श्वेता रंजन, नई दिल्ली
World Champion Boxer Nikhat Zareen: अपने दमदार मुक्कों से दुनिया भर की लड़कियों को निडरता के साथ आगे बढ़ने का संदेश देने वाली निखत जरीन का आज (14 जून) जन्मदिन है।
25 साल की निखत जरीन एआईबीए विमेंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद से लगातार चर्चा में बनी हुई हैं।पिछले महीने इस्तांबुल में 52 किग्रा वर्ग में थाइलैंड की बॉक्सर को मात देने के बाद से निखत ने उन सबको करारा जवाब दिया है जो एक मुस्लिम लड़की के शॉर्ट्स पहनकर बॉक्सिंग जैसा खेल खेलने पर सवाल उठाया करते थे।
भारतीय महिला प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) द्वारा आयोजित एक बातचीत में 25 वर्षीय निखत ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं लड़ रही है, वह भारत के लिए लड़ती है और जीतती है।
“एक एथलीट के रूप में मैं यहां भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए हूं। मेरे लिए हिंदू-मुसलमान मायने नहीं रखता। मैं किसी समुदाय का नहीं बल्कि अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रही हूं। अपने देश के लिए पदक जीतकर खुश हूं।”
जरीन को फ्लाईवेट वर्ग में मौका पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा, जिसे अनुभवी भारतीय मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम ने खुद बनाया है, लेकिन तेलंगाना मुक्केबाज को लगता है कि इंतजार ने उनकी अच्छा प्रदर्शन करने की भूख को बढ़ा दिया। एआईबीए विश्व चैम्पियनशिप में 52 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाली पांचवीं भारतीय मुक्केबाज़ बनीं। बता दें कि एम.सी. मैरी कॉम ने इसे आखिरी बार 2018 में जीता था।
उच्चतम स्तर पर ‘मानसिक दबाव’ से निपटने की ट्रेनिंग मिलनी चाहिए
भारत की राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों पर निखत ने कहा, “हमारे भारतीय मुक्केबाज बहुत प्रतिभाशाली हैं, हम किसी से कम नहीं हैं। हमारे पास ताकत, गति और शक्ति है। लेकिन विश्व स्तर पर पहुंच जाने के बाद मुक्केबाजों को मानसिक दबाव को संभालने के लिए प्रशिक्षण मिलना चाहिए। एक बार जब आप बड़े प्लेटफॉर्म पर पहुंच जाते हैं तो बहुत सारे एथलीट घबरा जाते हैं, वे प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं होते हैं।”
भारतीय एथलीटों में नियमित आयोजनों में अच्छा प्रदर्शन करने की प्रवृत्ति होती है लेकिन ओलंपिक या विश्व चैंपियनशिप जैसे बड़े मंच पर लड़खड़ा जाते हैं। निखत ने कहा, “हमारे भारतीय मुक्केबाज बहुत प्रतिभाशाली हैं, हम किसी से कम नहीं हैं। हमारे पास ताकत, गति और शक्ति है..सब कुछ”। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ इतना है कि एक बार जब आप उस (विश्व) स्तर पर पहुंच जाते हैं, तो मुक्केबाजों को मानसिक दबाव को संभालने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। एक बार जब आप बड़े प्लेटफॉर्म पर पहुंच जाते हैं तो बहुत सारे एथलीट घबरा जाते हैं, वे प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं होते हैं।”
आगामी राष्ट्रमंडल खेलों के लिए अपनी योग्यता से 50 किलोग्राम भार वर्ग में भारतीय टीम में जगह पक्की करने के बाद, विश्व मुक्केबाजी चैंपियन निखत जरीन ने कहा कि उनसे लोगों की उम्मीदें दोगुनी हो गई हैं। ऩिखत ने कहा पेरिस में स्वर्ण पदक जीतना उनका लक्ष्य है लेकिन फिलहाल उनका ध्यान राष्ट्रमंडल खेलों पर है। वो कहती हैं, “मैं कड़ी मेहनत करूंगी और 2024 के पेरिस ओलंपिक में पदक हासिल करने के लिए और अधिक तैयारी करूंगी। फिलहाल मेरा ध्यान बर्मिंघम में जुलाई से होने वाले आगामी राष्ट्रमंडल खेलों पर है।”
मुहम्मद अली व माइक टायसन से प्रभावित
अपने मुक्केबाजी के आदर्शों के बारे में बात करते हुए, निकहत ने कहा मैं मुहम्मद अली और माइक टायसन से प्रभावित रही। उन्होंने कहा कि वो ब्रिटिश ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज निकोला एडम्स से भी प्रभावित थीं, “मैं चाहती थी उसके साथ एक मैच हो लेकिन अब वो रिटायर हो चुकी हैं। मुझे उनकी साफ-सुथरी मुक्केबाजी की शैली पसंद है। ”