कल्याण सिंह अब नहीं रहे। लेकिन एक हिंदू चेहरे के रुप में बड़ी पहचान रखने वाले कल्याण सिंह को कभी नहीं भुलाया जा सकता। यूपी के दो बार मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह की छवि कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी व प्रखर वक्ता की है। राम मंदिर आंदोलन में उनकी भूमिका बेहद अहम रही थी। अयोध्या आंदोलन को धार देने तथा एक रामभक्त होने के नाते उन्होंने सत्ता को मोह छोड़कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था।
राम मंदिर आंदोलन से पुराना नाता रखने वाले कल्याण सिंह के कार्यकाल में ही छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे का विध्वंस किया गया था। तब कल्याण सिंह ने पूरी घटना की जिम्मेदारी खुद ले ली थी और सरकार से इस्तीफा दे दिया था।
बतौर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने पूरी यूपी की राजनीति को पलट दिया था। राजनीति के जानकार यह मानते हैं कि वो कल्याण सिंह ही थे जिनकी हिम्मत के बूते बीजेपी ने यूपी के सियासत की कहानी ही बदल दी। 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद का ढ़ांचा ढहाया गया तब कल्याण सिंह ने इसका खामियाजा भुगता और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। कल्याण सिंह की कुर्सी भले ही चली गई पर बीजेपी मजबूती के साथ उभरी। कल्याण सिंह 1997 में दोबारा मुख्यमंत्री बने और दो साल इस पद पर काबिज रहे। उनका दूसरा कार्यकाल भी उनके लिए आसान नहीं था।
21 फरवरी 1998 में कल्याण सिंह को तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने बर्खास्त कर दिया था। राज्यपाल ने जगदंबिका पाल को रात साढ़े दस बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाई। जगदंबिका पाल कल्याण सिंह कैबिनेट में ही मंत्री थे। जगदंबिका पाल पर कांग्रेस से सांठ गांठ कर सीएम की कुर्सी पर काबिज होने के आरोप लगते रहे। राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ अटल बिहारी वाजपेयी ने मोर्चा खोल दिया। वो आमरण अनशन पर बैठ गये। रातोंरात मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले पर रोक लगाते हुए कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाने के आदेश दिये।
समय के साथ कल्याण सिंह और भाजपा के रिश्तों में तल्खियां आ गई। 1999 में कल्याण सिंह और पार्टी के बीच उपजे मतभेदों के चलते कल्याण सिंह ने पार्टी छोड़ राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया। 2002 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी वो अपनी पार्टी के बैनर तले लड़े लेकिन कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाये। साल 2004 में अटल जी के कहने पर वो दोबारा भाजपा से जुड़ गये। लेकिन यूपी के वो कद्दावर नेता जिनकी तूती बोला करती थी वो पार्टी में दोबारा वो जगह नहीं हासिल हुई।
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1935 को अलीगढ़ जिले की अतरौली तहसील के मढ़ौली ग्राम के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। वो राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी बने।