विश्वभर में 8 मई की तारीख को World Thalassemia Day के रुप में मनाया जाता है, क्या है Thalassemia , और इसके लिए साल में एक दिन क्यों निर्धारित किया गया है, जानिए World Thalassemia Day के बारे में जरूरी बातें।
8 मई को वर्ल्ड थैलिसीमिया डे क्यों मनाया जाता है, ये समझने के लिए पहले इस बीमारी के बारे में जानना जरूरी है, ताकि इस विषय की गंभीरता को समझा जा सके। थैलिसीमिया एक Chronic Blood Disorder यानि स्थायी रक्त विकार है जो कि एक आनुवांशिक बीमारी है। जो माता-पिता से बच्चों में जाती है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में RBC यानि रेड ब्लड सेल्स में पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता। जिसकी वजह से रोगी एनीमिक या कहें अनीमिया का शिकार हो जाता है और जीवित रहने के लिए उसे हर दो सप्ताह में खून की जरूरत पढ़ती है। थैलिसीमिया के रोगी एनीमिया से ग्रसित तो होते ही हैं, उनका विकास भी धीमी गति से होता है, इसके अलावा हड्डियों का कमजोर
होना, बार-बार खून चढ़ाने की वजह से शरीर में अतिरिक्त लोह तत्व जमा होते रहते हैं जिससे आयरन की अधिकता, बढ़ा हुआ यकृत, अपर्याप्त भूख और पीली त्वचा आदि समस्याएं रहती है।
थैलिसीमिया के तीन प्रकार
थैलिसीमिया नाम की इस बीमारी के तीन प्रकार होते हैं, माइनर, इंटरमीडिया और मेजर। थैलिसीमिया माइनस में हीमोग्लोबिन जीन बच्चे को मां से गर्भधारण के दौरान ही मिल जाता है। इसके एक जीन मां और एक जीन पिता से बच्चे को मिलता है। थैलिसीमिया माइनर कोई गंभीर बीमारी नहीं है इसमें बच्चे को हल्का एनीमिया रहता है, लेकिन यही रोगी थैलिसीमिया वाहक होते हैं। जबकि थैलेसीमिया इंटरमीडिया से ग्रस्त रोगी में मामूली से लेकर गंभीर लक्षण तक हो सकते हैं वहीं थैलेसीमिया मेजर बीमारी का सबसे गंभीर रुप है। माता-पिता से बच्चे में पहुंचने वाले इस रोग में मां और पिता दोनों से बच्चे को दो उत्परिवर्तित जीन यानि म्यूटेट जीन मिलते हैं, बच्चे में इस रोग की पहचान जन्म के तीन
महीने बाद ही हो पाती है। थैलेसीमिया मेजर के शिकार बच्चे में एक साल की उम्र में ही गंभीर एनीमिया के लक्षण उभरने लगते हैं और ऐसे बच्चों को जिंदा रहने के लिए या तो Bone Marrow Transplant की जरुरत पड़ती है या फिर नियमित रुप से ब्लड चढ़ाना पड़ता है। अगर माता-पिता दोनों माइनर थैलिसीमिया से ग्रसित हैं तो बच्चे को मेजर थैलिसीमिया हो सकता है लेकिन यदि मात-पिता दोनों में से कोई एक थैलिसीमिया माइनस से ग्रस्त है तो बच्चे को थैलिसीमिया होने खतरा नहीं रहता।
विश्व स्तर से अलग अगर भारत में इश दिन के महत्व की बात करें, तो हमें इस विषय के प्रति ज्यादा गंभीर और जागरुक होने की जरूरत हैं क्योंकि भारत में हर साल 10 हजार बच्चे मेजर थैलिसीमिया के साथ पैदा होते हैं, जो कि विश्व में सबसे ज्यादा हैं। इतना ही नहीं भारत दुनिया की थैलेसीमिया राजधानी है, जहां 40 मिलियन थैलेसीमिया वाहक हैं इनमें एक लाख से ज्यादा थैलेसीमिया मेजर से ग्रस्त हैं, जिन्हें नियमित रूप से खून की जरूरत पड़ती है और ये दुख की बात है कि इलाज के अभाव में देशभर में एक लाख से ज्यादा थैलिसीमिया के मरीज़ 20 साल की उम्र से पहले ही मर जाते हैं।
थैलिसीमिया के बारे में ये तमाम बातें जानने के बाद आप ये तो समझ ही गए होंगे कि इस बीमारी के नाम से साल में एक दिन क्यों मनाया जाता है, जाहिर है इस गंभीर रोग के प्रति प्रत्येक को अवगत कराने के उद्देथ्य से इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई, ताकि लोग रक्त संबंधी इस गंभीर रोग के प्रति अनजान न रहें। जैसा कि हम जानते हैं कि थैलिसीमिया एक आनुवांशिक रोग है, जिसके कारण जानने के बाद भी इससे बचाव संभव नहीं है, लेकिन जागरुकता और सही जानकारियां कई बार रोग के शिकार बच्चे या व्यक्ति और उसके परिवार की कई परेशानियों को कम करने में अहम भूमिका निभाती हैं।
TIF यानि थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन द्वारा साल 1994 से हर साल 8 मई का दिन थैलिसीमिया रोग की रोकथाम करने के उपायों, ट्रांसमिशन से बचने और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए जरुरी टीकाकरण के महत्व के बारे में समाज और विश्व के लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। वहीं बीमारी के प्रति जागरुकता फैलान के साथ-साथ वर्ल्ड थैलिसीमिया डे,उन लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है, जो इस बीमारी से जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं। गंभीर बीमारी के बाद भी जिन्होंने जीने की आशा को जीवित रखा है, जिनके अपने उन्हें इस बीमारी के बाद भी जीवित रखने के लिए रह संभव इलाज कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। साथ ही इस बीमारी से जूझ रहे रोगियों के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाले वे तमाम वैज्ञानिक और चिकित्सक जो रोगियों के लिए अच्छे इलाज की कोशिशों में जुटे हैं, थैलिसीमिया दिवस ऐसे लोगों के सम्मान में मनाया जाने वाला दिन है। TIF यानि थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन एक नॉन-प्रॉफिट और गैर-सरकारी रोगी-संचालित संगठन है, जो कई देशों के सदस्यों के साथ इस दिन समारोह के आयोजन को सक्रिय रूप से करती है।
विश्व थैलिसीमिया दिवस के दिन पब्लिक प्लेस जैसे स्कूलो-कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों में आम लोगों को इस बीमारी के कारण, लक्षण और बचावों के प्रति जागरुक करने के लिए कई तरह की एक्टिविटीज और प्रोग्राम्स किए जाते हैं और थैलिसीमिया से जूझ रहे रोगियों और उनके परिजनों को ऐसे प्रोग्राम्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाता है। इसके अलावा WHO यानि विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य स्वास्थ्य संस्थाएं भी थैलेसीमिया के रोगियों के मूल अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करती हैं और आम लोगों को जागरूक करने के लिए तमाम तरह की एक्टिविटीज व प्रोग्राम ऑर्गनाइज करतीहैं।
TIF द्वारा ये दिन हर साल एक खास विषय के साथ मनाया जाता है इस साल World Thalassemia Day की Theme यानि विषय है Addressing Health Inequalities Across the Global Thalassaemia Community”
जीनों में कमी या जीन में गलती के चलते पैदा होने वाले इस विकार की रोकथाम, कारण व इलाज के प्रति हम सभी को जागरुक होने की जरूरत है, जो लोग इश विषय के प्रति अनभिज्ञ हैं, इस विषय के बारें में जरूर पढ़ें।