नेशनलखबर ब्यूरो, नई दिल्ली
पिछले साल दिल्ली में महिलाओं के प्रति होने वाले सभी तरह के अपराधों में कमी आई है। कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते महिलाओं के अधिकतर समय घर में रहने की वजह से अपराध का ग्राफ नीचे की ओर आया । इनमें दुष्कर्म से लेकर छेड़छाड़ ,अपहरण और दहेज प्रताड़ना के मामलों में रिकॉर्ड कमी दर्ज की गई है, जो दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है। निर्भया गैंगरेप के बाद दिल्ली पुलिस पर अक्सर यह सवाल उठाया जाता रहा है कि राजधानी की पुलिस महिलाओं को महफूज रखने में अब तक कामयाब नहीं हो पाई है, भले ही दिल्ली पुलिस यह दावा करती हो कि वह महिलाओं की सुरक्षा के लिए कृत संकल्पित है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि पिछले साल 15 अक्टूबर 2020 तक के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के साथ होने वाले सभी तरह के अपराधों में खासी कमी आई है। इनमें जहां साल 2019 में दुष्कर्म के कुल 1804 घटनाएं हुई थी वहीं पिछले साल सिर्फ 1330 मामले दर्ज हुए। साल 2019 मे छेड़खानी के 2401 मामले सामने आए थे जबकि पिछले साल यह आंकड़ा सिर्फ 1676 पहुंचा । साल 2019 अपहरण के 2828 मामले प्रकाश में आए जबकि साल 2020 में सिर्फ 2124 मामला ही दर्ज हुआ। दहेज प्रताड़ना के 2897 मामले पिछले से पिछले साल उजागर किए गए थे लेकिन पिछले साल इसकी संख्या 1752 है। पिछले के पिछले साल के मुकाबले साल 2020 में दुष्कर्म की घटनाएं जहां 25 फीसदी कम हुई हैं तो छेड़छाड़ की घटनाओं में 30 फीसदी की कमी दर्ज की गई । अपहरण से लेकर दहेज हत्या के मामलों में भी गिरावट देखने को मिली है। दहेज प्रताड़ना से जुड़े अनेक तरह के मामलों में तो करीब 40 फीसदी की कमी दर्ज की गई ।
आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल महिलाएं पिछले अन्य साल के मुकाबले सड़क से लेकर घर में महफूज रही है। इसकी मुख्य वजह कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लगाया गया और अधिकतर समय महिलाएं घर पर ही मौजूद रही, जिसके कारण वह सुरक्षित रही । लॉकडाउन की वजह से लगभग दो माह तक महिलाएं घर से बाहर नहीं निकली और ऐसे में बाहर उनके साथ होने वाले अपराधों में कमी देखी गई । सुखद आंकड़े के बाद दिल्ली पुलिस का दावा है कि उन्होंने लॉकडाउन से लेकर इस साल दिल्ली की चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था कायम रखी, जिसके चलते महिलाओं के प्रति अपराध कम हुए लेकिन सूत्रों का दावा है कि कोरोना के चलते अधिकतर शिकायत ऑनलाइन ली गई और अधिकतर महिलाएं इस तरह की शिकायत पुलिस तक पहुंचाने में अक्षम साबित हुई। लेकिन इसके बावजूद कई ऐसी महिलाएं जिन्होंने शिकायत करने में कामयाबी हासिल की उनकी शिकायत दर्ज भी की गई। पुलिस का कहना है कि सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क बनाये गए हैं ताकि महिलाएं बिना घबराएं अपनी शिकायत कर सकें और महिलाओं ने इसका भरपूर फायदा उठाया और शिकायत तथा संबंधित प्राथमिकी दर्ज करने में कोई कोताही नहीं बरती गई ।
हत्या की कोशिश तथा दंगे में बढ़ोतरी , हत्या और डकैती में गिरावट
