आज मंगलवार है, तारीख 24 अगस्त 2021; भादों मास, कृष्ण पक्ष, द्वितीया तिथि
1- वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कल, सोमवार को छह लाख करोड़ रुपये की नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन स्कीम लॉन्च की, ये योजना 2022 से 2025 तक चलेगी। स्कीम के तहत रेलवे, एयर पोर्ट और कोल माइनिंग सेक्टर की बेसिक प्रॉपर्टीज का मोनिटाइजेशन किया जाएगा। स्कीम के तहत 15 रेलवे स्टेडियम, 25 एयरपोर्ट और 160 माइनिंग प्रोजेक्ट्स, रोड, पॉवर ट्रांसमिशन लाइन और गैस पाइपलाइन को मॉनेटाइज किया जाएगा। स्कीम के लॉन्च के साथ ही वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ किया कि हम कोई जमीन नहीं बेच रहे हैं, सरकार सिर्फ अंडर-यूटिलाइज्ड एसेट्स को ही बेचेगी। इसका अधिकार सरकार के पास ही रहेगा और प्राइवेट सेक्टर के पार्टनर्स को निर्धारित समय सीमा के बाद ये अनिवार्य रूप से वापस करना होगा। आसान शब्दों में समझें तो नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना के तहत सरकारी संपत्तियों के इस्तेमाल के अधिकारों को केन्द्र सरकार एक तय वक्त के लिए निजी हाथों में देगी, विभिन्न सेक्टर्स के ऐसे अधिकार बेचकर और इनविट जैसे निवेश के दूसरे तरीकों से आने वाले 4 साल में 2022 से 2025 के बीच, 6 लाख करोड़ रुपए की रकम जुटाने की प्लानिंग की गई है। इससे वित्तीय घाटे पर नियंत्रण के साथ देश के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
2- जातीय जनगणना को लेकर भारतीय जनता पार्टी काफी फूंक-फूक कर कदम रख रही है। पार्टी मुद्दे के विरोध में भी है लेकिन खुलकर समर्थन देती भी नजर नहीं आ रही, बीजेपी जातीय जनगणना तो चाहती है लेकिन इस मुद्दे में फ्रंटफुट पर रहना नहीं चाहती। कल, सोमवार को इसी मुद्दे पर बिहार के 10 सियासी दलों के नेताओं ने दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात की। पीएम से मीटिंग के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि, प्रधानमंत्री ने हमारी बातों को ध्यान से सुना, उन्होंने जातिगत जनगणना की मांग को नकारा नहीं है वहीं राजद लीडर तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना को राष्ट्रहित में बताते हुए कहा कि, जब पेड़-पौधों की गिनती हो सकती है तो जातियों की क्यों नहीं। वहीं बीजेपी के शीर्ष नेता इस मुद्दे पर कुछ भी साफ साफ बोलने से बच रहे हैं। जातीय जनगणना को लेकर चल रही इस बहस के बीच अभी तक सरकार ने साल 2021 में होने वाली जनगणना की तारीखों को लेकर भी कोई निर्णय नहीं लिया है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स की माने तो भाजपा की इस उधेड़बुन के पीछे यूपी और अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव हैं। वैसे जातीय जनगणना हुई तो सरकार के सामने एक और समस्या खड़ी हो सकती है,वो है आरक्षण। जातीय जनगणना के बाद मौजूदा आरक्षण को भी नए सिरे से तय करने की नई मांग जोर पकड़ेगी और फिर इसे लागू करने का दबाव भी बढ़ेगा। शायद ये कुछ बड़ी वजहें हैं जिनके चलते सरकार अब तक जातीय जनगणना को लेकर आगे कदम नहीं बढ़ा सकी है।
3- उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई, लेकिन उनके श्रद्धांजलि समारोह की सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर ने ऐसा बवाल मचाया कि सपा और कांग्रेस के नेता भाजपा पर हमलावर हो गए। दरअसल बीजेपी की ओर से ट्वीट की गईं श्रद्धांजलि समारोह की वायरल हुई तस्वीर में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के ऊपर भारतीय जनता पार्टी का झंडा दिखाई दे रहा है, जिसे लेकर सपा प्रवक्ता जूही सिंह और कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सवाल उठाए। जूही सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, किसी भी दल का ध्वज, राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर नहीं हो सकता है। मौजूदा सरकार को अगर ये लगता है कि पार्टी का झंडा, राष्ट्र से ऊपर है तो यह उनकी सोच पर बड़ा सवालिया निशान है। वहीं कांग्रेस नेता नसीमुद्दीन ने कहा कि गाइडलाइन का उलंघन करना गलत बात है। हालांकि सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को लेकर अलग अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, वहीं राष्ट्रीय ध्वज संहिता इस विषय में कहती है कि राष्ट्र ध्वज से
ऊपर तो क्या कोई दूसरा झंडा उसके बराबर भी नहीं रखा जा सकता और न ही राष्ट्रीय ध्वज दंड के ऊपर कोई फूल, फूलमाला या सिंबल्स रखा जा सकता है। वैसे इस मामले को लेकर बीजेपी की ओर से नेताओं का कहना है कि मुद्दा विहीन विपक्ष ऐसे समय में भी मुद्दा तलाश रहा है।
