लव जिहाद को लेकर देश भर में छिड़े विवाद के बाद अब देश के रिटायर नौकरशाहों के बीच लेटर वॉर शुरू हो गया है। पांच दिन पहले (30 दिसंबर 2020) 104 पूर्व नौकरशाहों ने उत्तर प्रदेश सरकार पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया था। पत्र में लव जिहाद कानून रद्द करने की मांग की गई थी। यूपी की योगी सरकार की ओर से बनाए गए कानून को देश को विभाजित करने का एजेंडा बताते हुए योगी सरकार पर यह आरोप लगाए गये थे कि यूपी राजनीति घृणा, विभाजन और कट्टरता का केंद्र बन गया है और शासन के संस्थान ‘सांप्रदायिक जहर’ में शामिल हो गए हैं। इस पत्र के आने बाद लव जिहाद पर कानून को लेकर सवाल उठने लगे थे। इन सबके बीच एक नई चिट्ठी सामने आयी है। सोमवार को 224 से ज्यादा पूर्व सैनिक, पूर्व न्यायाधीश और बुद्धिजीवियों ने पहली चिट्ठी का जवाब देते हुए योगी सरकार के काम की सराहना की है।
नये पत्र में पहले पत्र को राजनीति से प्रेरित बताया गया है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि यह एक लोकप्रिय और चुनी हुई सरकार को बदनाम करने की साजिश हैं। ऐसे लोगों को जब भी मौका मिलता है, वो चाहे संसद, चुनाव आयोग, या फिर न्यायपालिका या अच्छा काम करने वाली सरकारों हो, सभी की छवि खराब करने का काम करते हैं। नई चिट्ठी पूर्व चीफ सेक्रेटरी योगेंद्र नारायण की अगुवाई में 224 रिटायर्ड अफसरों की तरफ से लिखी गई है।
वरिष्ठ अधिकारियों और पूर्व जजों ने पत्र में लिखा है कि यूपी के मुख्यमंत्री को संविधान दोबारा सीखने की सलाह देना गैरजिम्मेदाराना बयान है जो कि लोकतांत्रिक संस्थानों का अपमान करता है। ऐसा पहली बार नहीं है जब इस ग्रुप ने संसद, चुनाव आयोग, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट की छवि को धक्का पहुंचाने का काम न किया हो। खत में लिखा है है कि यूपी का अध्यादेश सभी धर्मों के लोगों पर लागू होता है। प्रावधान को सही बताते हुए पत्र में लिखा है कि अगर धर्मांतरण के उद्देश्य से विवाह किया गया हो तो इसे पारिवारिक न्यायालय या किसी एक पक्ष की याचिका पर खारिज किया जा सकता है। उन्होंने यह कानून महिला के सम्मान की रक्षा करने हेतू बताया। केवल एक घटना के आधार पर टिप्पणी करना गलत है। ऐसे कई मामले हैं जहां पीड़ित महिला की अंतरधर्म विवाह में हत्या कर दी गई।
पत्र में पहली चिट्ठी को राजनीति से प्रेरित बताते हुए यह भी लिखा है कि 104 पूर्व अधिकारियों को ऐसी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए थी। साथ ही इस कानून के संदर्भ में गंगा-जमुनी तहजीब का गलत ढंग से जिक्र किया गया। यह तहजीब कला, संस्कृति, भाषा आदि के सह अस्तित्व की अवधारणा पर है न कि आपराधिक इरादे से गैर कानूनी ढंग से किए गए धर्म परिवर्तन पर जिसमें कि महिलाओं की प्रताड़ना, शोषण, छल और हत्या तक होती हो।
दूसरी चिट्ठी यूपी के पूर्व मुख्य सचिव योगेन्द्र नारायण की अगुवाई में लिखी गई है
तीन पेज की इस चिट्ठी में देश के कई मशहूर रिटायर जज, ब्यूरोक्रेट, आर्मी अफ़सर और पूर्व कुलपतियों ने अपने बयान दर्ज किए हैं। चिट्टी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और राज्य सभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल योगेन्द्र नारायण की अगुवाई में जारी की गई है। इस पर 224 बुद्धिजीवियों के हस्ताक्षर हैं।
पहली चिट्ठी ‘लव जिहाद’ कानून के खिलाफ 104 पूर्व IAS ने लिखी थी
30 दिसंबर 2020 को लव जिहाद कानून रद्द करने की मांग को लेकर 104 पूर्व IAS अफसरों ने CM योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, विदेश सचिव निरूपमा राव और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार रहे टीकेए नायर जैसे पूर्व अफसर शामिल थे। पत्र में लिखा था कि UP कभी गंगा-जमुनी तहजीब को सींचने वाला प्रदेश था लेकिन अब विभाजन, कट्टरता और नफरत की राजनीति का केंद्र बन गया है।
बता दें कि 28 नवंबर को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गैर कानूनी धर्म परिवर्तन रोकथाम अध्यादेश को मंजूरी दी थी। जिसे आम तौर पर लव जिहाद के खिलाफ कानून बताया जा रहा है।