त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी की पहली सरकार पर मुसीबत के मंडरा रहे हैं। दरअसल, बिप्लब देब के नेतृत्व वाली सरकार में बगावत का बिगुल फूंका जा चुका है और नेतृत्व बदलने की मांग हो रही है। पार्टी के बागी नेता अपने लिए बड़ी भूमिका की मांग कर रहे हैं।
हुआ यह कि पार्टी के बागी नेताओं ने मुख्यमंत्री पर तानाशाही, अनुभव की कमी और लोकप्रियता में अभाव की कमी बताकर उनसे पद छोड़ने की मांग रखी है। दो दिन पहले पार्टी के कम से कम सात विधायक राजधानी दिल्ली पहुंचे और राष्ट्रीय नेतृत्व से मुलाकात करने दिल्ली पहुंचे। सुदीप रॉय बर्मन की अगुआई में नेताओं का यह दल दिल्ली पहुंचा। सुदीप रॉय बर्मन ने दावा है कि इन सात के अलावा कम से कम दो और विधायक उनके साथ हैं। असंतुष्ट विधायकों ने कहा कि 2023 के विधानसभा चुनावों में सरकार गिर भी सकती है।
बता दें कि त्रिपुरा विधानसभा की कुल 60 सीटों में 36 विधायक बीजेपी के हैं। आईपीएफटी के 8 विधायक भी बीजेपी सरकार को समर्थन दे रहे हैं।
राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुदीप रॉय बर्मन के अलावा, अशीष साहा, सुशांत चौधरी, राम प्रसाद पाल और दीबा चंद्र हरंखाल भी बागी विधायकों में शामिल हैं। बागी विधायकों में ज्यादातर वो नेता हैं जो कांग्रेस से भाजपा मे शामिल हुए हैं।
ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि क्या केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व भाजपा के बागी विधायकों को खुश करने के लिए कुछ कड़े फैसले लेता है या फिर बिप्लब देब के खिलाफ बगावत के स्वर को शांत करता है।
जो बात सामने आ रही है उसके मुताबिक भाजपा के 36 में से 25 विधायक नाखुश हैं। सुदीप रॉय बर्मन त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री सुधीर रॉय बर्मन के बेटे हैं और उनके नेतृत्व में ही बागी विधायकों का दल दिल्ली में डेरा जमाए है।