आपको बता दें कि हाथरस में दलित लड़की से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी मौत के मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने 30 सितंबर को एसआईटी का गठन किया था।
Hathras Case: CBI ने क्यों नहीं शुरू की जांच, विपक्षी दल उठाने लगे सवाल
हाथरस केस में सीबीआई जांच होगी या नहीं, इसे लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है। यूपी सरकार की ओर से भेजे गए सीबीआई जांच के प्रस्ताव को पांच दिन हो गए हैं लेकिन अभी भी जांच एजेंसी की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला है। इस मामले में सीबीआई की इस शिथिलता ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। सीबीआई ने अब तक इस मामले की ना तो एफआईआर दर्ज की है और न ही सीबीआई के अधिकारियों ने अब तक स्थानीय पुलिस से घटना से संबंधित दस्तावेज तलब किए हैं। हालांकि प्रदेश सरकार का कहना है कि वो सीबीआई के रुख का इंतजार कर रहे हैं। 12 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में हाथरस कांड को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। सीबीआई के अधिकारियों ने अब तक स्थानीय पुलिस से घटना से जुड़े दस्तावेज तक नहीं मांगे हैं। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई इस मामले में 12 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का इंतजार कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि मामले को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने भी शीर्ष अदालत में अपना हलफनामा दाखिल करके मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश देने का अनुरोध किया था।
शासन की ओर से इस मामले में पहले ही एसआईटी का गठन किया गया था जिसे एक सप्ताह में एसआईटी को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी लेकिन अब उन्हें 10 दिन का समय और दिया गया है।
दरअसल इस पूरे मसले पर संशय की स्थिति और बढ़ जाती है क्योंकि एक ओर जहां सीबीआई ने पांच दिन बाद भी जांच को लेकर कोई जवाब नहीं दिया है। वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी को दस दिन का समय और दिया गया है। जांच में लगी एसआईटी ने गुरुवार को पीड़िता के गांव के चालीस लोगों को नोटिस जारी कर उन्हें पूछताछ के लिए हाथरस पुलिस लाइंस बुलाया और उनके बयान दर्ज किए। इनमें गांव के वह लोग भी शामिल हैं, जो घटना के समय घटना स्थल के आस-पास अपने खेतों पर काम कर रहे थे या फिर अंत्येष्टि के समय मौके पर मौजूद थे।
एसआईटी की प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के तत्कालीन एसपी सहित पांच पुलिस वालों को निलंबित कर दिया था लेकिन डीएम प्रवीण कुमार अब तक पद पर बने हुए हैं। इस बात को लेकर आईपीएस एसोसिएशन नें भी आपत्ति जताई है।
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने गुरुवार को एक ट्वीट कर कहा कि ‘कथित सीबीआई जांच बयान बनकर रह गई’। अजय कुमार लल्लू कि उप्र में विशेष जांच दल = सरकार बचाओ दल बन चुका है। उन्होंने लिखा कि सीएम को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच से डर लगता है. न्याय की हत्या जारी है।