स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
31 मई की तारीख को हर साल World No Tobacco Day यानि विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। जानिए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें। तंबाकू जिसकी लत के शिकार आज ज्यादातर लोग हैं, कोई बीड़ी-सिगेरट के रूम में तो कोई सुपारी- गुटखे आदि के रूप में इसका सेवन कर रहा है, ये जानते समझते भी कि तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए ना सिर्फ हानिकारक है बल्कि शरीर में कई और घातक बीमारियों की वजह बी बन सकता है, लोग अंधाधुंध इसका सेवन करते हैं, लेकिन ये शौकिया जहर इंसान को कितने नुकसान पहुंचाता हैं और उसे कितनी बीमारियों की गर्त में धकेल सकता है इसी विषय के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।
इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की गई। जब तंबाकू के सेवन से होने वाली मौतों के आंकड़ों में लगातार बढ़ोत्तरी देखी गई तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू के सेवन से रोकने और लोगों को इससे होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने के लिए तंबाकू निषेध दिवस मनाने का फैसला किया। वैसे पहली दफा तंबाकू निषेध दिवस 7 अप्रैल 1988 को मनाया गया लेकिन फिर 31 मई 1988 को इसके संबंध में एक प्रस्ताव पास हुआ और उसके बाद से हर साल 31 मई को World No Tobacco Day यानि विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाने लगा।
हर साल इस दिन को विश्वभर में एक स्पेशल थीम के साथ मनाया जाता है और लोगों को इसके घातक परिणामों से अवगत कराने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है साथ ही तंबाकू की लत को छोड़ने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। इस साल यानि साल 2021 में World No Tobacco Day की थीम रखी गई है Commit to Quit यानि तंबाकू छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध।
WHO के मुताबिक दुनिया भर में हर साल तंबाकू के सेवन से 8 मिलियन से ज्यादा लोगों की मौत होती है, क्योंकि किसी भी तरह के तंबाकू के लगातार सेवन से फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है और सांस की बीमारियों की गंभीरता बढ़ जाती है, तंबाकू के सेवन से होने वाले घातक
रोगों में फेफड़े का कैंसर, लिवर कैंसर, मुंह का कैंसर, कोलन कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और हृदय रोग जैसी बीमारियां शामिल हैं, और इन बीमारियों पर नियंत्रण का एकमात्र हल है लोगों में तंबाकू के घातक असर के प्रति जागरुकता फैलाना। इसी के तहत WHO ने 2008 में, तंबाकू के बारे में किसी भी तरह के विज्ञापन या प्रचार पर से सोचकर बैन लगाया, कि शायद विज्ञापन युवाओं को धूम्रपान करने के लिए आकर्षित करते हैं, और इस बैन से तंबाकू का सेवन करने वालों की संख्या घटे।
मौजूदा समय में भी हम देख रहे हैं कि कोरोना महामारी से ऐसे ज्यादातर लोगों की जानें जा रही हैं जो फेंफड़ों से संबंधित बीमारी का शिकार हैं या फिर चिनके लंग्स कमजोर हैं। कोरोना महामारी के दौरान ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये चेतावनी भी दी है कि धूम्रपान करने और अपने
फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को कोरोना से मौत का खतरा 50 फीसदी तक ज्यादा होता है ऐसे में कोरोना संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए बेहद जरूरी है कि किसी भी उत्पाद के रूप में तंबाकू के सेवन से बचा जाए। ऐसा शौक जो जान के जोखिम को बढ़ाए वो शौक, जानबूझ कर खाए हुए जहर की श्रेणी में आता है। जीवन व स्वास्थ्य की सक्षा के लिए तंबाकू को कहें ना।