असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद उपजी परेशानी सुलझ गई है। असम चुनावों में बीजेपी को लगातार दूसरी बार जीत मिली है। बीते पांच साल में असम की के मुख्यमंत्री रहे सर्बानंद सोनोवाल या हिमंत बिस्व सरमा में से किसे सौंपा जाएगा असम के मुख्यमंत्री पद की कार्यभार, इस बात को लेकर पार्टी में उहापोह की स्थिति बनी हुई थी। बीजेपी में बैठकों के दौर के बाद रविवार को यह तय हो गया कि हिमंत बिस्व सरमा ही होंगे असम के मुख्यमंत्री। कभी कांग्रेस के सिपहसालार रहे सरमा ने राहुल गांधी पर अनदेखी का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ दिया था और 2015 में बीजेपी में शामिल हो गये थे।
आइए, जानते हैं कौन हैं असम की जिम्मेदारी संभालने वाले हिमंत बिस्व सरमा…
कौन हैं हिमंत बिस्व सरमा?
हिमंत बिस्व सरमा पहले वकालत किया करते थे। गुवाहाटी हाई कोर्ट में लॉ की प्रैक्टिस करने वाले सरमा ने साल 2001 अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। 1 फरवरी 1969 को असम के जोरहाट में जन्में सरमा के माता-पिता का साहित्य से गहरा वास्ता था। उनके पिता कैलाशनाथ सरमा साहित्यकार थे और मां भी असम साहित्य की संस्थाओं से जुड़ी हैं। राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले सरमा ने राजनीति में रहते हुए ही पीएचडी की डिग्री भी हासिल की। कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान की पढ़ाई करने के दौरान वो स्टूडेंट पॉलिटिक्स में भी सक्रिय थे। पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद ने वकालत की पढ़ाई की और गुवाहाटी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे।
हिमंत बिस्व सरमा को राजनीति में लाने का श्रेय असम के पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया को जाता है। पूर्व सीएम तरुण गोगोई के साथ उन्होंने राजनीतिक समझ को विकसित किया। 1996 में पहली बार विधानसभा चुनाव के माध्यम से राजनीतिक किस्मत आजमाने वाले सरमा को हार का मुंह देखना पड़ा था। तब उन्हें असम आंदोलन के नेता भृगु फुकन ने परास्त कर दिया था। उसके अगले विधानसभा चुनाव में 2001 में हिमंत ने फुकन को 10 हजार मतों के अंतर से चित्त कर दिया था। गुवाहाटी के जालुकबाड़ी से यह चुनाव जीतने के बाद सरमा इस सीट पर जीत दर्ज करते आए हैं।
गोगोई सरकार में उन्होंने कई राजनीतिक सफलता हासिल की। राज्य सरकार में मंत्री के तौर पर उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, कृषि, योजना और विकास, पीडब्ल्यूडी और वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभागों की ज़िम्मेदारी संभाली है। सीएम तरुण गोगोई के साथ मनमुटाव के कारण उन्होंने 2016 विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया।
साल 2016 में असम में चुनाव होने वाले थे, तो उन्हें पार्टी का संयोजक बनाकर मैदान में उतारा गया। बीजेपी ने चुनाव जीत लिया लेकिन हिमंत सीएम नहीं बने। तब केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता सर्वानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया गया। लगातार चौथी बार जालुकबरी से जीतने वाले सरमा इस सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।
माना जाता है कि हिमंत बिस्व सरमा की बदौलत ही राज्य के लोगों ने एक बार फिर से बीजेपी पर भरोसा जताया है। असम की 126 विधानसभा सीटों में से इस बार बीजेपी ने 75 सीटों पर जीत दर्ज की है। सरमा ने जलुकबाड़ी सीट पर लगातार पांचवीं बार जीत हासिल की है।