वट सावित्री पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जिसे शुक्ल और कृष्ण दोनों पक्षों में मनाया जाता है। इस व्रत को करने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं द्वारा अपने पति के लिए सौभाग्य और समृद्धि की कामना करना है। इस पवित्र अवसर पर महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।
वट वृक्ष का महत्व
वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पेड़ में हिन्दू पौराणिक कथाओं के त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का वास होता है। पेड़ की जड़ें ब्रह्मा का प्रतीक मानी जाती हैं, तना विष्णु का और ऊपरी हिस्सा भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा, पूरा पेड़ देवी सावित्री का रूप माना जाता है।
पूजा का महत्व
ऐसा विश्वास है कि इस पवित्र पेड़ के नीचे पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने अद्वितीय समर्पण और प्रेम से अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस प्राप्त किया था। उसी तरह, इस शुभ व्रत को रखने वाली विवाहित महिलाओं को एक सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
इस प्रकार, वट सावित्री पूजा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन भी है, जो उन्हें अपने पति के लिए प्रार्थना करने और उनके साथ के प्रति समर्पण प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है।