स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
हिन्दी फिल्मों के गीतों में अपने जादुई शब्दों से मिठास घोलने वाले दिग्गज गीतकार, कवि और स्क्रिप्ट राइटर जावेद अख्तर साबह आज 76 बरस करे हो गए हैं, जावेद साहब कहते हैं कि वे अपने वंश की सातवीं पीढ़ी हैं जो कविता, गीत और बोल लिख रहे हैं, आईये उनके जन्मदिन को मौके पर उनकी जिन्दगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें आपको बताते हैं जो आपको शायद ही पता होंगी।
नहीं लिया पिता के नाम का सहारा, खुद बनाई अपनी पहचान
जावेद अख्तर जो फिल्मी दुनिया में शब्दों के बादशाह हैं, फिर चाहें वो सुर में सजे हों, डायलॉग्स में या कहानी में। 17 जनवरी 1945 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे जावेद अख्तर साहब का वास्तविक नाम है जादू। उनके पिता निसार अख्तर एक मशहूर उर्दू शायर-गीतकार और मां सफिया एक उर्दू टीचर व लेखिका थीं। पिता की एक कविता थी लम्हा लम्हा किसी जादू का फसाना होगा इसी कविता के नाम पर जावेद साहब को जादू नाम मिला था। जिसे बाद में बदल कर जावेद कर दिया गया। छोटी उम्र में ही माता के देहांत की वजह से जावेद ने अपनी शुरुआती प़ढ़ाई अलीगढ़ में अपनी मौसी के पास रहकर की इसके बाद आगे की पढ़ाई भोपाल से की। अक्टूबर 1964 में वे मुंबई आ गए, आज जिस मुकाम पर वे हैं इस तक पहुंचने वाली राहे जावेद साहब के लिए काफी मुश्लिक भरी रहीं। न रहने को बसेरा था न जेब में पैसा, यहां तक कि कई रातें उन्होंने सड़कों पर ही गुजारीं। फिर उन्हें कमाल अमरोही के स्टूडियो में आसरा मिला।
डायलॉग राइटर से शुरु की करियर की शुरुआत
जावेद अख्तर ने अपने करियर की शुरुआत बतौर डायलॉग राइटर की लेकिन फिर उनके लिरिक्स और स्क्रिप्ट भी पसंद किए जाने लगे। 1964 में मुंबई पहुंचने से लेकर 1971 में सलीम खान के साथ मिलकर पहली फिल्म अंदाज लिखने तक जावेद अख्तर तमाम संघर्षों से होकर गुजरे लेकिन फिल्म जगत में अपनी जगह बनाने के लिए उन्होंने कभी अपने पिता की प्रसिद्धी का सहारा नहीं मिला। आखिरकार उनके हौसलों को उड़ान मिली और जावेद अख्तर की सलीम खान से मुलाकात हुई फिल्म सरहदी लुटेरा के सेट पर, इस फिल्म में सलीम हीरो थे और जावेद क्लैपर बॉय। ये मुलाकात आगे चलकर एक सफल जोड़ी बनी। सलीम-जावेद की जोड़ी में उन्होंने सीता और गीता, जंजीर, दीवार और शोले जैसी फिल्मों के डायलॉग लिखे, जो काफी मशहूर हुए। 70 के दशक में इस जोड़ी की जुगलबंदी ने कई हिट फिल्में दीं। सलीम जावेद की जोड़ी ने 24 फिल्मों को अल्फाज दिए जिनमें 20 फिल्में हिट साबित हुईं।
बचपन से ही थी साहित्य में रुचि
जावेद बचपन से ही ऐसे माहौल में पले बढ़े थे कि 12 साल की उम्र तक उन्हें हजारों शेर याद हो गए थे और 20 बरस की उम्र तक ये आंकड़ा लाखों में था, लेकिन वे अपने परिवार के काम को आगे बढ़ाने के इच्छुक नहीं थे इसलिए उन्होंने कभी कविताएं नहीं लिखी। जावेद अख्तर ने साल 1978 में पहली बार कविता लिखी, जिसके बाद 80 के दशक में यश चोपड़ा ने उन्हें फिल्म सिलसिला के लिए गीत लिखने का ऑफर दिया और इस तरह उनकी शायदी, डायरी के पन्नों से निकलकर सुरों की संगिनी बनी। इसके बाद तेजाब, 1942 अ लव स्टोरी, बॉर्डर और लगान जैसी फिल्मों में जावेद के लिखे गीतों को खूब प्यार मिला।
जावेद अख्तर ने दो निकाह किए, पहला हनी ईरानी से और दूसरा शबाना आजमी से। हनी ईरानी एक पटकथा लेखक थीं, उनकी और जावेद अख्तर की मुलाकात हुई थी फिल्म सीता और गीता के सेट पर, साल 1972 में 27 साल के जावेद ने अपने से 10 साल छोटी 17 साल की हनी ईरानी से शादी की। हनी ईरानी और जावेद अख्तर की दो संतानें हैं फरहान अख्तर और जोया अख्तर। 6 साल रिश्ते में रहने के बाद हनी और जावेद साल 1978 में अलग हो गए।
शबाना आज़मी से हुई मुलाकात
इसके बाद जावेद अख्तर की मुलाकात हुई शबाना आजमी से। वे शबाना आजमी के पिता कैफी आजमी से कविताओं के सिलसिले में उनसे मिलने उनके घर जाया करते थे वहीं दोनों में बातचीत शुरु हुई और धीरे धीरे बातचीत प्यार में बदल गई। हालांकि शबाना की मां इस रिश्ते के लिए राजी नहीं थी, फिर भी दोनों की लव स्टोरी शादी के मुकाम तक पहुंची और 1984 में उन्होंने शबाना आजमी से शादी की। शबाना की कोई संतान नंही है लेकिन जोया और फरहान से उनका रिश्ता काफी मिठास भरा है।
अल्फाजों की प्रतिभा के धनी जावेद अख्तर अपने हुनर के लिए कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। साल 1999 में पद्म श्री, 2007 में पद्म भूषण, साहित्य अकादमी अवॉर्ड के साथ-साथ पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरुस्कारों से नवाजे गए जावेद साहब 14 फिल्म फेयर अवार्ड से भी सम्मानित हुए हैं। इसके अलावा साल 2020 में उन्हें रिचर्ड डॉकिंस अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है। जावेद अख्तर इस अंतर्राष्ट्रीय अवॉर्ड को जीतने वाले पहले भारतीय हैं।
उम्र भले बढ़ रही है लेकिन जावेद अख्तर साहब की लेखनी में वो जादू है कि उनके लिखे शब्द एक बार पढ़ने के बाद कोई उन्हें भूल नहीं पाता फिर चाहें वो गीत हों डायलॉग या फिर उनकी उम्दा शायरी। जावेद साहब के 76वें जन्मदिन पर नेशनल खबर उन्हें बधाई देता है, और दुआ करता है कि आप सदा यूं ही अपने लिखे अल्फाजों से सिने जगत की फिल्मों को दमदार बनाते रहें, और नई पीढ़ी के लिए ऐसी ही जीवंत शायरी लिखते रहें।