केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को लोकसभा में कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है और उचित समय आने पर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा। संसद के निचले सदन में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2021 पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का विकास मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि इससे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा।
नरेंद्र मोदी की सरकार देश के लिए फैसले करती है- गृह मंत्री
गृह मंत्री ने कहा, “मैं फिर से कहता हूं कि इस विधेयक का जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है। उपयुक्त समय पर प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया जाएगा।” 4जी इंटरनेट सुविधाएं दबाव में बहाल करने के आरोप पर जवाब देते हुए शाह ने कहा, “असदुद्दीन ओवैसी जी ने कहा कि 2जी से 4जी इंटरनेट सेवा को विदेशियों के दबाव में लागू किया है। उन्हें पता नहीं है कि यह यूपीए सरकार नहीं, जिसका वह समर्थन करते थे। यह नरेन्द्र मोदी की सरकार है, जो देश के लिए फैसले करती है।”
उन्होंने कहा, ‘‘यहां कहा गया कि अनुच्छेद 370 हटाने के वक्त जो वादे किए गए थे, उनका क्या हुआ? मैं उसका जवाब जरूर दूंगा लेकिन पूछना चाहता हूं कि अभी तो अनुच्छेद 370 को हटे हुए केवल 17 महीने हुए हैं, आपने 70 साल क्या किया उसका हिसाब लेकर आये हो क्या?
विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं
अमित शाह ने सदन में यह साफ किया कि इस विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि विधेयक में कहीं भी नहीं लिखा है कि इससे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। इस विधेयक में आल इंडिया सर्विस अधिकारियों के जम्मू-कश्मीर कैडर के अधिकारियों को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम संघ शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) में मिलाने का प्रविधान है।
विपक्ष को आड़े हाथों लिया
केंद्रीय गृह मंत्री ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिन्हें पीढ़ियों तक देश में शासन करने का मौका मिला, वे अपने गिरेबां में झांककर देखें, क्या आप हमसे 17 महीने का हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं। शाह ने कहा, ‘‘मैं इस सदन को फिर से एक बार कहना चाहता हूं कि कृपया जम्मू कश्मीर की स्थिति को समझें। राजनीति करने के लिए कोई ऐसा बयान न दें, जिससे जनता गुमराह हो। अनुच्छेद 370 का समर्थन किए जाने पर उन्होंने विपक्ष को कहा कि संविधान में यह अस्थायी व्यवस्था थी, लेकिन कांग्रेस और दूसरे दलों ने इसे 70 साल तक जारी रखा।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा अनुच्छेद 370 हटाते समय सरकार के किए वादे की याद दिलाने पर शाह ने कहा, ‘मैं इसका जवाब जरूर दूंगा, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि अभी तो अनुच्छेद 370 को हटे हुए केवल 17 महीने हुए हैं। आपने 70 साल तक क्या किया? उसका हिसाब लेकर आए हो क्या?’
ओवैसी पर साधा निशाना
अमित शाह ने विपक्षी सांसदों को पढ़कर आने की नसीहत देते हुए AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधा और कहा, ‘ओवैसी साहब, अफसरों का हिंदू-मुस्लिम में विभाजन कर रहे हैं। आपके मन में सब चीज हिंदू-मुस्लिम है… मैं तो समझता हूं आपको।’ गृहमंत्री ने कहा, ‘एक मुस्लिम अफसर हिंदू जनता की सेवा नहीं कर सकता या हिंदू अफसर मुस्लिम जनता की सेवा नहीं कर सकता क्या? अफसरों को हिंदू मुस्लिम में बांटते हैं और खुद को सेक्युलर कहते हैं।’ बता दें कि एआईएमआईएम सांसद असादुद्दीन ओवैसी ने जम्मू कश्मीर में आबादी के हिसाब से मुस्लिम अफसरों की संख्या कम होने का आरोप लगाया था।