ब्रिटेन के बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स के दूसरे दिन शनिवार को भारतीय वेटलिफ्टर्स ने शानदार प्रदर्शन दिखाया। देश के नाम तीन मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों में शामिल रहे सिल्वर जीतने वाले सरगर, तो ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने वाले गुरुराज पुजारी और गोल्ड दिलाकर देश का फिर से गौरव बढ़ाने वाली मीराबाई चानू। आपको बता दें कि मणिपुर की मीराबाई के करियर में एक वक्त ऐसा भी आया जब वह डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। डिप्रेशन से खुद को बाहर निकालने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और देश को एक के बाद एक तीन मेडल दिलाया। तब से वह दो बार गोल्ड और एक बार सिल्वर जीत चुकी हैं।
तो आइए आपको बताएं डिप्रेशन में आने के कारण उन्हें क्या कुछ नहीं सहना पड़ा। मामला 2016 के रियो ओलंपिक का है। चानू को तब काफी निराशाजनक स्थिति का सामना करना पड़ा था। वह मैच फिनिश नहीं कर पाई थीं। इसके कारण उनके नाम के आगे “डिड नॉट फिनिश” लिखा था। चानू की इतनी आलोचना हुई कि वह डिप्रेशन में चली गईं। खुद को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए उन्हें मनोवैज्ञानिकों इलाज कास सहारा लेना पड़ा।
मीराबाई चानू ने खुद को संभालने के लिए कुछ समय तक खेल से दूर रखा लेकिन एक दमदार वापसी की। 2018 में ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किलो वर्ग के वेटलिफ्दिंग में गोल्ड अपने नाम किया। इसके बाद टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर जीतकर वेटलिफ्टिंग में भारत को 21 साल बाद मेडल दिलाया। अब उन्होंने बर्मिंघन में गोल्ड जीतकर एक बार फिर देश का परचम लहराया है।
राष्ट्रमंडल खेल 2022 में वेटलिफ्टिंग के 49 किलोग्राम भारवर्ग में मीराबाई चानू स्नैच राउंड समाप्त होने के बाद शीर्ष पर रहीं। उन्होंने अपने पहले प्रयास में 84 किलोग्राम का भार उठाया। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 88 किलोग्राम का वजन उठाया और राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी की। हालांकि, वह तीसरे प्रयास में 90 किलो ग्राम का वजन नहीं उठा पाईं। उन्होंने क्लीन एंड जर्क राउंड में अपने पहले प्रयास में 109 किलोग्राम का भार उठाकर चानू ने भारत के नाम गोल्ड किया।
109 किलोग्राम वजन उठाने के बाद गोल्ड पक्का कर चुकीं मीराबाई को इससे संतुष्टि नहीं मिली। उन्होंने अगले प्रयास में 113 किलो का भार उठाया। तीसरे प्रयास में 115 किलो उठाने की कोशिश की, लेकिन वो नाकाम रहीं। राष्ट्रमंडल खेल 2022 में चानू ने कुल मिलाकर 201 किलो भार उठाया।