यह कोविड-19 का ही प्रभाव है कि पिछले साल अन्य अपराध का भी ग्राफ नीचे की ओर आया । लेकिन दंगे और हत्या की कोशिश मामले में खासा इजाफा हुआ । वैसे साल 2020 मे हत्या, डकैती, लूट तथा फिरौती के लिए अपहरण आदि मामलों में कमी देखी गई। लेकिन इसके बावजूद पिछले के पिछले साल के मुकाबले संगीन अपराध के मामलों में पिछले साल 2020 मे तेजी आई है, जबकि गैर संगीन अपराध तथा कुल आईपीसी के मामलों में गिरावट देखी गई।
दिल्ली पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल 15 अक्टूबर तक डकैती के कुल 8 मामले दर्ज हुए जबकि यह आंकड़ा उसके पिछले साल 12 था। पिछले 10 साल के आंकड़े पर गौर करें तो साल 2014 में डकैती के कुल 82 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले साल हत्या के कुल 374 मामले दर्ज किए गए जबकि पिछले के पिछले साल 414 मामले दर्ज किए गए जबकि पिछले 10 साल में सर्वाधिक साल 2014 में यह आंकड़ा 586 था। साल 2020 हत्या की कोशिश का 457 मामला दर्ज हुआ जबकि उसके पिछले साल सिर्फ 385 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले 10 साल में सर्वाधिक हत्या की कोशिश का मामला साल 2014 और 2015 में लगभग एक समान 770 दर्ज हुआ । पिछले साल लूट के कुल 1503 मुकदमे दर्ज हुए जबकि उसके पिछले साल 1637 मामले दर्ज हुए थे ।
दंगे का ग्राफ तेजी से बढ़ा
पिछले साल दंगे का ग्राफ तेजी से बढ़ा क्योंकि उसके पिछले साल कुल सिर्फ 5 मुकदमे दर्ज हुए थे लेकिन पिछले साल 687 मामले दर्ज किए गए । नागरिक कानून के विरोध में उत्तर पूर्वी दिल्ली में साल 2020 फरवरी माह में हुए भीषण दंगे के चलते कुल 53 लोगों की जान भी गंवानी पड़ी जबकि 583 लोग जख्मी हुए। दंगे में शामिल होने के कारण आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां समेत जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और सरजील इमाम जैसे कई अन्य आरोपियों को पकड़ा गया और इन दिनों सारे आरोपी जेल में बंद है । इन आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी गई है और इस वक्त इस पर सुनवाई जारी है।
अन्य अपराधों का लेखा जोखा
फिरौती के लिए अपहरण के पिछले साल साल कुल 10 मामले दर्ज हुए जबकि यह आंकड़ा उसके पिछले साल 11 का था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि पिछले साल 15 अक्टूबर तक कुल संगीन अपराधों की संख्या की बढ़ोतरी हुई और 4369 मामला दर्ज हुआ जबकि उसके पिछले साल यह आंकड़ा 4268 था । साल 2019 में गैर संगीन अपराध के मामले 233444 दर्ज हुए थे लेकिन साल 2020 मे गिरावट होकर सिर्फ 191990 मामले दर्ज किए गए। इसी तरह कुल आईपीसी के मामलों में भी पिछले साल गिरावट दर्ज की गई है और सिर्फ 196359 मुकदमे दर्ज हुए जबकि उसके पिछले साल यह आंकड़ा 237712 था। पिछले साल सड़क हादसे में सड़के भी कम लाल हुई क्योंकि सड़क हादसे में इस साल 851 राहगीरों की जान गई जबकि उसके पिछले साल यह आंकड़ा 1089 था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि पिछले साल अपराध के ग्राफ में गिरावट की मुख्य वजह लॉक डाउन रही क्योंकि 2 महीनों से अधिक समय तक लोग घर से बाहर नहीं निकल पाए थे, जिसके चलते अपराध का ग्राफ नीचे की ओर लुढ़का ।