स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
हर साल 22 मई की तारीख को विश्वभर में Biological Diversity Day यानि विश्व जैव विविधता दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये विषय जितना महत्वपूर्ण है, आज की पढ़ी-लिखी पीढ़ी इससे उतनी ही अनभिज्ञ है, इस आर्टिकल के माध्यम से समझिए कि जैव विविधता का मानव जीवन में क्या महत्व है और इस विषय के लिए हर साल एक दिन क्यों निर्धारित किया गया है।
इंसान ईश्वर की बनाई सबसे सुंदर रचना है, लेकिन धरती पर जीवन पाते अन्य जीवों से अगल इंसान ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो प्रकृति को नुकसान पहुंचाने में संकोच नहीं करता, लेकिन पृथ्वी केवल मानव की जागीर नहीं, इस धरा पर वास करने वाले हर जीव-जन्तु का भी इस पर उतना ही अधिकार है जितना मानव का, और इसमें भी कोई संदेह नहीं कि इसके संचारल में मनुष्य के साथ साथ हर जीव जन्तु का अपने अपने स्तर पर योगदान महत्वपूर्ण है। आधुनिकता की दौड़ में मनुष्य भले प्रकृति और पृथ्वी के प्रति अपने दायित्व को भूल गया हो, लेकिन मधुमक्खी, दीमक, चींटी जैसे नन्हें जीव निरंतर अपने दायित्वों को निभाते आ रहे हैं, बस एक मानव ही है जो संतुलन के इस चक्र को तोड़ने की भूल करता रहता है, कभी जानबूझकर तो कभी अनजाने में जैव विविधता को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन हम ये भूल जाते हैं कि जैव विविधता का क्षरण मानव के पतन का कारण बनेगा, इसी लिए इस दिन और इस विषय के महत्व को जानना समझना हम सभी के लिए आवश्यक है।
धरती पर जीवन, प्रकृति का एक अनमोल उपहार है, और उस जीवन के सहज संचालन के लिए प्रकृति ने हमें दिए हैं ऐसे तमाम प्राकृतिक संसाधन, जिनके अभाव में जीवन असंभव है, सरल शब्दों में यही जैव विविधता के महत्व की सार्थक परिभाषा है। या आप ये भी कह सकते हैं कि धरातलीय, महासागरीय और अन्य जलीय पारिस्थितिकीय तंत्रों में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों व अनेक प्रकार की वनस्पतियों का अस्तित्व धरती पर एक साथ बनाए रखना, जैव विविधता कहलाता है। यानि प्रकृति ने जो जैसे सजाय़ा है उसे वैसा रहने दिया जाए, उनके प्राकृति अस्तितव से छेड़छाड़ या उसका खात्म मानव के विनाश की शुरुआत हो सकता है।
इंसान विकास की दौड़ में ये भूल चला है कि पेड़-पौधे, वन या जंगल, अनेक प्रकार के जीव-जंतु, कीड़े- मकोड़े, मिट्टी, हवा, पानी, महासागर-पठार, चट्टानें, समुद्र-नदियां, ये सभी प्रकृति के दिए वो अनमोल उपहार हैं जो प्राकृतिक और पर्यावरण संतुलन में अहम योगदान देते हैं, लेकिन यदि जीवन को सहज, सरल और सुरक्षित रखना है तो हमें ये समझना होगा कि इसलिए इन सबका संरक्षण जीवन के अस्तित्व और विकास के लिए अनिवार्य है। बस इसी को ध्यान में रखते हुए और इस विषय के प्रति प्रत्येक को जागरुक कराने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व जैव विविधता दिवस मनाने की शुरुआत की गई, जिसे विश्व जैव विविधता संरक्षण दिवस भी कहा जाता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पहली बार 29 दिसम्बर, 1993 को जैव विविधता दिवस मनाया गया था, लेकिन साल 2000 से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाए जाने का संकल्प पारित किया। यूएन ने इस दिन के लिए 22 मई की तारीख का चुनाव इसलिए किया क्योंकि 2 मई, 1992 को नैरोबी में Convention on Biological Diversity के पाठ को स्वीकार किया गया था। तबसे हर साल एक विशेष थीम के साथ इस दिन को मनाया जाता है और लोगों को जैव-विविधता के महत्त्व के प्रति अवगत कराया जाता है। इस साल यानि 2021 में इस दिन की थीम रखी गई है We’re part of the solution.
इस दिन को मनाने का उद्देश्य ऐसे पर्यावरण का निर्माण करना है, जो जैव विविधता में समृद्ध, टिकाऊ व आर्थिक गतिविधियों के लिए अवसर प्रदान कर सके. इसमें खासतौर पर प्राकृतिक जंगलों की सुरक्षा, संस्कृति, जीवन के कला शिल्प, संगीत, वस्त्र-भोजन, औषधीय पौधों का महत्व आदि को प्रदर्शित करके जैव-विविधता के महत्व और उसके न होने पर होने वाले खतरों के बारे में जागरूक करना है। इस दिन के माध्यम से लोगों को इन बातों से भी अवगत कराया जाता है कि जैव विविधता की कमी या नुकसान होने पर मानव को किन-किन प्राकृतिक प्रकोपों को झेलना पड़ता है। जैव विविधता के प्रभावित होने से प्राकृतिक आपदा जैसे- बाढ़, सूखा, तूफान आदि आने का खतरा बहुत बढ़ जाता है, यानि प्राकृतिक संसाधनों से छेड़छाड़ हमें हवा, पानी और अन्न के लिए मोहताज कर सकती है, और बिन बुलाई आफतें मुह बाए खड़ी रहेंगी सो अलग, इसलिए ये विषय हर किसी के लिए समझना जरूरी है, ताकि हम सब अपने अपने स्तर पर जैव विविधता संरक्षण में अपनी भूनिका निभा सकें।
जैव विविधता की दृष्टि से विश्व में भारत का 17वाँ स्थान है, विश्व में पाई जाने वाली विभिन्न जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों की प्रजातियों का लगभग 7-8% हिस्सा भारत में पाया जाता है। विश्व में कुल 34 जैव विविधता हॉटस्पॉट हैं, जिनमें से 4 भारत में हैं। आप इस विषय को यदि हल्का समझने की भूल करते हैं तो आपको ये पता होना जरूरी है कि जैव विविधता संसाधनों का वो आधार है जिनपर इंसानी सभ्यताओं का निर्माण होता है। पानी में तैरने वाली मछली करीब 3 बिलियन लोगों को 20 प्रतिशत पशु प्रोटीन देती है। 80 फीसदी से ज्यादा खाद्य पदार्थ हमें पौधों से प्राप्त होते हैं। इतना ही नहीं विकासशील देशों के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली 80 फीसदी आबादी पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए पारंपरिक यानि औषधीय पौधों पर आधारित दवाओं पर निर्भर हैं, ऐसे में जैव विविधता का संरक्षण कितना महत्वपूर्ण है, आप खुद समझ सकते हैं।