स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए एक वैश्विक मुहिम ‘अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस’
हर साल 9 दिसंबर को मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस, इस दिन को मनाने का उद्देश्य इसके नाम से ही साकार हो रहा है कि भष्ट्राचार के खात्मे के कारगर उपायों के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन के महत्व को समझने और भष्टाचार के उन्मूलन के प्रति जागरूक होने की सबसे ज्यादा जरूरत इस वक्त भारत को है, क्योंकि हाल ही में आए एक सर्वे के मुताबिक भारत में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी मजबूत हैं। अंतर्राष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के हालिया सर्वे के मुताबिक भारत एशिया का एक ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने इसी साल जून से सितंबर के बीच 17 देशों के 20 हजार लोगों के बीच भ्रष्टाचार और घूंसखोरी को लेकर एक सर्वे किया जिसकी रिपोर्ट संस्था ने नवंबर के अंत में जारी की, इस सर्वे का निष्कर्ष भारत के लिए ना सिर्फ शर्मनाक था बल्कि देश के लिए चिंता और गंभीर चिंतन का विषय भी, क्योंकि घूसखोरी के मामले में भारत टॉप पर है और सबसे ईमानदार एशियाई देश हैं मालदीव और जापान, जहां महज दो फीसदी लोगों ने माना है कि कभी उन्हें किसी काम के लिए रिश्वत दी हो, ठीक इसके उलट भारत में घूसखोरी की दर 39 फीसद है, और देश में सबसे बड़ी समस्या है सरकारी भ्रष्टाचार। ऐसे में 9 दिसंबर को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस के मायने हर भारतीय के लिए बढ़ जाते हैं, ताकि इससे लड़ने और इसके उन्मूलन के विषय पर गंभीरता से विचार और काम हो सके।
भष्ट्राचार के विरोध में एक खास दिन मनाने से पहले ये समझना होगा कि भ्रष्टाचार है क्या? तो भ्रष्टाचार को परिभाषित करते हुए संयुक्त राष्ट्र कहता है कि ये एक गंभीर अपराध है जो हर समाज के सामाजिक और आर्थिक विकास को कमजोर करता है। कहीं ज्यादा तो कहीं कम, लेकिन आज भ्रष्टाचार हर देश में व्याप्त है, इससे कोई क्षेत्र, कोई समुदाय अछूता नहीं रहा। दुनिया के हर हिस्से में फैला भ्रष्टाचार, फिर चाहे वो राजनैतिक हो, सामाजिक हो या आर्थिक, लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने के साथ-साथ सरकारी अस्थिरता का कारण बनता है, किसी भी देश के आर्थिक विकास को धीमा करता है।
आसान शब्दों में कहें तो किसी भी जायज या फिर नाजायज काम को करने या करवाने के लिए अतिरिक्त या अनुचित लाभ लेना या देना भ्रष्टाचार माना जाता है। अब ये लाभ धन के रूप में भी हो सकता है, जिसे रिश्वत कहते हैं या फिर किसी दूसरी तरह का भी। विकासशील देशों के लिए ये एक गंभीर अपराध है जिससे देश का सामाजिक आर्थिक विकास तो प्रभावित होता ही है राष्ट्रीय सुरक्षा भी प्रभावित होती है।
International Anti-Corruption Day यानि अंतर्राष्ट्रीय भष्टाचार निरोध दिवस भारत में साल 2006 से मनाया जा रहा है, ये एक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम है जिसे United Nations Office on Drugs and Crime द्वारा हर साल एक थीम यानि विषय के साथ दुनियाभर में आयोजित किया जाता है, इस साल यानि 2020 की थीम है United Against Corruption। ये कार्यक्रम 2030 के सतत विकास लक्ष्य को बनाए रखने के भ्रष्टाचार के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को भी प्रोत्साहित करता है। जिसके तहत विभिन्न एजेंसिया प्रोत्साहन व जागरुकता कार्यक्रम चलाती हैं विभिन्न निजी संगठनों के सदस्य भी जनमानस में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए जागरुकता फैलाने की मुहिम चलाते हैं। इन कार्यक्रमों में लोगों को भ्रष्टाचार से लड़ने और इसे रोकने के तरीकों के बारे में बताया जाता है। भारत में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर भष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, भ्रष्टाचार नामक इस मीठे जहर से समाज पर हो रहे प्रभावों से लोगों को अवगत कराया जाता है ताकि लोग भ्रष्टाचार नामक दानव के कारण खराब हो रही समाज की बनावट को सुधार सकें।
वास्तव में देखा जाए तो भ्रष्टाचार हमारी अपनी लापरवाही या कहें आदतों का नतीजा है, इसके पनपने में जितनी भागीदारी सरकारी तंत्र की है उतनी ही प्राइवेट सेक्टर और आम आदमी की, क्योंकि ज्यादातर लोग इसे जीवन का हिस्सा मान चुके हैं, जो न इस स्थिति को बदलने में अपना योगदान देना चाहते हैं ना जानते, देखते, शिकार होते भी इसका विरोध करना चाहते हैं। ले-दे के काम हो जाए वाली प्रवृत्ति करीब-करीब हर किसी के दिमाग में जगह बना चुकी है क्योंकि हम सभी को लगता है कि भ्रष्टाचार एक लाइलाज बीमारी है जिसे खत्म करना असंभव है, तो हम ही क्यूं विरोध करें, लेकिन अगर हर नागरिक दृढ़ निश्चयी हो जाए और समाज में व्याप्त हर प्रकार के भ्रष्टाचार को मिलकर खत्म करने का प्रण ले तो इस बुराई पर जीत संभव है। खुद के साथ हो रहे किसी भी अन्याय या अनुचित व्यवहार को कभी स्वीकार न करें, सत्य व न्याय के लिए आवाज उठाएं। ऐसा करके, भ्रष्टाचार के उन्मूलन में हम सभी अपना योगदान दें, क्योंकि भ्रष्टाचार का खात्मा ही हमें 2030 तक सतत विकास का लक्ष्य प्राप्त कराएगा औऱ तभी हमारा इस दिन को मनाना भी सार्थक माना जाएगा।