1- कोरोना प्रोटोकॉल्स का उल्लंघन करने के मामले में बीएमसी ने सोहेल खान, उनके बेट और अरबाज खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। दरअसल 25 दिसंबर को दुबई से लौटने के बाद तीनों को होटल में ही क्वारंटाइऩ होने के लिए कहा गया था लेकिन तीनों ने कोरोना प्रोटोकॉल्स का उल्लंघन किया और अपने घर चले गए। जिसके बाद मुंबई पुलिस ने इन तीनों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसके तहत सोहेल के खिलाफ धारा 188 औऱ 269 के अंतर्गत शिकायत दर्ज की गई है।
2- उत्तर प्रदेश में लव जिहाद कानून को जब से मंजूरी मिली है ये विवादों में बना हुआ है, इस कानून पर 30 दिसंबर को 104 पूर्व IAS अफसरों ने आपत्ति जताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि इस विवादास्पद धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश ने राज्य को घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है, इसलिए इस अवैध अध्यादेश को वापस ले लिया जाए। अब सोमवार 4 जनवरी को लव जिहाद कानून के समर्थन में एक नया पत्र सामने आया है, पूर्व चीफ सेक्रेटरी योगेन्द्र नारायण की अगुवाई में 224 रिटायर्ड अफसरों द्वारा लिखे गए इस पत्र में कानून को समर्थन दिया गया है औऱ कहा है कि पिछला पत्र राजनीति से प्ररित है, यूपी के सीएम को संविधान की सीख देना गलत है। फोरम ऑफ कंसंर्ड सिटिजन से जुड़े इन 224 पूर्व अफसरों ने कानून के समर्थ में कहा कि ब्रिटिश राज में भी रजवाड़ों द्वारा ऐसे कानून लाए गए थे, इससे उत्तर प्रदेश की गंग-जमुनी तहजीब को कोई खतरा नहीं है, बल्कि ये कानून जाति-धर्म छिपाकर धोखाधड़ी करने वालों पर शिकंजा कसेगा। आपको बता दें कि 30 दिसंबर को कानून पर आपत्ति जताते हुए पत्र लिखने वाले पूर्व अफसरों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, विदेश सचिव निरूपमा राव और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार रहे टीकेए नायर जैसे कई बड़े पूर्व IAS अफसर शामिल हैं।
3- भारत में किसी विषय पर राजनीति न हो, ऐसा कम ही देखने को मिलता है, अब राजनीति हो रही है कोरोना वैक्सीन पर। 2 वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद राजनेताओं की तरह-तरह की अजीबो-गरीब बयानबाजियों के बीच भारत बायोटेक के एमडी कृष्णा एला ने कहा- कुछ लोगों द्वारा वैक्सीन का राजनीतिकरण किया जा रहा है, मैं ये साफ करना चाहता हूं कि मेरे परिवार का कोई सदस्य किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ा। इसलिए इस पर राजनीति नहीं होना चाहिए। वैक्सीन को बीजेपी वैक्सीन कहने वाले अखिलेश यादव के बयान को गलत बताते हुए मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने कहा कि- मुझे नहीं लगता ये कहना ठीक है, मैं समझती हूं कि ये भारत की वैक्सीन है। अपने इस बयान पर घिरे अखिलेश यादव ने भी एक प्रसे कॉन्फ्रेंस में सफाई देते हुए कहा कि- मेरा बयान वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों के खिलाफ नहीं, बीजेपी की नियत के खिलाफ है।
4- नए कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनाने को लेकर सरकार और किसानों के बीच 4 जनवरी को आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। साढ़े तीन घंटे से ज्यादा वक्त तक चली इस बातचीत में दोनों में से किसी विषय पर कोई ठोस हल नहीं निकल सका है, समस्या के सशक्त समाधान के लिए सरकार और किसानों के बीच 8 जनवरी दोपहर 2 बजे से विज्ञान भवन में अगले दौर की बातचीत होगी। 8वे दौर की वार्ता बेनतीजा खत्म होने के बाद केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि ताली दोनों हाथ से बजती है वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जबतक कानून वापसी नहीं तक तक घर वापसी नहीं। उन्होंने कहा कि अगले दौर की बातचीत में भी हमारा मुद्दा कानूनों की वापसी औऱ एमएसपी ही रहेगा वहीं कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार पूरे देश को ध्यान में रखकर ही फैसला करेगी।
5- किसान आंदोलन के तहत अडानी अंबानी बहिष्कार के चलते किसानों ने पंजाब में जियो के सैकड़ों टावर तोड़ दिए, अब इस मामले में रिलाइंस जियो ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि जियो के टावर्स तोड़े जाने की वजह से इंन्फ्रास्ट्रक्चर प्रभावित हुआ है जिसके चलते कम्यूनिकेशन में समस्याएं आ रही है। याचिका में कंपनी ने सरकार से मामले में हस्तक्षेप की अपील की है। रिलाइंस का आरोप है कि कॉम्पटीटर कंपनियां किसानों को उकसा रही हैं, इसलिए किसान जियो के टावर्स को नुकसान पहुंचा रहे हैं। रिलाइंस ने भारती एयरटेल पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाया है, हालांकि एयरटेल ने रिलाइंस के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। रिलाइंस जियो ने सरकार से इस मामले में दखल देने की अपील करते हुए कहा है कि सरकार, किसानों द्वारा तोड़फोड़ की ऐसी गैरकानूनी घटनाओं पर रोक लगाए। कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के निशाने पर आई रिलाइंस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि इन कानूनों से कंपनी का कोई सरोकार नहीं है, ना ही कॉन्ट्रेक्ट या कॉर्पोरेट फार्मिंग में घुसने की कंपनी की कोई प्लानिंग है। कंपनी ने ना तो अभी तक कॉन्ट्रेक्ट या कॉर्पोरेट फार्मिंग के लिए कृषि भूमि खरीदी है ना ही आगे खरीदने की कोई प्लानिंग है।