधियों को चुनौती देने के लिए ‘खेले होबे’ के नारे का पुरजोर उपयोग किया है।
बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले, इस गीत ने बड़े पैमाने पर लोकप्रियता हासिल की। तब अनुमान लगाया गया था कि देबांगशु को हावड़ा निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मिलेगा। हालांकि, उम्मीदवारों की सूची में देबांगशु भट्टाचार्य का नाम नहीं शामिल किया गया। देबांगशु खुद को ममता बनर्जी का कट्टर प्रशंसक बताते हैं।
स्कूल के दिनों से ही राजनीति के प्रति रुझान रखने वाले देबांगशु को बचपन से ही राजनीतिक शख्सियतों की तस्वीरें जमा करने का शौक था। जबकि वो अपने मित्रों को खेल की हस्तियों या फिल्मी हस्तियों की तस्वीरों को इकट्ठा करते देखा करते थे। 2019 चुनाव के बाद देबांगशु टीएमसी से जुड़ गये थे। देबांगशु ने खेला होबे से पहले, ‘ममता दी और एक बार’ और ‘दिल्ली जाबे हवाई चोटी’ जैसे लोकप्रिय गाने पहले भी लिखे हैं।
देबांगशु का लिखा यह गाना सोशल मीडिया पर 7 जनवरी को अपलोड किया था। अब यह गाना बंगाल में जन-जन की जुबान पर है।