स्मिथा सिंह, नई दिल्ली
हिन्दी सिनेमा में कई कलाकार ऐसे हैं जिनका अभियन दिल को छूता है, अपने हर किरदार को दिल से जीने वाले ऐसे ही एक कलाकार हैं मनोज बाजपेयी, जो आज 52 साल के हो गए हैं। आईये उनके जन्मदिन के मौक पर उनकी लाइफ से जुड़ी कुछ बातें आपको बताते हैं।
भारत-नेपाल की सीमा के पास बिहार राज्य का एक छोटा सा गांव है नरकटियागंज, इसी गांव में 23 अप्रैल 1969 को पैदा हुए बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मनोज बाजपेयी। मनोज पैदा भले एक किसान परिवार में हुए, लेकिन बचपने से ही ख्वाब था कि वो एक कलाकार बनेंगे। हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वे एक डॉक्टर बनें, लेकिन वे एक्टर बनने के ख्वाब सजा रहे थे और अपने इसी ख्वाब को पूरा करने वो 17 साल की उम्र में पिता को बिना बताए ही दिल्ली आ गए। यहां उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक्टिंग की पढ़ाई के लिए नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा एडमिशन लिया, लेकिन सफर मुश्किलों से भरा था।
रामजस कॉलेज से हिस्ट्री में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सलाम बालक ट्रस्ट में बतौर टीचर नौकरी भी की। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के एग्जाम में 4 बार फेल होने के बाद मनोज बाजपेई ने बैरी जॉन की एक्टिंग अकादमी जॉइन की। छोटे पर्दे पर उन्होंने फेमस सीरियल स्वाभिमान से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की। फिर बिग स्क्रीन पर साल 1994 में फिल्म द्रोह काल में उन्हें बहुत छोटा रोल मिला जो कुछ पलों का था, तो जाहिर है उन्हें अपने अभिनय की प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने बैंडिट क्वीन, दस्तक, संशोधन और तपन्ना जैसी फिल्मों में काम किया लेकिन पॉपुलेरिटी और पहचान मिली साल 1998 में आई फिल्म सत्या से। इस फिल्म में मनोज बाजपेयी के किरदार का नाम था भीखू म्हात्रे। इस किरदार में अपनी एक्टिंग से मनोज बाजपेयी ने वो जान फूंकी कि उनकी एक्टिंग दर्शकों के दिल को छू गई और इस फिल्म के मनोज बाजपेयी को नेशनल अवॉर्ड मिला ।
मनोज बाजपेयी की दूसरी सफल फिल्म थी शूल, जिसमें उन्होने एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर का किरदार निभाया था। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला। इसके बाद फिल्म पिंजर के लिए उन्हें एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया। , वीर-जारा, 1971, गैंग्स ऑफ वासेपुर, स्पेशल 26, अलीगढ़ृ और भोसले सहित कई शानदार फिल्मों में काम कर चुके मनोज की एक्टिंग में एक अलग सा जादू है, जो दर्शकों को उनके अभियन की तारीफ के लिए मजबूर करता है। वे कमर्शियल फिल्मों से अलग, लीक से हटके फिल्मों में काम करना पसंद करते हैं और अपने किरदारों को पर्दे पर जीवंत करने में पूरी तरह सफल भी रहते हैं।
अक्सर कलाकारों की सफलता के किस्से उनकी कठिनाईयों के दौर छुपा देते हैं। कम ही लोग जानते होंगे कि मनोज बाजपेयी ने अपनी नाकामी से हताश होकर कई बार मुंबई छोड़ने का फैसला किया लेकिन उनकी पत्नी शबाना ने उन्हें रोक लिया। मनोज एक ऐसे दौर से भी गुजरे हैं जब वो स्क्रीन से करीब-करीब गायब हो गए थे, फिल्मों में काम न मिलके की वजह से उन्होंने मुंबई छोड़ दिल्ली में बसने का मन बना लिया था लेकिन पत्नी शबाना ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। मनोज की गोते खाती नाव को किनारा मिला प्रकाश झा की फिल्म राजनीति से, और उनकी जिन्दगी एक बार फिर पटरी पर लौटी।
बात उनके निजी जीवन की करें तो मनोज बाजपेयी ने दो शादी की। स्ट्रगल के दिनों में उनकी पहली शादी हुई साल 1990 में, जो ज्यादा वक्त नहीं चली, इसके बाद उन्होंने साल 2006 में बॉलीवुड एक्ट्रेस शबाना रजा के साथ शादी की, जो बॉलीवुड में नेहा के नाम से भी जानी जाती हैं। दोनों की एक बेटी है, जिसका नाम अवा है।
अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले मनोज बाजपेयी को साल 2001 में आई फिल्म अक्स के लिए कई अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा साल 2003 में रिलीज हुई फिल्म पिंजर के लिए भी उनह् नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया। मनोज बाजपेयी को फिल्म भोंसले के लिए भी बेस्ट एक्टर के 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं वे राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित हुए हैं।