4- केन्द्र सरकार के लाए तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों का प्रदर्शन 9 महीने से लगातार जारी है, इस बीच किसानों द्वारा सड़कें जाम करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केन्द्र और यूपी सरकार को इसका हल खोजना होगा। किसान आंदोलन के चलते सड़कें जाम होने से आम जनता को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इसी को लेकर नोएडा के एक शख्स ने सुप्रीम कोर्य में याचिका दायर कर मांग की थी कि नोएडा से दिल्ली को जोड़ने वाली सड़कें किसान आंदोलन के चलते बंद हैं और इसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन सड़कों को खोला जाना चाहिए। याचिका सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन सड़कों को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता है। इस समस्या का हल केंद्र और संबंधित राज्य सरकार के हाथ में है, किसी भी वजह से सड़कों को जाम नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि इस मामले में समाधान ढूंढकर अदालत को रिपोर्ट करे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और तीन संबंधित राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
5- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के लिए 31अगस्त तक की तारीख तय की है, अब इस पर तालिबानी की तरफ से धमकी भरे अंदाज में कहा गया है कि अगर 31 अगस्त तक अमेरिकी सेना अफगानिस्तान नहीं छोड़ती तो अमेरिका को इसका गंभीर अंजाम भुगतना होगा। तालिबानी प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति साफ कर चुके हैं कि सैनिकों की वापसी का काम 31 अगस्त तक पूरा हो जाएगा, और अमेरिकी सेना इस तारीख तक अफगानिस्तान छोड़ देगी, उन्हें अपनी इस बात पर कायम रहना चाहिए, 31 अगस्त के बाद सेना को एक भी दिन का वक्त नहीं दिया जाएगा, अगर अमेरिकी से इस तारीख को आगे बढाती है तो उन्हें इसका परिणाम भुगतना होगा। वहीं दूसरी तरफ ऐसी संभावना है कि इमरजेंसी G7 बैठक में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से सेना को 31 अगस्त के बाद भी अफगानिस्तान में रोकने की बात कर सकते हैं क्योंकि काबुल एय़रपोर्ट पर हजारों लोग अभी भी अफगानिस्तान छोड़ने के लिए प्लाइट्स मिलने के इंतजार में बैठे हैं, जिनमें विदेशियों के साथ-साथ अफगानी भी हैं।
6- कोविड-19 की तीसरी लहर को लेकर लंबे समय से आशंकाएं बनी हुई हैं। इसे लेकर गृह मंत्रालय के एक पैनल ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को सचेत किया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट (NIDM) के तहत बनाई गई कमेटी ने चेतावनी दी है कि अक्टूबर में संक्रमण पीक पर पहुंच सकता है। कमेटी ने आशंका जताई है कि तीसरी लहर के दौरान बच्चों पर सबसे बुरा असर पड़ सकता है और इसे लेकर अलर्ट रहने की जरूरत है। कमेटी ने सतर्कता बरतने की हिदायत दी है और अस्पतालों को सचेत रहने को सुझाया है । रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में बच्चों के लिए मेडिकल सुविधाएं, वेंटीलेटर, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस, ऑक्सीजन की व्यवस्था पर काम पूरा हो जाना चाहिए। यह भी अंदेशा है कि तीसरी लहर बच्चों के साथ युवाओं के लिए भी खतरनाक होगा। रिपेार्ट में कहा गया है कि सितंबर के अंत तक तीसरी लहर का असर हर ओर देखने को मिल जाएगा। जबकि अक्टूबर में हालात और बिगड़ जाएंगे। देश में रोजाना 5 लाख से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ सकते हैं। कमेटी ने चेतावनी दी है कि यह हालात तकरीबन दो महीने तक बने रहेंगे। जिसके चलते कई राज्यों में लॉकडाउन की जरूरत भी आ सकती है।
7- कल, सोमवार को जम्मू कश्मीर पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों को ढेर किया। अनकाउंटर में मारे गए दोनों आतंकवादियों में एक का नाम मोहम्मद अब्बास शेख है जो कि लश्कर का कमांडर था, 45 साल का अब्बास शेख सबसे पुराने आतंकियों में से था, जो पहले पहले हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़ा हुआ था औऱ बीते 6 साल में वो कई बार पुलिस के चंगुल से निकल चुका था। जबकि दूसरे का नाम शाकिब मंजूर है। मारे गए दोनों ही आतंकियों के नाम इस साल पुलिस की तरफ से जारी की गई वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल थे। दोनों आतंकियों के एनकाउंटर में मारे जाने को IG पुलिस विजय कुमार ने बड़ी कामयाबी बताया है।