भारत रत्न देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जितना एक राजनेता के रूप में सराहे जाते थे उतना ही उन्हें एक अच्छे इंसान और बेहतरीन कवि के रूप में भी लोगों के दिलों में बसे अटल जी। वीर रस से सराबोर उनकी कविताएं जब भी पढ़ी जाती हैं, वे रोंगटे खड़े कर देती हैं। ऐसे में आज एक बार फिर कविता गुनगुनाने का वक्त आ गया है। ‘मौत से ठन गई’… 25 दिसंबर को अटल जी के जन्मदिवस पर उनकी कविता
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।