जलियांवाला बाग में नई रोशनी बिखरी है, चमक दमक है, लेकिन शहादत की दास्तां कहने वाले निशान गायब हैं। अब यह ऐसिहासिक स्मारक रेनोवेशन करने के बाद करीब डेढ़ साल के बाद खोला गया है। बदलाव को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए है। शहीदों के परिवारवाले, इतिहासकारों मानते हैं कि यह शहीदों का अपमान है। जिस गली से जनरल डायर सिपाही लेकर अंदर गया था, उसकी हिफाजत की जानी चाहिए थी। उसका स्वरूप बदलना गलत है।