हर साल 8 सितंबर को International Literacy Day यानि अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दिन को मनाने का उद्देश्य तो आप समझ ही गए होंगे, लेकिन इस दिन को मनाने की शुरुआत कब और किसके द्वारा की गई, और उद्देश्य की पूर्ति में इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाना कितना सार्थक रहा, International Literacy Day से जुड़ी ऐसी तमाम महत्वपूर्ण बातों के लिए पढ़िये ये आर्टिकल।
बरसों हुए, जब दूरदर्शन पर सफदर हाशमी का एक गीत काफी पॉपुलर हुआ था, शायद इस गीत के बोल आपको भी याद हों, अगर नहीं याद हैं तो पहले ये पढ़े गीत और फिर साक्षरता के बारे में पढ़िए।
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो
पढ़ना-लिखना सीखो ओ भूख से मरने वालो
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ़ को पढ़ना सीखो
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लड़ना सीखो
ओ सड़क बनाने वालो, ओ भवन उठाने वालो
खुद अपनी किस्मत का फैसला अगर तुम्हें करना है
ओ बोझा ढोने वालो ओ रेल चलने वालो
अगर देश की बागडोर को कब्ज़े में करना है
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ़ को पढ़ना सीखो
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लड़ना सीखो
पूछो, मजदूरी की खातिर लोग भटकते क्यों हैं?
पढ़ो,तुम्हारी सूखी रोटी गिद्ध लपकते क्यों हैं?
पूछो, माँ-बहनों पर यों बदमाश झपटते क्यों हैं?
पढ़ो,तुम्हारी मेहनत का फल सेठ गटकते क्यों हैं?
पढ़ो, लिखा है दीवारों पर मेहनतकश का नारा
पढ़ो, पोस्टर क्या कहता है, वो भी दोस्त तुम्हारा
पढ़ो, अगर अंधे विश्वासों से पाना छुटकारा
पढ़ो, किताबें कहती हैं – सारा संसार तुम्हारा
पढ़ो, कि हर मेहनतकश को उसका हक दिलवाना है
पढ़ो, अगर इस देश को अपने ढंग से चलवाना है
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालो
पढ़ना-लिखना सीखो ओ भूख से मरने वालो
गीतकार- सफ़दर हाशमी
इस गीत से आप इतना तो समझ ही गए होंगे कि साक्षर होना क्यों जरूरी है, वैसे Literacy यानि सारक्षता, जिसे सरल शब्दों में पढ़ा लिखा होना या किताबी ज्ञान कह सकते हैं, लेकिन साक्षरता का वास्तविक अर्थ सिर्फ शिक्षित होना नहीं है, साक्षरता से अर्थ है व्यक्तिको उसके अधिकारों का ज्ञान होने के साथ साथ अपने कर्तव्यों के प्रति जागरुकता और सजगता। यही साक्षरता सामाजिक विकास की नीव को मजबूत करती है और असमानता व गरीबी जैसी समस्याओं से समाज मुक्त होता है यानि संपूर्ण विकास के लिए जरूरी आयामों में साक्षरता एक महत्वपूर्ण विषय है, जो व्यक्ति के स्वयं के विकास के साथ समाज और देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए साक्षरता सबसे बड़ी जरूरतों में शामिल हो जाती है।
साक्षरता के महत्व को विश्व का हर बाशिंदा समझे और निरक्षरता को खत्म कर साक्षर विश्व बनाने के उद्देश्य में अपनी भागीदारी दे, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए यूनेस्को यानि संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन ने 17 नवंबर 1965 को वैश्विक स्तर International
Literacy Day मनाने का फैसला लिया और 8 सितंबर की तारीख को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस घोषित किया गया। जिसके बाद साल 1966 में विश्व ने पहला साक्षरता दिवस मनाया और तभी से हर साल वैश्विक स्तर पर निरक्षरता के अंत के लिए ये एक दिन दुनियाभर में मनाया जाता है, ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को व्यक्तियों, समुदायों और समाजों के लिए साक्षरता के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके और साक्षर समाजों के लिए चल रहे प्रयास और तेज हो सकें।
इस साल यानि 2021 में हम 55वां अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मना रहे हैं लेकिन एक सोचनीय विषय जिसपर ध्यान देने की जरूरत है कि वैश्विक स्तर पर साक्षरता दिवस मनाने के इतने वर्षों के बाद भी दुनिया में कई देश ऐसे हैं जो पूर्ण साक्षर नहीं हैं, इन देशों में भारत भी शामिल है जहां साक्षरता दर अभी भी वैश्विक स्तर यानि 84 फीसदी से नीचे है, हालांकि आजादी के बाद से भारत ने इस दिशा में काफी सुधार किया है, 1947 में भारत की साक्षरता महज 18 फीसदी थी, जो 2011 में 74 फीसदी के ऊपर जा पहुंची है, लेकिन अभी भी इस दिशा में और सुधार की दरकार है। आज भारत में सबसे अधिक साक्षरता वाला राज्य है केरल,जहां की 93 फीसद आबादी साक्षर है जिनमें 96 फीसदी पुरुष और 92 फीसद महिलाएं हैं, वही सबसे साक्षर राज्य है बिहार, जहां 63.82 प्रतिशत लोग साक्षर हैं। वैसे देश में निरक्षरता के खात्मे के लिए सर्व शिक्षा अभियान इस दिशा में सराहनीय कदम है, जिससे आने वाले वर्षों में साक्षरता दर बढ़ने की उम्मीद है।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर साल एक खास विषय के साथ विश्व भर में मनाया जाता है, ताकि दुनिया के हर छोर को साक्षर बनाया जा सके। इस साल International Literacy Day यानि अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम या कहें विषय है, “Literacy for a human-centred
recovery: Narrowing the digital divide” यानि मानव-केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता: डिजिटल विभाजन को कम करना।