1- दुनिया में सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम 16 जनवरी को भारत में शुरु किया गया। शनिवार को
देशभर में कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम की शुरुआत हुई। टीकाकरण का पहला दिन कैसा रहा, कितने
लोगों का वैक्सीनेशन हुआ, इन तमाम जानकारियों को साझा करने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय
ने शनिवार शाम 7 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि देश के कुल 3351 टीकाकरण केन्द्रों पर पहले
दिन 1 लाख 91 हजार 181 लोगों का वैक्सीनेशन किया गया। हालांकि सरकार के तय टारगेट के
मुताबिक एक केन्द्र पर एक दिन में 100 लोगों का टीकाकरण होना था इस तरह पहले दिन 3 लाख
35 हजार 100 लोगों का वैक्सीनेशन किया जाना था जो कि पहले दिन तय लक्ष्य के मुकाबले 60
फीसदी के करीब ही पहुंच सका। पहले दिन हुए टीकाकरण में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन आंध्रप्रदेश में
हुए, जहां 16963 लोगों को कोविड का टीका लगाया गया और दूसरे नंबर पर रहा बिहार जहां पहले
दिन 16401 लोगों का वैक्सीनेशन हुआ। प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया
कि वैक्सीन लगाने के बाद किसी भी व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराने की जैसी जरूरत नहीं पड़ी।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा टीकाकरण के पहले 2 हफ्ते रोजाना शाम को इसी तरह प्रेस कॉन्फ्रेंस
करके वैक्सीनेशन प्रोग्राम का स्टेटस बताया जाएगा।
2- कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को 2 महीने होने को हैं लेकिन अब तक इस
समस्या का कोई हल नहीं निकल सका है, हालांकि किसानों व सरकार के बीच बातचीत का दौर जारी
है औऱ अगले दौर की वार्ता के लिए 19 जनवरी की तारीख तय की गई है। इसी बीच राष्ट्रीय जांच
एजेंसी NIA ने किसान आंदोलन से जुड़े कई किसानों को समन भेजा है। ये समन 15 दिसंबर 2020
को सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के खिलाफ दर्ज एक मुकदमे के संबंध मे भेजे गए हैं, 15 दिसंबर को
NIA द्वारा दर्ज किए गए इस मुकद्दमे में सिख फॉर जस्टिस को एक गैर कानूनी संगठन बताया
गया है। केंद्र सरकार में अंडर सेक्रेटरी राजीव कुमार द्वारा दर्ज कराई गई FIR में कहा गया है कि
भारत समेच अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी जैसे कई देशों में भारतीय दूतावासों पर प्रदर्शन के लिए
विदेशों में बड़ी मात्रा में पैसा इकट्ठा किया जा रहा है जिसे गैर सरकारी संगठनों के जरिए भारत में
खालिस्तान समर्थकों को भेजा जा रहा है। इस मुकद्दमे को लेकर आंदोलन से जुड़े जिन लोगों को ये
नोटिस मिले हैं उन सभी को 21 जनवरी को पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया गया है। NIA की ओर
से भेजे गए समन मिलने के बाद किसान नेताओं का कहना है कि सरकार किसानों की 26 जनवरी
की ट्रैक्टर परेड की घोषणा से डरी हुई है, इसलिए किसनों को समन भिजवाकर दहशत फैलाना चाहती
है ताकि किसान आंदोलन से पीछे हट जाएं। NIA की इस कार्रवाई के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया- भारत सरकार की पालतू एजेंसी अब किसान यूनियनों के
पीछे पड़ी है।
3- कोरोना काल के दौरान पीएम केयर फंड में एकत्र हुई धनराशि की पारदर्शिता को लेकर अक्सर
सवाल उठाए जाते रहे हैं, अब हाल ही में सौ पूर्व नौकरशाहों ने पीएम केयर्स फंड की ट्रांसपेरेंसी पर
प्रश्न चिन्ह लगाया है। इनमें कई पूर्व आईएएस, आईपीएस अधिकारी और राजनायिक। इन सभी ने
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखकर अपील की है कि संदेह व आशंकाओं को दूर करने
के लिए जरूरी है कि पीएम केयर्स फंड की आय और व्यय का ब्यौरा उपलब्ध कराया जाए।
प्रधानमंत्री नागरिक सहायता व राहत कोष यानि पीएम केयर्स फंड बीते साल मार्च महीने में इस
उद्देश्य से बनाया गया था कि इस राहत राशि से आपात स्थितियों में जरूरतमंदों को मदद पहुंचाई
जा सकेगी, लेकिन कोष में जमा धन के जमा और खर्च को लेकर पारदर्शिता न होने की वजह से इसे
लेकर चर्चाएं होती आ रही हैं।
4- अपनी नई पॉलिसी को लेकर बीते कई दिनों से खबरों में छाई वॉट्सऐप ने फिलहाल अपने कदम
पीछे खींच लिए हैं। पहले कंपनी अपनी इस विवादों में घिर रही पॉलिसी को 8 फरवरी से लागू करने
वाली थी लेकिन अब इसे लागू करने की तारीख 15 मई कर दी गई है। कंपनी का कहना है कि लोग
वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को ठीक से समझ सकें इसके लिए कंपनी यूजर्स को और समय दे
रही है। कंपनी ने अपने ब्लॉग पर लिखा है कि वॉट्सएप की प्राइवेसी और सिक्योरिटी को लेकर
गलत जानकारियां फैल रही हैं जिन्हें दूर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे, जिसके बाद यूजर्स से
पॉलिसी रिव्यू के लिए कहा जाएगा और इसके लिए पूरा समय भी दिया जाएगा और फिर 15 मई से
बिजनेस ऑप्शन उपलब्ध होंगे। अभी तक कहा जा रहा था कि यदि यूजर्स कंपनी की नई पॉलिसी को
एग्री नहीं करते तो 8 फरवरी को ऐसे अकाउंट संसपेड कर दिए जाएंगे, लेकिन अब वॉट्सऐप ने ये
तारीख 14 मई तक के लिए बढ़ा दी है और इस दौरान वॉट्सऐप यूजर्स को पॉलिसी को ठीक से
समझने का समय दिया है।
5- साल 2006 का निठारी कांड भुलाए नहीं भूलता। जब थैलों में नर कंकाल निकले तो आम लोगों
के साथ साथ छानबीन में जुटे सीबीआई अधिकारियों के भी होश फाख्ता हो गए थे। निठारी कांड में
17 मामले दर्ज हैं, जिनमें से 12वें मामले में भी सुरेन्द्र कोली को फांसी की सजा सुनाई गई है।
गाजियाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 12वें मामले में 319 दिन सुनवाई चली और 38 लोगों की
गवाही हुई, जिसके बाद सुरेन्द्र कोली को युवती से दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए शनिवार
को फांसी की सजा सुनाई और 1 लाख 10 हजार का जुर्माना लगाया। सजा सुनाए जाने के बाद
वापस जेल ले जाते हुए सुरेन्द्र कोली ने सुरक्षा कर्मियों से कहा, मेरे नसीब में तो फांसी ही है।