भारत की आजादी के लिए पहले आंदोलन कके नायक अमर शहीद मंगल पांडे को आज के ही दिन फांसी दी गई थी। 8 अप्रैल 1857 को अपने प्राणों की आहुती देने वाले 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के जवान मंगल पांडे को अंग्रेजों ने फांसी के लिए मुकर्रर तारीख से 10 दिन पहले ही फांसी दे दी थी। फिरंगियों ने यह काम चुपके से किया था क्योंकि उन्हें यह भय था कि अगर मंगल पांडे को जीवित रखा गया तो आजादी के आंदोलन की आग पूरे देश में फैल जाएगी।
अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ हथियार उठाने वाले अमर वीर मंगल पांडेय को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में फांसी दी गई थी।
मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को फैजाबाद के सुरुरपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। साल 1849 में 18 साल की उम्र में वह ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैन्ट्री में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए। भर्ती होने के बाद उन्हें ब्रिटिश अफसरों की भारतीयों के प्रति क्रूरता ने बेहद आहत किया। जिस कारण उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल लिया था।ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ क्रांति की चिंगारी लगाने वाले मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 को बैरकपुर में अंग्रेजों पर हमला बोल दिया था। अंग्रेजी अफसरों पर को अपने गोली का निशाना बनाने के आरोप में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेकिन तय तारीख से दस दिन पहले ही अंग्रेजों ने उन्हें सूली पर चढ़ा दिया।
इतिहास में अहम है आज का दिन
भारत मां को स्वाधीन कराने वाले वीर जवानों में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त का नाम भी दर्ज़ है। इन्होंने 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली में सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे। बम फेंकने के पीछ का उद्देश्य किसी को चोट पहुंचाना नहीं था।
18 अप्रैल 1857 को मंगल पांडेय को फांसी दी जानी थी, ऐसा कहा जाता है कि बैरकपुर के सभी जल्लादों ने मंगल पांडेय को फांसी देने से इनकार कर दिया था। जल्लादों ने अपने हाथ मंगल पांडेय के खून से न रंगे जाने की बात कहते हुए फांसी देने से इनकार किया था।
आज ही के दिन साल 1894 में भारत के राष्ट्रीय गीत बंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का कोलकत्ता में निधन हुआ था।