स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
खुद की ख्वाहिशें किनारे कर जो आपके सपने सच करने में जुट जाते हैं
ऐसी निस्वार्थ भूमिका हरेक के जीवन में केवल माता-पिता निभाते हैं
1 जून की तारीख को विश्वभर के माता-पिता के सम्मान में मनाया जाता है इस दिन को Global Parents Day, Global Day of Parents या Happy Parents Day के नाम से दुनिया भर में माता-पिता के सम्मान में मनाया जाता है। इस आर्टिकल के माध्यम से इस दिन से जुड़ी तमाम
महत्वपूर्ण बातें समझिए।
भारतीय संस्कृति में माता-पिता का दर्जा ईश्वर के समान माना गया है। धरती पर उन्हें ईश्वर की साक्षात उपस्थिति कहा गया है, क्योंकि बेशक वो इस उपाधि के हकदार हैं, माता-पिता ही तो हैं, जो निस्वार्थ, बिना किसी मूल्य और शर्त के अपनी औलाद का न सिर्फ पालन पोषण करते हैं बल्कि जीवन पर्यंत उनके हित के लिए सदा तत्पर रहते हैं, उम्र कितना भी क्यूं ना थका दे, माता पिता औलाद के हितकारी कामों के लिए कभी नहीं थकते। उनकी इन तमाम खूबियों के सम्मान में यूं तो जीवन का हर दिन समर्पित है लेकिन कैलेंडर में भी साल का एक दिन माता-पिता को समर्पित कियागया है, 1 जून। जिसे पेरेन्ट डे के रूप में मनाया जाता है। ये दिन अपने बच्चों के प्रति सभी माता- पिता की निस्वार्थ सेवा की प्रतिबद्धता को सम्मानित करता है, जिसमें उनके द्वारा जीवन-भर इस रिश्ते को निभाने के लिए दिया गया बलिदान भी शामिल है।
अमेरिका में पेरेंट्स डे मनाने की शुरुआत साल 1994 में हुई थी लेकिन संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा साल 2012 में दुनियाभर में सभी माता-पिता को सम्मानित करने के लिए 1 जून की तारीख को चुना गया और तब से हर साल इस दिन को दुनियाभर में इस संदेश के साथ मनाया जाता है कि बच्चों के विकास में सबसे ज्यादा और बड़ा योगदान उनके माता-पिता का ही होता है। बच्चों का पोषण और संरक्षण परिवार की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है, जिसे माता-पिता पूरी निष्ठा से निभाते हैं। बढ़ती उम्र के साथ बच्चे अपने माता-पिता से दूर भले हो जाएं लेकिन माता-पिता के दिलो दिमाग में अपनी औलाद के लिए प्यार और फ्रिक हमेशा बनी रहती है।
पेडेंट्स डे को मनाने का उद्देश्य है कि अपनी भागमभाग भरी जिंदगी में ये एक दिन निकाल कर उन्हें शुक्रिया जरूर कहें जिन्होंने आपको जीवन, और जीवन जीने के तमाम साधन आपके लिए जुटाए हैं, अपनी खुशी से पहले जिन्होंने जीवन भर आपकी शुखियों को तवज्जो दी है, इस दिन उनकी खुशियों को दोगुना जरूर करें, उनके प्यार और बलिदान भाव के लिए उन्हें दिल से शुक्रिया कहें, क्योंकि ये वो रिश्ता है जिसे कोई दूसरा नहीं भर सकता, इसलिए अपने माता-पिता का आभार प्रकट करना न भूलें। आप अपने माता-पिता से भले दूर हों लेकिन उनकी फिक्र और उनके प्रति प्यार जता कर उन्हें ये अहसास जरूर दिलाएं कि आप सदा उनके साथ हैं। माता-पिता अपनी औलाद से सदा वैसे सच्चे सम्मान के हकदार हैं जैसा सच्चा और निस्वार्थ प्रेम वो जीवनभर अपनी औलाद को देते हैं, इसलिए मॉर्डन कितने भी हो जाएं, लेकिन खुद को जीवन में कभी माता-पिता से ऊपर न मानें, क्योंकि माता-पिता के बिना औलाद का अस्तितव नहीं है। इस जीवन के लिए व्यक्ति जितना ईश्वर का शुक्रगुजार है उससे पहले माता-पिता का शुक्रगुजार है, जो संतान को जीवन देने और पालन पोषण का माध्यम बने औऱ धरती पर ईश्वर का स्वरूप।